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अनामिका वैश्य आईना

Inspirational

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अनामिका वैश्य आईना

Inspirational

एहसास गलतियों का

एहसास गलतियों का

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बात उन दिनों की है जब मैं हाई स्कूल में थी। चढ़ती उम्र का वो दौर था। भावनायें, जोश और आवेश दोनों अपने चरम पर थे। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा चिड़चिड़ापन मुझ पर हावी होने लगता था। वो दौर ऐसा था कि कोई बात दूसरों की समझ नहीं होती थी फिर चाहे वो बड़े-बुजुर्गो की हो या अपनों की।

एक दिन की बात है किसी बात मेरी बड़ी बहन मुझे समझा रही थी। कुछ देर तो मैं शांति से सब सुनती रही लेकिन थोड़ी देर उसकी बातें सुनने के बाद मैंने ताव मे आकर उसे ज़वाब दे दिया और कहा "मैं अकेले ही रह लूँगी" हालांकि मुझे ज़वाब देना कभी से अच्छा नहीं लगता था। जवाब देना माँ पापा के संस्कारों पर प्रश्न चिन्ह लगाना लगता था फिर भी जाने कैसे कुछ शब्द मुँह से मेरे निकल ही गए। दीदी ने भी यह कहकर टाल दिया कि कुछ दिनों बाद तुम्हें मेरी बात खुद ही समझ आ जायगी।

सालों बाद आज भी मुझे उसकी बात याद आती है कि सच कहा था उसने कोई इंसान जिंदगी में अकेला नहीं जी सकता और मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। मैंने दीदी से कितने वर्षों बाद अपनी गलती की माफ़ी मांगी।


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