परआवरण

परआवरण

2 mins
361



"बड़ों से अक्सर सुना है पहले तबाही के तीन "ज" थे। दीप्ति ने बड़े ही सहज भाव से कहा।

इतना सुनकर आलोक तपाक से बोला - "अब चार "ज" हैं

कल्याण ने आश्चर्य से पूछा - "मतलब ?"

पूर्वी बोली - "अरे यार जर, जोरु, जमीन और जल।"

संस्कार ने समीप पहुंचते ही यह प्रसंग सुन लिया था। उसने अपने साथियों से कहा - "भविष्य में तबाही चार "ज" की वजह से नहीं बल्कि "परआवरण" की वजह से होगी।"

अनुकृति हंसते हुए बोली- "ये जब भी आता है कुछ न कुछ नया जुमला लाता है।"

"ये जुमला नहीं, बल्कि हकीकत है।" संस्कार गंभीर होकर बोला।  

"पर ये है क्या तुम्हारा "परआवरण"। पर्यावरण तो सुना था मगर ये नया शब्द........? छाया बोली।

"ईंटों का जंगल।" संस्कार ने तपाक से कहा।

सभी चौकें। एक दूसरे की शक्ल देखने लगे। संस्कार ने फिर समझाया। बोला देखो - "आज हर गांव, हर शहर, हर मोहल्ले में बेतरतीब ईंटों का जंगल खड़ा किया जा रहा है। सैकड़ों पेड़ खत्म कर दिए गए हैं आवासीय परिसर बनाने में। चारों तरफ सघन बस्तियां हो गई है। इस कारण जमीन के नीचे का "पानी" खत्म हो रहा है, क्योंकि हम जमीन के नीचे पानी जाने ही नहीं दे रहे। अब अगर "पानी" खत्म तो इंसान की बुरी और लालची नजरों से "पेड़" भी खत्म। "पेड़" खत्म तो प्रदूषण का दानव सर्वत्र आकाश में व्याप्त हो जाएगा। यानी "पर्यावरण" खत्म। जब पानी, पेड़, पर्यावरण खत्म तो "परआवरण" किसके लिए बचेगा। समझे तुम लोग।"

ख्याति सोचते हुए बोली - "ऊंची होती जा रही बहुमंजिला इमारतें हमें ऊपर पहुंचाने और तबाही..........।

तपाक से भाग्यश्री बोली -"तबाही के आधुनिक चार "प" हुए-   "परआवरण", पर्यावरण, पानी और पेड़।




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy