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sunayna mishra

Abstract

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sunayna mishra

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पड़ोसी

पड़ोसी

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बड़े शहर के अंदर का गाँव, या मोहल्ला।आधे से अधिक मकान अभी भी कच्ची छत, छप्पर या खपड़ैल के। निम्न एवम निम्न मध्यम वर्ग के लोग।

चौधरी के घर बिना जहर का सांप निकला।

चौधरी ने लाठी पर उसे लटका कर गली में थोड़ी दूर जाकर खाली मैदान की ओर उछाल दिया। हो गई गड़बड, जिंदा सांप यादव के मकान की छत पर गिरकर 

 खपड़ैल के अंदर जा छिपा।

यादव और चौधरी में बहस शुरू। पड़ोसी एकत्रित।

सहमति बनी की संपेरे को बुलाकर सांप हटवा दिया जाए जिसका पैसा चौधरी देगा। सौ रुपए तय करके संपेरा आया। बीन बजाई।

छत पर चढ़कर खपड़ैल से सांप पकड़ा, लहराया, सबको दिखाया, अपने झोले में रखकर उतरा।

चौधरी तुनक गया। 

बोला --- मेरा सांप तो भूरा था, ये तो काला है, मेरे वाला नहीँ है।

संपेरा पुनः खपड़ैल पर चढ़ा, ढूंढ कर भूरा सांप भी पकड़ कर ले आया। वो भी बोरे में बंद। अब फिर बहस शुरू।

चौधरी का कहना था अब सिर्फ पचास रुपये देगा,बाकी के पचास अब यादव दे कयोंकि उसका काला भी तो संपेरे ने पकड़ा है।

आखिर पचास पचास रुपए के योगदान पर जनता ने सहमति बनवा ही दी।


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