पोखर
पोखर


एक नदी बहती जा रही थी कल कल। उसके किनारे पर अनगिनत व्यक्ति स्नान और पूजन कर रहे थे। जब कोई पशु उधर पानी पीने आ जाता तो सभी व्यक्ति उसे खदेड़ देते।
बहते बहते नदी को एक पोखर मिला। नदी उससे अपनी शान बघारने लगी। बोली मेरे पास रोज कितने व्यक्ति पानी लेने, स्नान करने आते हैं और तुम यहाँ अकेले पड़े रहते हो।
पोखर बोला, तुम्हारे किनारे से जिन पशुओं को खदेड़ दिया जाता है वे मेरे पास से पानी पीकर जाते हैं।