प्रेरणा की प्रेरणा
प्रेरणा की प्रेरणा
एक 18-20 साल का लड़का। परिवार की माली हालत खराब होने के कारण नौकरी ढूंढने निकलता है। उसे एक रेस्टोरेंट में नौकरी मिल जाती है। वहां पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करता है लेकिन एक दिन रेस्तरां का मालिक किसी बात पर खूब डांटता है और नौकरी से निकाल देता है। कुछ लड़िकयां यह सब देख रही होती हैं। लड़का रेस्तरां से बाहर निकल जाता है। रेस्तरां में बैठी लड़कियों से से एक लड़की रेस्तरां से बाहर आती है और दौड़कर उस लड़के को रोक कर एक टिशू पेपर देते हुए इशारे में कहती है फोन करना। लड़की वहां से चली जाती है। लड़का उसे देखता रहता है। वह टिशू पेपर खोलकर देखता है। सोचता है फोन करूं या न करूं। ये सब बड़े लोग हैं। हम गरीबों की क्या मदद करेंगे। दो दिन बाद लड़का डरते-डरते फोन करता है। लड़की कहती है - "डर निकल गया हो तो आकर मिलो।"
लड़की अपना पता बताती है, तो लड़का सकपका जाता है। फिर भी लड़का हिम्मत करके दिए गए पते पर पहुंच जाता है। वहां खड़े सिपाही को देख कर लड़का घबरा जाता है। सिपाही को शक होता है। वह लड़के को इशारा करके अपने पास बुलाता है। इससे पहले ही कि सिपाही कुछ पूछता गेट के पास आकर प्रेरणा उस लड़के को देख लेती है और सिपाही से कहती है इसे अंदर आने दो। लड़का डरते-डरते अंदर आता है। दोनों बात करते हैं। प्रेरणा अपने पिता से मिलवाती है। लड़का बताता है कि वह बारहवीं पास है। लड़की का पिता उसे अगले दिन उसे अपने सर्टिफिकेट लेकर आने को कहता है। लड़के को नौकरी पर रख लिया जाता। उस लड़के को रहने के लिए सर्वेंट क्वार्टर दे दिया गया।
प्रेरणा उस लड़के की काबिलियत देखकर आकर्षित होने लगी थी। लड़का अपनी सीमा और मर्यादा जानता था इसलिए वह प्रेरणा की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देता था। लेकिन अब तक बचता। धीरे-धीरे लड़का प्रेरणा के प्रेमपाश में बंधता चला गया।
लड़के की निष्ठा और ईमानदारी से प्रभावित होकर लड़की के माता-पिता उस लड़के को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। लड़का बीए की पढ़ाई शुरू कर देता है। प्रेरणा के पिता ने उसकी पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। तीन वर्षों में वह स्नातक हो जाता है। प्रेरणा भी पढ़ाई में उस लड़के की खूब मदद करती है। प्रेरणा तन और मन से उस लड़के की हो चुकी थी। यह प्रेरणा की प्रेरणा ही थी कि वह लड़का एक दिन आई ए एस अफसर बन जाता है।

