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Sangeeta Gupta

Tragedy Inspirational Children

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Sangeeta Gupta

Tragedy Inspirational Children

पल्लू में अपने तूफान बांधती है

पल्लू में अपने तूफान बांधती है

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वो मां ही तो है " जो अपने पल्लू में सारा तूफान बांधती है "। अपने बच्चों के खातिर सारे संसार से लड़ जाना जानती है।


खुशी की मां काम्या खुशी के लिए सारे संसार से लड़ना जानती है। सभी घरवालों के विरुद्ध जाकर उसने खुशी को इस दुनिया में लाने का निर्णय किया। बार बार पति केतन और सासू मां के माना करने पर भी काम्या ने अपने कोख को गिराने से मना कर दिया। 

डॉक्टर लता ने तो तभी कह दिया था जब गर्भ तीन महीने का गर्भ था। उन्हें भी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में कुछ कमी महसूस हुई थी और उन्होंने साफ साफ केतन जी और काम्या को बता दिया था कि बच्चे के विकास में कुछ रुकावट आ रही है और अगर बच्चा हो भी जाए तो वो मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर पैदा होगा। एक ऐसा बच्चा जो अपनी जिंदगी से ही लड़ रहा हो और अपने जीने के लिए हर दिन जद्दोजहद कर रहा हो। 


डॉक्टर लता ने भी एक हिदायत दी अपनी तरफ से पर काम्या अपनी जिद्द पर अड़ी रही। वो तो अपने इस अजन्मे बच्चे के लिए सारी दुनिया से भी लड़ने को तैयार थी। उसे किसी से भी कुछ नहीं सुनना था। आखिर वो भी जब वो पहली बार मां बनने वाली थी। काम्या हर चुनौती से लड़ने के लिए तैयार थी। 


ना चाहते हुए भी केतन को उसका साथ देना पड़ता था। कुछ भी हो आखिर काम्या मां बनने वाली थी तो विशेष ध्यान तो रखना ही पड़ता था। नौ महीने चढ़ते ही खुशी का जन्म हुआ। देखने में बहुत प्यारी थी खुशी। कोई भी उसकी मासूमियत देखकर पीछे नहीं हट सकता था। मोह लेती थी अपनी प्यारी सी मुस्कान से पर जैसे जैसे वो बड़ी हो रही थी उसकी शारीरिक अक्षमता बढ़ती जा रही थी। 


जब खुशी एक साल की हुई तो उसके चलने फिरने और बोलने की क्षमता नहीं के बराबर थी। वो ना ठीक से खड़ा हो पाती और ना चल पाती और ना ही बोल पा रही थी। और यही वजह था जिसकी कारण केतन हमेशा काम्या से चिढ़ा रहता था। उसने मना किया था ऐसे बच्चे के लिए जो शारीरिक रूप से अक्षम हो। 


जिसके आने से ना केवल मां पिता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा अपितु बच्चे के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती होती है। समाज ऐसे बच्चों को हीन की दृष्टि से देखते है और उसकी कमजोरियों को उजागर कर उसके आत्मसम्मान को भी नीचे गिरा देते है। ऐसे बच्चों के लिए जिंदगी एक सजा बन जाती है। 


केतन दिल का बुरा नहीं था बस आने वाले समय से घबरा जाता था। जो खुशी के लिए काफी कठिन होने वाला था। प्यार तो बहुत करता था अपनी बच्ची से पर हमेशा उसके लिए चिंतित रहता था। 


धीरे धीरे समय अपनी गति से चलता गया और खुशी अपनी जिंदगी में बढ़ती गई। अब उसके दो छोटे भाई बहन भी थे। देखते देखते खुशी बारह साल की हो गई। भाई बहनों को पढ़ते देखती तो उसके अंदर भी पढ़ने की इच्छा जाग उठी।बैठे बैठे ही अपनी छोटी बहन का कलम और कापी ले लेती और उसमें सुंदर सुंदर कलाकृति बना लेती।


