Sandeep Sharma

Abstract

5.0  

Sandeep Sharma

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हम भी तुम्हारे बेटे हैं

हम भी तुम्हारे बेटे हैं

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मोहिनी तेज़ी से जीना उतरते वक्त अपने ससुर को आंगन के दरवाजे पर खड़ा देखकर ठिठक कर रूक गई। सेना के दो शक्तिमान ट्रक और एक जीप घर के आगे से निकल गये। मोहिनी बुदबुदाई "आखिर किस की मांग का सिंदूर उजड़ गया।" वह चुपचाप अपने फौजी पति की तस्वीर के सामने आंखें बंद करके खड़ी हो गई।

सेवानिवृत्त सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सोनाराम ने अपनी पत्नी से कहा - "आओ चलो, गर्व महसूस करने का वक्त आ गया है।"

सुगंधा ने साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए पूछा - "ऐसा क्या हुआ है ?"

"देखोगी तो पता चल जाएगा।"

फौजी गाड़ियां देखकर सारा गांव उस जगह पहुंच रहा था जहां गाड़ियां आकर ठहर गयीं थीं।

सात साल के दो बच्चे अपने-अपने हाथों में खिलौना बंदूकें लेकर खेल रहे थे। जब उन दोनों ने फौजी गाड़ियां देखीं तो दीपू बोला - "अबे यार ये फौज क्यों आईं हैं गांव में ?"

सोनू ने तपाक से कहा - "चल देखते हैं।"

बरसों बाद सेवानिवृत्त सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सोनाराम को फौजी वर्दी पहने देख सुगंधा को आश्चर्य हुआ। उसने कहा कुछ नहीं। लेकिन यह एहसास हो गया था कि कुछ तो गडबड है। दोनों को आता देख एक फौजी अफसर ने सल्यूट किया। शक्तिमान ट्रक से सम्मान के साथ ताबूत निकाला गया। सब चुपचाप देख रहे थे। संन्नाटा पसरा हुआ था। 

एक स्थान पर ताबूत रखकर उसे खोला गया। तिरंगे में लिपटे हुए अपने बेटे सौभाग्य को देख कर सुगंधा को यकीन नहीं हुआ। सेवानिवृत्त सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सोनाराम ने शव को सल्यूट किया। सुगंधा ने अपने पति की ओर इस तरह से देखा मानो पूंछ रही हो - ये सब कैसे हो गया। सेवानिवृत्त सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सोनाराम आंखों ही आंखों में जवाब दिया शहीद हो गया अपना सौभाग्य।

दो कदम आगे बढ़ कर बैठते हुए कांपते हाथों से सुगंधा ने सौभाग्य के चेहरे को दोनों हाथों से छुआ और फिर दहाड़ मारकर रोने लगी। लेफ्टिनेंट कर्नल सोनाराम ने अपनी पत्नी के कंधे पर हाथ रखकर कहा - "सौभाग्य ने दूध का कर्ज अदा कर दिया सुगंधा। कर्ज अदा करने वाले शहीद की माएं रोया नहीं करतीं।" इतने में सोनू और दीपू भी वहां आ गए थे।

सुगंधा ने रोते-रोते कहा - "हे भगवान! तूने मुझे एक ही बेटा क्यूं दिया देश पर शहीद होने के लिए।" 

भीड़ में ऐसा कोई भी नहीं था जिसकी आंखों से आंसू न बह रहे हो। सुगंधा सौभाग्य के शव से लिपटकर रोये जा रही थी। तभी दीपू और सोनू ने सुगंधा के कंधे पर हाथ रखकर एक साथ कहा - "हम भी तो तुम्हारे बेटे हैं मां।"

सुगंधा ने दोनों को अपने सीने से लगा लिया।


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