जुदा होके भी तू मुझमें बाकी है
जुदा होके भी तू मुझमें बाकी है
दोस्ती यारी
"जुदा होकर भी तू मुझमें कहीं बाकी है"
प्रिय अनमोल, क्या कहूं तुम्हें जो खुद में ही अनमोल हैं उसे मैं क्या कह कर पुकारूं......सच में तुम अनमोल हो अनमोल..... बेशकीमती जिसे हम खरीद नहीं सकते.....। एक बार फिर तुमसे बेइतेहा प्यार हो गया मुझे जिसे मैं जन्मों जन्म तक अपने आत्मा में जिंदा रखूंगी।
हमारा प्यार आंखों ही आंखों में शुरू हुआ था जब तुमने पहली दफा दीदी की शादी में देखा था। तुम्हारी आंखों की चमक आज भी मुझे याद है जिसमें मुझे सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही दिखा था। खामोश लब तुम्हारे तुम्हारी शालीनता को दर्शा रही थी। तुम्हारा व्यवहार मुझे तुम्हारी तरफ खींच रहा था। सच में आज के जमाने के लड़के इतने भी सीधे हो सकते है मैंने सपने में भी नही सोचा था।
हमारी तुम्हारी मुलाकाते बस यूं ही खामोशियों से होती रही तुम अपनी आंखों से प्रेम का इजहार रहते रहे और मैं उस प्रेम को महसूस करती रही। मैं भी कितनी बावली थी जब तुम्हे ख्वाबों में देखती और तुम अपनी आगोश में मुझे भर लेते थे और हौले से प्रेम का चुम्बन मेरे माथे पर दिया करते थे तो मैं डर जाती थी कि कहीं कुछ गलत ना हो जाएं।
सच्ची मैं कितनी बुधु अनजान थी इस प्रेम से इस आलिंगन से। तभी तो बच्चों वाली सोच थी हमारी। पर तुम प्रेम में आसक्त एक संपूर्ण पुरुष मुझे कभी काम वासना की नजरों से नही देखा क्यूंकि तुमने मुझसे सच्चा प्रेम किया था। जब हमारा प्रेम प्रफुलित होने वाला था तब तुमने एक दम से मेरा हाथ छोड़ दिया। जब मैने तुमसे जन्मों जन्मों का रिश्ता जोड़ने की बात सोचने लगी तब तुम ऐसे हवा में विलीन हो गए जहां से ढूंढ लाना असंभव था अनमोल......असंभव था.....।
देखो तुम्हारे लिए मंडप सजी थी, डोली सजी थी। हाथों की मेंहदी जिस पर सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा नाम लिखा था उसे मिटा कर तुम ऐसे चले गए जहां से मैं तुम्हे वापस नहीं ला सकती थी। कभी नहीं। तुम कहां हो अनमोल तुम कहां हो। सिर्फ एक बार मुझको आवाज लगा दो मैं भागी चली आऊंगी अपने प्रेम के पास.....! क्या कमी रह गई थी मेरे प्रेम में अनमोल जो तुम ऐसे दामन छुड़ा कर चले गए......? जहां से लौट आना इतना मुश्किल था.......!
अंतिम पंक्ति में लिखा था .......
