STORYMIRROR

Sangeeta Gupta

Tragedy Children

3  

Sangeeta Gupta

Tragedy Children

मुझे चाचू के साथ नहीं सोना

मुझे चाचू के साथ नहीं सोना

6 mins
237

तू यहाँ पर आकर बैठी है और मैं तुझे पूरे घर में ढूंढ़ रही थी...। चल आ जल्दी देख तो तेरे चाचू कब से तुझे बुला रहे हैं और तू है कि यहाँ अंधेरे में छत पर आकर बैठी है....? हाथ पकड़ते हुए सुजाता अपनी आठ साल की बेटी तरु से कहती हैं । 


छोड़ो ना मम्मा मुझे नहीं जाना...। मुझे यही बैठना है..। मुझे चाचू के पास नहीं जाना और ना ही उनके कमरे में सोना है मम्मा......गुस्से से तरु जवाब देती है । 


फिर थोड़ा रुक कर तरु कहती हैं " मुझे आपके साथ सोना है मम्मा....। आप छोटे बाबु को चाचू के पास सुला दो ना मम्मा...प्लीज मम्मा.....।


देख तरु आजकल तेरा हर समय कुछ ना कुछ नाटक लगा रहता है इसलिए मुझे गुस्सा मत दिला और फालतू की जिद्द भी मत कर । चुपचाप नीचे चल और ये क्या नया नाटक लगा रखा है चाचू के साथ नहीं सोना...? अभी दो चार दिन से ही तो तू चाचू के पास सो रही है फिर क्या इतना नाटक....? और तुझे पता है ना तेरा छोटा भाई अभी बहुत छोटा है उसे मैं कहीं और नहीं सुला सकती और कुछ ही दिनों की बात है फिर तो चाचू अपने शहर लौट जायेंगे तरु....। 


ऐसा कहते हुए सुजाता तरु का हाथ खिंचते हुए नीचे ले जाने की कोशिश के साथ कहती हैं " तुझे पता है तरु तेरे चाचू तुझे कितना प्यार करते हैं "...? तेरे लिए रोज नए नए चॉकलेट लेकर आते हैं गिफ्ट लाते हैं फिर भी तू कहती हैं कि तुझे चाचू के साथ नहीं सोना...अब जल्दी चल नीचे तेरे चाचू को कब से नींद आ रही है उन्हें सोना है और तुझे भी तो कल स्कूल जाना हैं.....।।


नहीं मम्मा मैं नहीं जाऊँगी...पूरी ताकत के साथ खुद को अडिग रखने की कोशिश के साथ तरु कह ही रही थी कि तभी वहाँ तरु का चाचू नीरज आ जाता है और मुस्कराते हुए कहता है " अरे तरु बेटा तू यहाँ है और मैं कब से तुझे आवाज़ लगा रहा था....। 


नीरज को सामने देखते ही तरु के चेहरे पर डर की रेखा खिंच जाती है और सहम जाती है और डरते हुए अपनी मम्मी के पीछे छिपने की कोशिश करने लगती है जिसे देखकर सुजाता थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ जाती है पर नीरज परिस्थिति को संभालते हुए अपनी भाभी से कहता है " देखिए ना भाभी मैं कल जरा सा डांट क्या दिया मेरी तरु तो मुझसे ही नाराज हो गई ".......?


अच्छा सॉरी तरु बेटा देखिए मैंने कान भी पकड़ लिया अब तो माफ कर दो...। ऐसा कहते हुए नीरज तरु को गोद में उठा लेता है फिर सुजाता से कहता है " भाभी आप जाइए सो जाइए नहीं तो छोटा बाल गोपाल उठ जाएगा और आपकी नींद पूरी नहीं होगी...। मैं और तरु थोड़ी देर में नीचे सोने चले जाएंगे.....।


ठीक है नीरज जी आप तरु को लेकर जल्दी सो जाइयेगा वर्ना सुबह नींद नहीं खुलेगी इसकी और स्कूल के लिए देर हो जाएगी....सुजाता ऐसा बोलकर जाने लगती है पर तरु की आँखे बेबसी और आंसू लिए नजरों से देखती ही रह जाती है....।।


सुजाता के नीचे जाते ही तरु रोने लगती है और नीरज के गोद से नीचे उतरने की कोशिश करने लगती है पर नीरज तरु को अपनी बांहों में इतनी जोर से दबा कर रख था कि वो निकल नहीं पाती है और रोते हुए नीरज को मारने लगती है और कहती है " आप बहुत गंदे हो ..मुझे छोड़ो मुझे मम्मा के पास जाना हैं "...। 


मैंने कहा ना एकदम चुप कितनी बार तुझे समझूँ तरु बेटा कि आप शांति से जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो वर्ना आपके छोटे लड्डू गोपाल को मैं ऊपर से नीचे फेंक दूँगा.....? जोर से डाँटते हुए नीरज तरु को कहता है ।


