मीरा का उड़न खटोला
मीरा का उड़न खटोला
14 साल की मीरा ने अपनी पढ़ने की टेबल खिड़की के सामने लगा रखी थी।उसे खुले आसमान को देखना बहुत अच्छा लगता था।पढ़ने के बाद वह खिड़की के पास खड़े होकर देर तक आसमान देखती ,उगता छिपता सूरज ,पर फैलाये उड़ते पक्षी ,चाँद का घटना बढ़ना और टिमटिमाते तारों को देखती रहती।उसकी इच्छा भी आसमान में उड़ कर चाँद तारों को पास से देखने की होती थी।
अपनी कल्पना को वह अपनी ड्राइंग में उतारती रहती थी।एक और शौक था उसका जादू भरी कहानियाँ पढ़ने का।रात में वह इन कहानियों को पढ़ते पढ़ते सो जाती।आज भी उसने कहानी पढ़ी और पढ़ते पढ़ते सो गई।
थोड़ी देर बाद वह उठी उसने अपनी अलमारी खोली और उसमें छिपा कर रखा अलदीन का चिराग निकाल लाई।जैसे ही उसने चिराग घिसा जिन्न निकला और बोला , "क्या हुकुम मालकिन?"
मीरा ने कहा ,"मेरे लिए उड़नखटोला मंगाया जाये और देखो मैं जहाँ भी जाऊंगी तुम मेरे साथ रहोगे। "
"जो हुकुम" ,कह कर जिन्न गायब हो गया और थोड़ी देर बाद उड़नखटोले के साथ हाजिर हुआ।
"लीजिये मालकिन उड़नखटोला हाजिर है।"
मीरा ने चिराग लिया और उड़नखटोले पर बैठ गई और जिन्न से कहा ,"चलो मेरे साथ।"
उड़न खटोला हवा से बात करने लगा।पहाड़ों की ऊँची ऊंची बर्फीली चोटियों के ऊपर से तो कभी बादलों के ऊपर से कभी बीच में से निकलता हुआ बढ़ता जा रहा था।मीरा सभी सुन्दर दृश्य अपने मन में भरती जा रही थी ।उसे तो उनकी पेंटिंग बनानी थी।
अचानक उड़नखटोला उत्तराखंड के चमोली में फटे ग्लेशियर वाले स्थान से गुजरा तो झील और नदी द्वारा हुआ विनाश देख कर उसे बहुत दुख हुआ। सैनिक और अर्धसैनिक बल अभी भी राहत कार्य मे लगे हुए थे।
"जिन्न क्या तुमने भी देखा इस विनाश लीला को?मानव द्वारा प्रकृति का अत्यधिक दोहन का यह दुष्परिणाम है।"
"सुना है कि उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक सागर की बर्फ भी बहुत तेजी से पिघल रही ह
ै जिस कारण विश्व स्तर पर तापमान बढ़ा है और ठंडे देशों में भी गर्म हवाएं चलने से पर्यावरण असंतुलित हो रहा है। "
उड़न खटोला आर्कटिक सागर के ऊपर से गुजरा तो मीरा ने उसका पिघलता हुआ रूप भी देखा
जिन्न ने पूछा, " अब कहाँ चलना है मालकिन?"
"दक्षिणी ध्रुव की ओर चलें क्या?"मीरा ने जिन्न की इच्छा जाननी चाही।
जिन्न ने उड़नखटोले से कहा, "अंटार्कटिका की बर्फ़ीली चोटियों की तरफ चलो।।"
फिर उसने मीरा को सावधान करते हुए उसे अलादीन का चिराग सम्भाल कर रखने का परामर्श दिया।क्योंकि यहांहिमखंड तैरते रहते हैं और बर्फ की मोटी चादर बिछी रहती है जिस पर सीधे खड़े पर्वतीय हिमनदों की बर्फ टूट कर गिरती रहती है। तेज़ जमाने वाली बर्फीली हवाओं वाले पठार को भी पार करना होता है। ऐसी स्थिति में अगर उड़नखटोला किसी मुश्किल में फंस जाए तो अलादीन के चिराग से सहायक जिन्न को बुलाया जा सके।
अब उड़न खटोला दक्षिण ध्रुव के महाद्वीप अंटार्कटिका की ओर बढ़ चला।वहां जाना जितना मुश्किल था उतना ही सुन्दर वहाँ के दृश्य भी थे। मीरा ने वहाँ पोलर बियर या ध्रुवीय भालू देखे जो बहुत बड़े बड़े थे।ये सफेद फर वाले भालू बहुत सुन्दर लग रहे थे।एक जगह उसने देखा कि एक भालू बर्फ खोद कर उसके अंदर से सील मछली को खींचने की कोशिश कर रहा था।यही उनका भोजन होता है।
सावधानी रखते हुए उड़नखटोला शीघ्र ही वहां से वापस लौटने लगा। अंत में वह उड़नखटोले पर बैठकर अपनी खिड़की से कमरे में आ गई और जिन्न को धन्यवाद कहकर अलादीन का चिराग फिर से अलमारी में बन्द कर दिया।
आज मीरा देर तक सोती रही तो उसकी मम्मी ने आवाज दी ,""मीरा उठो स्कूल के लिये देर हो रही है।क्या रात में देर तक पढ़ी थीं?"
मीरा हड़बड़ा कर उठ बैठी पर आज उसे बहुत खुशी महसूस हो रही थी।ओह तो वह इतना खूबसूरत सपना देख रही थी।सोचते हुए वह स्कूल के लिये तैयार होने चली गई।