अब सवाल और जवाब का कोई मतलब नहीं रह गया अनमोल क्यूंकि अब तुम्हारी अमु किसी और की हमसफर बनकर तुम्हारी जिंदगी से सदा के लिए जा रही है पर तुम्हरा प्रेम अपने साथ लेकर जा रही हूं जिसे अंतिम सांस तक संभाल कर रखूंगी.......। मैं भले ही किसी की पत्नी बनकर जा रही हूं पर तन और मन सिर्फ तुम्हारा है अनमोल सिर्फ तुम्हारा। इस पर सिर्फ तुम्हारा नाम लिखा है जो कोई नहीं मिटा सकता।
तुम्हारी प्रेम दीवानी
अमु
दरअसल अमु और अनमोल अमु की दीदी की शादी में मिले थे। अनमोल अमु की दीदी के पति का दोस्त था। शादी के दौरान अमु की मुलाकात अनमोल से होती है। अनमोल काफी गंभीर किस्म का शांत लड़का था। अच्छे घराने का भी था। अनमोल के आंखों की कसक ने अमु को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था।
उसकी आंखे नही दर्द से भरी उफनती नदी सी थी जो समेटना चाहती थी किसी सागर में और इसी सागर की तलाश में अनमोल की मुलाकात अमु से हुई। जो खुद में ही एक प्रेम से लबालब सागर की गहराईयों सी थी। दोनो का प्रेम खामोशी से दिल में उतरने लगा। लड़का अच्छा है ये सोच कर अमु के घर वाले अनमोल से ब्याह तय कर देते है पर ब्याह की पूरी रात अनमोल के इंतजार में कट जाती है पर अनमोल का कही अता पता नहीं चलता।
अमु अपने प्यार को इस तरह खो कर बिखर चुकी थी। वो तो अपनी जिंदगी ही खत्म कर देना चाहती थी पर कही न कही अनमोल की प्यार भरी आंखें उसे ये उम्मीद दे जाती की वो जहां कही है लौट कर आएगा एक दिन। दिन महीने साल यूं ही गुजरते गए पर कही भी अनमोल का पता नहीं चला। ना ही अमु को और ना ही अनमोल के घर वाले को। अब तो सब ने उम्मीद भी छोड़ रखी थी।
अनमोल के पिता को तो उसी दिन समझ आ गया था जब उस रात जब अनमोल दोस्तों के साथ शादी की पार्टी करके मसूरी से दिल्ली घर लौट रहा होगा तो जरूर किसी हादसे का शिकार हो गया होगा तभी तो वो न ही लौट के आया और न ही कोई चिठ्ठी या संदेश भेजा। किसी दोस्तों को भी अनमोल की कोई खबर नहीं थी। उस रात घर लौटते वक्त क्या हुआ था ये बात सिर्फ और सिर्फ अनमोल ही जानता था क्योंकि वो अपनी गाड़ी से घर लौट रहा था।
देर रात सुनसान रास्ते पर क्या घटना घटी ये बात न ही पुलिस को पता चल सकी और ना ही किसी घरवाले को। हां गाड़ी जरूरी टूटी फूटी अवस्था में मिली थी। करीब तीन सालों बाद अमु के पापा और अनमोल के पापा ने अमु की शादी करने का फैसला किए ताकि अमु अपनी बाकी की जिंदगी किसी और का प्रेम पाकर निभा सके। यही सोच कर पास के शहर में रहने वाले आलोक से अमु की शादी तय हो जाती है। अमु बिना लड़के को देखे हां कर देती है क्योंकि अब उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि उसकी शादी किसके साथ हो रही थी।
आज फिर से मंडप सजा था। हाथों में मेंहदी रची थी पर वो खुशी नहीं झलक रही थी अमु की आंखों में जो खुशी आज से तीन साल पहले अनमोल के लिए झलक रही थी। आज एक आखरी बार अमु अपने प्रेम को महसूस करना चाहती थी अपनी भावनाओं से इसलिए एक प्रेम भरा पत्र लिखा अनमोल के नाम जिसे वो संभल कर अपने पास रखना चाहती थी ताकि कभी भी उसे उसके प्यार की कमी महसूस हो तो वो उस पत्र के माध्यम से फिर से जीवंत कर ले।
पत्र में लिखे एक एक शब्द आंखों के आंसू बनकर कागज पर लुढ़क रहे थे पर उस आंसुओं को रोकने वाला अनमोल आज इन्ही कागजों में दफन होने वाला था। पत्र को सीने से लगा कर आज अमु ऐसे रोई मानो अनमोल की अर्थी उठी हो फिर आंसुओं को पोंछ कर उस पत्र को संजो कर अपने संदूक में रखा और निकल पड़ी किसी अजनबी को अपने झूठे प्यार से छलने..।।।
मंडप पर पहुंच कर अमु ने अपने होने वाले पति को देखा तो देखकर दंग रह गई। हू ब हू अनमोल सी छवि पलभर के लिए तो वो ठहर सी गई। वही आंखे वही ठहरे खामोश लब, वही शालीनता...... क्या ये अनमोल ही है। नही नही ये अनमोल नही हो सकता.....ऐसा सोचते हुए वो अपने कदम आगे बढ़ती है और शादी की रस्मों को निभाती है।
जैसे जैसे शादी के मंत्रोच्चार हो रहे थे वैसे वैसे अमु की आंखों से आंसुओं की अनगिनत धाराएं अनमोल के नाम की बहती जा रही थी। शायद उस मंत्रोच्चार के साथ अनमोल की यादें भी एक एक करके स्वाहा हो रही थी। कई बार आलोक ने रोकना चाहा अमु को पर नही रोक पाया शायद अभी इतना हक नही था उसका अमु पर।