तरु डर के मारे चुप हो जाती है और नीरज जैसा कहता है वो करने के लिए तैयार हो जाती है....नीरज छत पर ही तरु के प्राइवेट पार्ट्स को छूने लगता है जिसकी वजह से तरु को तकलीफ होने लगती है और उसके मुँह से दर्द भरी आवाज़ आने लगती है कि तभी वहाँ सुजाता पहुँच जाती है...।  


तरु की ऐसी दर्द भरी आवाज़ सुनकर वो नीरज की तरफ भागती है और उसे उठाकर एक जोरदार चमचा जड़ देती है उसके गाल पर और फिर तब तक मारती है जब तक उसके हाथ में दर्द नहीं हो जाता.... । फिर तरु को सीने से लगाकर नीरज को धिक्कारते हुए कहती हैं " छीः.. शर्म आनी चाहिए तुम्हें नीरज...छीः. अपनी भाई की बेटी के साथ ये कुकर्मों करने में तनिक भी शर्म नहीं आई तुझे नीच...। 


अरे शरीर में इतनी ही आग और खुजली है तो डूब मारो कहीं जाकर.....। अरे घर में ही दरिन्दे बैठे रहेंगे तो बाहर क्या बेटियाँ सुरक्षित रहेंगी...? निकल जाओ अभी के अभी इस घर से और दोबारा अपनी सुरत मत दिखाना.....। सुजाता नीरज को बेइज्जत कर ही रही थी कि तभी वहाँ छोटे बेटे को गोद में लेकर सुजाता का पाती मोहित आ जाता है और शोर सुनकर सुजाता से कहता है " अरे सुजाता क्यों डांट रही ही नीरज को किया क्या है इसने....? 


मेरा बस चले तो मैं इसे पुलिस के हवाले कर दूँ ये है ही इस लायक.....। नीचे कहीं का.....। गंदी नाली का कीड़ा.....। मेरी ही बेटी मिली थी अपने हवस की आग बुझाने के लिए छीः.....।


ये क्या कह रही हो सुजाता...आश्चर्य से मोहित कहता है ..।


सही कह रही हूँ...आपका नीच भाई मेरी बेटी के साथ कुकर्म कर रहा था वो तो शुक्र है कि मैं वक्त पर आ गई और इसे रंगे हाथों पकड़ ली वर्ना ये नीच गलीज क्या नहीं कर देता मेरी नादानी बच्ची के साथ....? वो तो अच्छा हुआ कि मुझे थोड़ा शक हुआ तरु की हरकतों को देखकर तो मैं उसे देखने आ गई....। 


सुजाता के मुँह से ये सब सुनकर मोहित का खून खौल उठता है वो अपने पैर से चप्पल निकालता है और नीरज को मारते मारते घर के दरवाजे से बाहर निकल देता है और कहता है " आइंदा अपनी शक्ल मत दिखना वर्ना जेल की सलाखों के पीछे पहुँचा दूँगा...। छीः मुझे शर्म आती है तुझे अपना खून कहते हुए भी निकल जा मेरे घर से ...। 


भैया मुझे माफ कर दीजिए...भाभी मुझे माफ कर दीजिए..। मैं अपने वश मैं नहीं था...। प्लीज भैया माफ का दीजिए...। आप लोगों के सिवा मेरा इस दुनिया में है ही कौन...? मैं कहाँ जाऊँगा....?।प्लीज भाभी..मैं बहक गया था...। माफी के लिए नीरज गिड़गिड़ाता रहा पर सुजाता और मोहित उसकी एक नहीं सुने और उसे चेहरे के सामने दरवाजा बंद कर लेते हैं...। 


फिर दोनों तरु के पास जाते हैं जो अभी भी रो रही थी उसके आँखों से आंसू पोछते हुए सुजाता कहती हैं " अब बस और नहीं बेटा चुप हो जाओ " । अब से मम्मा आपकी हर बात ध्यान से सुनेगी....। मुझे माफ कर दो बेटा कहकर तरु को सीने से लगा लेती है....। 


प्रिय पाठकों हम कई बार अपने बच्चों को इग्नोर कर देते हैं पर वो अपनी जिद्द और अपने गुस्से से हमें कुछ बताने की कोशिश करते हैं पर हम अपनों पर संदेश की सुई नहीं घूमा पाते इसलिए अपने बच्चे की जिद्द और गुस्से का कारण जानने की कोशिश करे ना कि अपनी मर्जी थोप दे.....। 


नोट : इस कहानी के माध्यम से आप लोगों के समक्ष सिर्फ अपने विचारों को रख रही हूं । ये रचना पूरी तरह से मेरी लिखी हुई है । आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताइएगा और पसंद आएं तो लाइक कमेंट और शेयर करें । आप मुझे फॉलो भी कर सकते है । आपके कमेंट आपके सुझाव मेरे लिए बहुत मायने रखती है इसलिए दिल खोल कर सुझाव दे........



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy