सुरभि रमन शर्मा

Romance

4  

सुरभि रमन शर्मा

Romance

पिया तोह से नैना लागे रे

पिया तोह से नैना लागे रे

3 mins
323



         "मेरे ख्वाबों में जो आए, 

         आकर मुझे छेड़ जाए" 


आज ये गाना मेरे दिल दिमाग और जुबान पर पूरी तरह से काबिज था । बात कुछ यूँ थी कि जिसका तस्सुबर तस्वीर देखकर 6 महीनों से मेरी आँखे कर रही थी आज शाम उससे रूबरू होने का वक्त आ चुका था ।डरी थी, घबड़ायी थी या लजायी थी, ये मुझे अब 9 साल बाद याद नहीं, अब याद है तो बस उस सतरंगी पल की कुछ खाट्टी - मीठी बातेँ ।तो किस्सा कुछ यूँ है हमारी पहली मुलाकात का ।


कितनी भी पढ़ी लिखी हो, कितनी भी आत्मविश्वासी हो पर शादी की बात जब चलती है और लड़कियों को सिलेक्ट करने के जो पैमाने हैं वो मन में खलबली तो मचा ही देते !पापाजी (ससुरजी) इनके मौसा जी, और मामाजी देखने आए और हर तरह से आश्वस्त कर नेग पकड़ा दिया गया था पर फ़ाइनल बात तो अभी लड़के के हामी पर टिकी हुई थी ।इसके बाद तीन महीने तक कोई खबर नहीं अचानक से फिर एक दिन फोन आया लड़का छुट्टी लेकर आ रहा है, आप लोग भी लड़की ले के आइए, उस समय मेरी बी ऐड की काउन्सिलिंग चल रही थी और वाराणसी में मई - जून की गर्मी में आपको बाहर निकलना पड़े तो आप भले स्नो व्हाइट क्यों न हो पर आपके चेहरे को काली मैया का स्वरूप लेने से कोई रोक नहीं सकता और मध्यमवर्गीय शहर से हूँ इसलिए ब्यूटी पार्लर की सेवाओं के प्रति इतनी सजग नहीं थी । 


खैर पहुंची वहाँ जहाँ ये देखने दिखाने का कार्यक्रम था ।शाम में ये लोग आए मैंने पर्पल साड़ी पहनी थी, और ये साहब भी पर्पल शर्ट में ही पधारे थे और सर ऐसे नीचे झुका के बैठे थे जैसे ये मुझे नहीं मैं इन्हें देखने आयी हूँ ।फिर दौर शुरू हुआ परिवार वालों के सवाल जवाब का जिसमें सवाल करते करते मुझसे एक क्वेश्चन किया गया।


"आप संयुक्त परिवार पसंद करती हैं या एकल परिवार ?"


बिना सोचे समझे मेरे मुँह से निकला" दोनों", सबको संयुक्त परिवार के उत्तर की आशा होगी इसलिए सब मुझे हैरान होकर देख रहे थे। और इन्होनें इस जवाब पर मुस्कुराते हुए आँखें उठा कर मुझे देखा और मेरी नजर भी उसी समय मिल गयी इनसे बस फिर और क्या - - - पिया तोह से नैना लागे रे!!!! 


फिर कहने को अकेला छोड़ा गया पर कुछ ससुराली रिश्तेदार साथ में आकर बैठ गए अच्छा तो नहीं लग रहा था पर कुछ कर नहीं सकती थी वैसे तो बहुत चालाक नहीं हूँ पर उस दिन पता नहीं दिमाग कहाँ से इतना चल रहा था।अंग्रेजी भाषा को उस दिन पहली बार मैंने मन ही मन इतना धन्यवाद दिया और बातें शुरू हुई जिसको सुनना है सुनो पर समझ तो सिर्फ हम दोनों ही रहे थे ।


 तो अलमोस्ट सब कुछ फ़ाइनल पर बिहार की एक खासियत है 80%शादियाँ बिना तमाशे के नहीं होती तो मैं कहाँ से बचती पर फाइनली अगले दिन सगाई की अंगूठी मेरी अंगुलियों में थी और आउटफिट फिर से मैचिंग थे, मैं पिंक लहंगा, ये पिंक शर्ट और ये मिक्स एंड मैच आज तक चला आ रहा है हमारी प्लानिंग नहीं रहती पर ज्यादातर तैयार होने के बाद हम देखते हैं कि हमने मैचिंग कलर पहना हुआ है, और हमेशा हमारी मैचिंग ईश्वर ऐसे ही बनाए रखें ।


"बस ये सतरंगी पल ये यादें हमेशा साथ रहे 

तेरे हाथों में मेरा और मेरे हाथ में तेरा हाथ रहे ।"



       



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance