प्राचीन नारी भाग-२
प्राचीन नारी भाग-२
उसी में रस ढूंढ़कर वैज्ञानिक उसका मूल्य बता रहें हैं और उसे पैसा खर्च करके ले लेती है किन्तु यहां उपलब्ध तो वो गंदा है। दरअसल नारी के लिए आजादी केवल एक ही है और वो है फैसन में जीना। जिससे उसके रूप की चारूता के साथ- साथ निन्दा और उपहास की चारूता बढ़ जाती है आज की नारी पहनाव कैसा है ? और कहेंगी तुम्हारी नियत खराब है जो देखते हो।
नियत खराब नहीं है तुम्हारे तन को वो जरूर देख रहा है किन्तु तन को देखकर भोग की अपेक्षा से निन्दा नहीं कर रहा है अपितु तुम्हारा जो संस्कार जो काली अंधेरी में ढूब रहा है उसे बचाने के लिए तुम्हारी निन्दा करते हुए तुम्हें आगाह करता है तुम्हारे अंदर जितनी क्षमता रहेगी समझने की उतनी ही समझ और बोल सकती हो उसके आगे नहीं। इसका प्रमाण यह है कि अन्य पुरुष बोलता है तो नियत की बात करती है किन्तु जब स्त्री या तुम्हारे माता-पिता जो संस्कार की धरती चलते हैं वो बोलते हैं तो आप उन्हें नियत या चरित्र को क्या कहेंगी। प्राचीन नारी महान नारी इसलिए है क्योंकि उसके अन्दर अपने सनातन धर्म और कर्तव्यों का चिट्ठा था जिसे वो गहराई से पढ़कर उसके अनुसार जीवन व्यतीत करती थी आज भी है वो चिट्ठा किन्तु नारी उसकी तरफ़ देखना नहीं चाहती है तो और कि अपेक्षा क्या ?