शादी की रस्में यूं ही भींगी पलकों तले पूरी होती गई और विदाई की घड़ी आ गई। पूरा घर अमु की रुलाई देखकर गमगीन हो गया। मां को बाहों में भरकर अमु फूट फूट कर रोई। पिता ने अपनी बेटी का हाथ जमाई के हाथों में देते हुए बस ये ही दो शब्द कह पाए " जमाई बाबू मेरी बेटी नादान है उसे इतना प्यार दीजिएगा की वो अपनी मायके की यादों को भूल जाएं और बस आपकी होकर रह जाएं।
आलोक ने भी सभी से वादा किया कि वो अमु की आंखों में आज के बाद कभी आंसू नहीं आने देगा। विदाई की बेड़ा हो चुकी थी। गाड़ी अपनी गंतव्य पर निकल चुकी थी और अमु अनमोल को अपनी पीहर की गलियों में छोड़कर आगे बढ़ चुकी थी। आंसुओं के बोझ ने उसे इतना थका दिया था कि उसका शरीर निढाल होकर आलोक के कंधे पर गिर गया।
आलोक ने भी अपने जिम्मेदार कंधों पर एक ऐसी लड़की की जिम्मेदारी ले रखा था जिसका कर्जदार था वो। कैसे भूल सकता था वो रात जब वो जिंदगी और मौत से लड़ रहा था। वो तो बेजान हो चुका था अगर अनमोल ने उसे अपनी सांसे ना दी होती। आज जिंदा है तो सिर्फ और सिर्फ अनमोल की वजह से।
उसका ही दिल मेरे सीने में धड़क रहा है। उसकी ही आंखे उसकी प्रियतमा को निहार रही है। क्या कभी मैं ये राज बता पाऊंगा अमु और अनमोल के घरवाले को......? नही बता सकता क्योंकि अनमोल ने जाते जाते मुझे अपना राजदार बना गया। मैं कर्जदार रह गया अनमोल आपका और अमु का।
उस रात जब अनमोल पार्टी से घर लौट रहा था तब अनमोल की गाड़ी का एक्ससीडेंट हो जाता है। गाड़ी सीधा खाई में गिर जाता है। वहां से अनमोल को हॉस्पिटल पहुंचाया जाता है जहां उसका इलाज चल रहा था। उसकी हालत बहुत नाजुक थी। उसके बचने की जरा सा भी उम्मीद नहीं बची थी इसलिए अनमोल के पहले लिखित दस्तावेज में जो कभी वो दर्ज किया होगा उसके अनुसार अपने अंग का दान का जिक्र किया गया था।
उसने अपना दिल और आंख दान देने को कहा था। ताकि उसका दिल हमेशा धड़कता रहे और उसकी आंखें दुनिया देखती रहे। डॉक्टर ने वही किया अनमोल की आंख और उसके दिल को एक ऐसे मरीज को दिया जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। वो था आलोक। जिसे दिल की बीमारी थी। वो जिंदगी और मौत से जूझ रहा था और उसकी एक आंख की रोशनी भी चली गई थी।
जिस अस्पताल में आलोक था ठीक उसी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में अनमोल को भर्ती किया जाता है। डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की अनमोल के माता पिता से संपर्क करने की पर मोबाइल फोन नही होने की वजह से ये संभव नहीं हो पाया। चूंकि अनमोल दिल्ली का था और एक्ससीडेंट् मसूरी में हुआ था इसलिए ढूंढना और भी मुश्किल हो गया था। पर जाने वाले को कौन रोक सकता है। मृत्यु तो अटक सत्य है उसे रोकना यानी भगवान को चुनौती देना समान है।
पुलिस और आलोक के घरवालों ने मिलकर अनमोल का दाह संस्कार कर देते है। जब आलोक को होश आता है तो वो उस व्यक्ति से मिलना चाहता है जिसने उसकी जान बचाई हैं पर उसे निराशा मिलती है यह जानकर की वो अब इस दुनिया में नही रहा। कुछ दिन अस्पताल में रहकर आलोक को छुट्टी मिल जाती है और वो अपने घर आ जाता है। घर आने के बाद उसके माता पिता अनमोल के पर्स में रखी एक पर्ची और एक छोटी सी फोटो निकल कर आलोक को देते हुए कहते है " ये पर्ची और फोटो उसी भले आदमी के पॉकेट से निकाला था जिसने तुझे नई जिंदगी दी है।
आलोक उस पर्ची को खोल कर देखता है जिसमें कुछ पंक्तियां लिखी हुई थी " मेरी सांसों की तरंगे सिर्फ तुमसे ही है मेरी अमु .....तुम्ही मेरी विचारों की मल्लिका, तुम्ही मेरी रक्तवाहिनी, तुम्ही मेरी जीने की आखिरी तमन्ना......जब तक मेरी रगों में खून का एक भी कतरा बाकी रहेगा तब तक मेरे लबों पे तुम्हारा ही नाम रहेगा मेरी अमु......... चंद पंक्तियां में प्रेम की पूरी कहानी लिखी हुई थी। साथ में एक पासपोर्ट साइज की अमु की फोटो उस पर्ची के साथ ऐसे लिपटी थी मानो दो जिस्म एक जान......!
