पिया के साथ अंताक्षरी..
पिया के साथ अंताक्षरी..
तेरे खामोश होंठो से, मोहब्बत गुनगुनाती है..
मैं तेरी हूं तू मेरा है,, यहि आवाज आती है..
अच्छा, सुनिए तो जरा....
जी,,, कहिये तो जरा..
चलिए,, आज खामोशी पर कोई गीत सुना दो..
एक क्यों यार,, बहुत सुना देता हूं..
देखिए ,, ज्यादा न तुर्रम खान बनने की जरूरत नहीं है.. एक ही सुना दीजिए ,, बस..
अच्छा जी,, अब तक दिल से हारने की ख़लिश गई नहीं लगता है,,,,
अब यहां हार जीत कहां से आ गई.. एक गीत ही तो गाने बोले न...
अरे जान मेरी,, मैं तुम्हारी नस नस से वाकिफ हूँ... दिल में ये डर है कि कहीं अंताक्षरी के लिए ना बोल दें..
आप ना,,, ज्यादा तीस मार खां मत समझिए खुद को.. एक बार क्या हरा दिए,, चले हैं शेखी बघारने...
यार सब्जी दाल को बघारा जाता है क्या,, ये शेखी कौन सी सब्जी होती है..
अच्छा,, आपको नहीं पता..
नहीं पता,, तभी तो पूछ रहे हैं न..
कुछ ज्यादा मासूम नहीं बन रहे हो आप...
अजी,, बनने की क्या जरूरत.. हम तो पैदा ही मासूम हुए हैं..
उफ्फ्फ,, आपका क्या करें हम...
हम बताएं कि क्या करना है..
बता दीजिए,, मना करने से तो मानने वाले नहीं आप...
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अरे,,, अब चुप क्यों हैं,, और यूं टुकुर टुकुर क्या देख रहे हैं..
नजरों ही नजरों में गिला है.
नजरों ही नजरों में गिला है..
तुम भी चुप और हम भी चुप..
दिल कहता है दिल सुनता है.
तुम भी चुप और हम भी चुप..
वाह वाह वाह वाह वाह,,,, आपने तो पुराने दिन याद दिला दिए ये गीत गाकर.. एक जमाना था, जब हम दिन दिन भर इनके गीत सुना करते थे.. आरज़ू बानो की आवाज़ में है न ये गीत..
सारे गीत बेहद शानदार हैं..
ओये,, हम कोई गीत नहीं सुना रहे हैं समझीं.. शुरू किया है और तुम खत्म करो.. खामोशी पर...
ये अच्छी जबरजस्ती है.. हमे नहीं खेलना तो बस नहीं खेलना....
ऐसे नहीं डरते मेरी नकचढी...
हम नहीं डरते वरते..
तो आ जाओ फिर मैदान में...
पहले हम...
ओके जी,, पहले तुम .. किन्तु..
अब ये किन्तु परंतु क्यों..
वो इसलिए मोहतरमा,, क्योंकि आप जरा जिद्दी हैं,, तो पहले बता देते हैं कि खामोश का मतलब चुप भी होता है.. तो किसी भी गीत की लाइन में ये दोनों में से एक शब्द आ सकता है..
हो गई न शुरू आपकी चालाकियां... हमे क्या याद नहीं, आपका वो घाघरा वाला गीत,,, देखो, सीधे से खेलिए..
एक मिनिट,, एक मिनिट,, वो घाघरा वाला गीत सच में है,,
यार तुमने कभी सुना नहीं तो मेरी क्या गलती..
अच्छा ठीक है.. हम गायें..
इरशाद जी...
चुपके चुपके रात दिन
आँसू बहाना याद है.
हम को अब तक आशिकी का
वो जमाना याद है.
धत तेरे की...
क्या हुआ..सही तो गाया हमने..
यार शुरू में ही रोना धोना...
अब जो आता है वो गा दिया.. आप हँस लीजिए..
ओके,, सुनो..
दो दिल मिल रहे हैं,
मगर चुपके चुपके.
सबको हो रही है..
खबर चुपके चुपके..
क्यों कैसी रही..
अजी खूब रही,,,आप जरा अंतरा भी गाया करिए न.. कितना अच्छा गाते हैं..
अच्छा जी,, तुम्हें हम क्या बुद्धू नजर आते हैं..
नजर आने की क्या जरूरत है..
ओये,, ज्यादा न शैतानी नहीं,, हमें सब पता है.. अंतरा इसलिए गवाया जा रहा है ताकि मेमसाब को सोचने के लिए वक्त मिल जाए...इसलिए ज्यादा होशियारी नहीं.. चलो शुरू हो जाओ..
ओके ओके. लीजिए सुनिए,,,
खामोशियां आवाज हैं,,
तुम सुनने तो आओ कभी,,
छुकर तुम्हे खिल जाएगी,,
घर इनको बुलाओ कभी,,
बेकरार हैं बात करने को,,,
कहने दो इन्हें जरा...
वाह वाह वाह.. जियो मेरी जान.. अब अपनी बारी..
हमने ख़ामोशी से तुम्हे दिल में बसाया है,,,
हो ना खबर अब किसी और को...
तुम्हे अपना बनाया है,,,,
हमने ख़ामोशी से तुम्हे दिल में बसाया है...
चलो जल्दी,, शुरू हो जाओ,,,
उफ्फ,, थोड़ा वक्त तो दीजिए न...
नहीं नहीं,, जल्दी शुरू करो..
ओके ओके..
चाँद छुपा बादल में शरमाके मेरी जाना,,,
सीने से लग जा तू, बलखाके मेरी जाना...
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है,,
मद्होश है, खामोश है..
ये समा हाँ ये समा, कुछ और है,,
ओये होए,,, मेरा चाँद तो मेरे सामने बैठा है...
चलिए छोड़िए,, बातेँ मत बनाइये.. अब आपकी बारी..
हाँ जी हाँ.. गाते हैं.. लीजिए सुनिए..
चुप चुप बैठे हो जरूर कोई बात है.
पहली दूसरी तीसरी मुलाकात है जी चौथी मुलाकात है..
ओये हैलो.. कुछ भी मत गाईये आप..
अरे,, क्या गलत गाया भई.... चुप चुप मतलब भी खामोश होता है न..
आप बस चालाकी कर सकते हैं.. आए बड़े..
अच्छा चलो,, आज न मैं जीता न तुम हारी.. इसे सेलिब्रेट करते हैं..
कैसे...
चलो शाम को रंगीन बनाते हैं.. बाहर चलते हैं...
सच..
मुच..
एक बात कहें आपसे...
जरूर..
,,,,,,,, जब खामोश आँखो से बात होती है
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,,,,,,
,,,,,, आपके ही ख़यालो में खोए रहते हैं
पता नही कब दिन और कब रात होती है,,,,
और उसके बाद.......

