Nandita Srivastava

Tragedy

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Nandita Srivastava

Tragedy

पिंजरा

पिंजरा

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आप लोग कैसे हैं? आशा करती हूँ।कि कुशल मंगल होंगे ।आशा करते हैं आप लोग परिवार के साथ ठीक ठाक होगें। चलिये शाम की चाय पीते पीते कुछ बात चीत हो जाये । हम को तो बैठकर ऐसा लग रहा है कि जैसे हम पिजरें में कैद हो गये हैं तो वही हम सोच रहे हैं कि एक पंछी को कैद जब करते हैं तो कैसा महसूस होता है। जो नभ में उन्मुक्त भाव से उड़ता है कलाबाजियाँ दिखाता है जहाँ मन करता है वहाँ बैठ जाता है ना कि हर समय एक जगह रहना पंसद है।फिर हम क्यों कैद करते हैं अपने अन्तर्मन की पल की खुशियों के लिये यह तो सरासर गलत है। वाकई उस निरीह के अनुभव को सोचकर ही मन घबरा जाता है ।वास्तव में देखा जाये हम यह अनाचार ही तो कर रहे हैं। चलिये आप लोगों का मन अधिक ना भारी करते हुये आज बस यहीं तक ।स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें।


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