ओह ! कितनी मोहब्बत करता होगा अनमोल उस अमु से जिसे व्यक्त करना असम्भव है। पर शायद भगवान ने मुझे इसलिए बचाया ताकि मैं अनमोल और अमु के प्रेम की एक करी बन सकूं। कैसा इतेफक था ये आया भी अनमोल तो आलोक के पास ही ताकि अनमोल का दिल और आंखे आलोक को मिल सके जिस पर सिर्फ और सिर्फ अमु का हक था। यही सोच कर आलोक ने अमु को ढूंढने का फैसला किया। काफी दिनों तक छानबीन करने के बाद आखिरकार अमु का पता चल ही गया।
आलोक के घरवाले आलोक का रिश्ता लेकर अमु के घर गए। आलोक जैसा लड़का देखकर अमु के घरवाले भी माना नही कर सके और शादी हो जाती है। विचारों की उड़ेरबु न में उलझा ही हुआ था कि गाड़ी झटके से रुकती है। अमु धरफरा कर उठ जाती है और आलोक भी अपने वर्तमान में लौट आता है। गृहप्रवेश के बाद अमु को अपने कमरे में आराम करने के लिए भेज दिया जाता है पर आलोक की बैचैनी बढ़ती चली जाती है। वो सच को बताए बिना अमु के जीवन में अपनी जगह नहीं बनना चाहता था इसलिए उसने सोचा कि अमु को अनमोल के सच से अवगत कराए।
रात को जब आलोक कमरे में गया तो अमु भी काफी बैचेन थी। वो भी शायद कुछ कहना चाहती थी आलोक से। अमु कुछ कहना ही चाह रही थी कि आलोक ने उसे ये कहते हुए रोक दिया कि उसे भी कुछ कहना है जो उसके अतीत से जुड़ा हुआ है। अतीत शब्द सुनकर फिर से अमु पल भर के लिए ठहर सी गई। फिर आलोक ने जैसे जैसे अनमोल के बारे में उसे सुनाने लगा अमु फूट फूट कर रो पड़ी। रोते रोते वो जमीन पर निढाल होकर गिर पड़ी। उसने कितना गलत सोचा अनमोल के बारे में।
उसे लगा अनमोल किसी और के साथ चला गया। शायद वो मुझसे पीछा छुड़ाना चाहता था इसलिए पर अनमोल तो सच में अनमोल निकला जिसने जाते जाते किसी की जिंदगी सवार कर गया। उसे जीवनदान दे कर गया। अनमोल मर कर भी अपने प्रेम को उसके लिए छोड़ गया " वो दिल जिसमें सिर्फ और सिर्फ अमु का नाम लिखा था " .......वो नजर जो सिर्फ और सिर्फ अमु को देखना चाहती थी.......। आज अमु का प्रेम सफल हो गया। आज अनमोल की मोहब्बत के सामने अमु की चाहत बहुत छोटी पर गई.....।
आलोक के सीने से लग कर उसने अनमोल को पा लिया। आलोक ने भी वादा किया अमु से की उसके प्रेम को हमेशा जिंदा रखेगा जब तक अमु चाहेगी.......!!