वो तन से जरूर अपाहिज थी पर मन उतना ही तेज था। बोलने में असक्षम थी पर लिख कर सारे सवालों के जवाब दे देती। खुशी के अंदर एक अद्भुत क्षमता थी जो शायद ही किसी के अंदर विद्यमान होते है। वो अपने पैरों की उंगलियों में पेंसिल को रखकर बहुत ही खूबसूरत तस्वीर बना लेती थी और ऐसी तस्वीर जो बिल्कुल जीवंत होती थी।


एक दिन काम्या अपनी दूसरी बेटी को डॉक्टर से दिखाने मोहल्ले के चौक पर गई और छोटा भाई जो कमरे में सो रहा था। उसे सोता छोड़ काम्या डॉक्टर के पास चली जाती है ये सोचकर की थोड़ी देर में वापस आ जायेगी। इधर खुशी रोज की तरह जल्दी उठकर नीचे कमरे में बैठी अपने पैरों से तस्वीरें बना रही थी। 


तभी उसका चार साल का भाई आँख भिंचते हुए अपनी मां को आवाज देता है। पर जब काम्या नहीं दिखती तो वो छत पर जाता है। वहां भी काम्या को नहीं पाकर वो रोते रोते सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था की उसका पैर फिसल जाता है और वो गिर जाता है। ऊपर की सीढ़ियों से गिरने की वजह से वो बेहोश हो जाता है। 


खुशी अपने भाई को इस तरह बेहोश देख परेशान हो जाती है। अब करे भी तो क्या ? पिताजी भी घर पर नहीं थे , ना ही मां थी और ना ही दादा जी और दादी जी थी इसलिए वो जैसे तैसे अपने पैरों को घसीटते हुए घर के बाहर जाती है और दरवाजे को अपने कमजोर अविकसित हाथों से जोर जोर से पिटती है , ताकि आस पास के लोगों की नजर उस पर जा सके। 


अपने शरीर में जितनी भी ताकत थी उसने सभी लगा दिया ताकि वो अपने भाई की जान बचा सके। उसकी आवाज सुनकर कुछ आस पड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए। पास आते लोगों को हाथों से इशारा करके बताया। फिर लोगों ने बच्चे को गोद में उठाकर डॉक्टर के पास पहुंचे जहां पहले से ही काम्या मौजूद थी। 


बेटे को ऐसी हालत में देखकर घबरा जाती है। अचानक ऐसा क्या हो गया ? उसे तो आएं मुश्किल से आधा घंटा भी नहीं हुआ था और अनहोनी घट गई। सोच ही रही थी की डॉक्टर ने भरोसा दिलाते हुए कहा ...काम्या जी अब आपका बेटा खतरे से खाली हैं। कोई खतरे वाली बात नहीं है। 


अब आपका बच्चा होश में हैं और ज्यादा चोट भी नहीं आई है अब आप निश्चिंत रहे। एक सप्ताह बाद आकर एक बार दिखा दीजिएगा ताकि कोई वहम ना रहे। आपकी बच्ची ने समय रहते लोगों को बुला लिया बहुत समझदार है आपकी बेटी काम्या जी। डॉक्टर खुशी को जानते थे क्यूंकि कभी भी घर में कोई बीमार पड़ता तो काम्या उसी डॉक्टर के पास जाती थी। 


मरहम पट्टी करवाकर काम्या दोनों बच्चों के साथ घर आती है और जब खुशी को देखा तो उसके आंखों से आंसू के धार निकल रहे थे मानो कह रही थी जैसे " काश मैं ठीक होती तो आज ये न होता "। काम्या ने खुशी की आंखों में वो सवाल देख लिए थे उसने अपनी मासूम बच्ची को सीने से लगा लिया और धन्यवाद दिया भगवान को की उसे खुशी जैसी बेटी दी है। जो लाखों नार्मल इंसानों से बिलकुल अलग थी। 


दोस्तों कहानी कैसी लगी जरूर बताइएगा और पसंद आएं तो लाइक कमेंट और शेयर करें और मुझे आप फॉलो भी कर सकते है।



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