पहला प्यार और बारिश की बूंदे
पहला प्यार और बारिश की बूंदे
आज अनुभा अपनी बगिया में पानी देने के लिए बाहर निकली।सुबह सुबह का टाइम था बड़े अच्छे-अच्छे अपने विचारों में खोई हुई थी कि जिंदगी भी क्या रंग दिखाती है। तभी बरसात के मौसम की पहली बरसात की एक बूंद उसके ऊपर पड़ी, और उसके विचारों में दिशा बदल दी। और उसको अपने किशोरावस्था के प्यार में पहुंचा दिया। सोचने लगी क्या दिन थे वे भी जब सब साथ में मिलकर खेला करते थे। बचपन से साथ खेले कभी किसी को किसी के प्रति कोई भाव नहीं जागा दोस्ती का भाव है।निर्दोष मस्तियां थी मगर उस दिन और कोई आया नहीं था। मैं और अनुज दोनों झील के किनारे बैठे थे, दोस्तों के आने का इंतजार कर रहे थे।तभी बादलों की गड़गड़ाहट हुई और एकदम से बरसात आने लगी । वर्षा की बूंदे हमारे ऊपर पड़ी हम भीगने लगे।
मैं घर की ओर भाग रही थी कि चलो बरसात आ रही है ,जल्दी चलो।
तभी अनुज ने मेरा हाथ पकड़ लिया उसने कहा अभी तक तो मुझे पता ही नहीं लगा था कि मैं तुमको प्यार करता हूं। प्यार करने लगा हूं अब मैं तुमको बहुत प्यार करने लगा हूं।
क्या तुम मेरा प्यार स्वीकार करती हो। मैं इतनी घबराई उसका हाथ छुड़ाकर जल्दी से घर में घुस गई। उसके बाद में मेरा दिल इतना जोर से धड़कने लगा मुझे कुछ समझ में नहीं आया यह क्या हो रहा है।
अभी तो हम आठवीं नवमी में पढ़ते हैं अभी यह प्यार वाली बात कहां से आ गई।
जो कभी जेहन में सोचा भी नहीं था वह कैसे हो सकता है। मगर दिल तो पागल है जो उसने बोला दिल उसी की तरह खींच कर चला गया। और धड़कने लगा । अब हम सबके साथ होते हुए भी चोरी-चोरी एक दूसरे को देखते । आंखों ही आंखों में बातें करते।और हमारा प्यार परवान चढ़ रहा था इसी बीच जब ग्यारहवीं क्लास के बाद में कॉलेज जाने का समय आया तो उसने कहीं दूसरे शहर में जाकर मेडिकल में एडमिशन ले लिया।और मैं मेरे शहर में ही बीएससी करने लगी। घर वालों को कभी कुछ बताया नहीं और मेरी यहां शादी हो गई। जिंदगी अच्छे से बसर हो रही है पति और घरवालों से बच्चों से सब से बहुत प्रेम है। बच्चों की शादियां हो गई है। पता नहीं अनुज कहां होगा क्या कर रहा होगा।
आज बरसात की पहली बूंद ने मेरे किशोरावस्था के प्यार को और बचपन को याद दिला दिया सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू वह निर्दोष प्यार । क्या दिन थे वेभी। शादी के बाद कभी उससे मिलना भी नहीं हुआ, कभी ध्यान भी नहीं आया। मुझे लगता है वह किशोरावस्था का आकर्षण था प्यार नहीं । बरसात की बूंदे मेरे ह्रदय को छू कर चली गई। अनुज जहां कहीं भी हो क्या तुम कभी मुझे याद करते हो । आज मैंने तुमको इतने सालों बाद याद किया है। अच्छे रहना जिंदगी में खुश रहना।
मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश हूं। आशा करते हैं जिंदगी में कभी आमना सामना होगा ।
इस तरह उसके विचार लंबे चलते रहे और अनुभा बगिया में पानी देकर विचारते विचारते घर में आ गई ।सोचने लगी मां से पूछूंगी वे लोग कहां है । और अपने काम में लग गई ।
एक बरसात की बूंद ने उसकी याददाश्त को कहां से कहां पहुंचा दिया। यादें अतित में पहुंचा देती हैं। अच्छी होती है तो खुशी देती है बुरी होती है तो दुख देती है। स्वरचित कहानी 28 अक्टूबर 21

