पार्ट 3, क्या अनामिका वापस आएगी ??
पार्ट 3, क्या अनामिका वापस आएगी ??
एम्प्लॉयमेट न्यूज़ पेपर में से दो जॉब अपने मुताबिक निकालकर अंकित ने अलग रख लिए, और अनामिका के लिए नोट्स बनाते बनाते सो गया
अगली सुबह जल्दी उठ, दोनों जगह इंटरव्यू दिए ..पर हुआ कुछ नहीं, इंटरव्यू देकर सीधे ही शाम को अनामिका के घर गया तो दरवाजे पर पैर रखने से पहले ही गेट खुल गया...और सफेद ड्रेस पहने अनामिका सामने ही खड़ी दिखी...बिल्कुल सफेद.. गुलाब जैसी ...खूबसूरत
"अरे,अंकित जी..आइये ..आइये...आप बैठिए ,मैं कुछ खाने को ले आती हूँ आपके लिए" उसने चहकते हुए कहा
"अरे ,प्लीज़ आप मेरे लिए परेशान मत होइए"अंकित ने कहा, लेकिन वो अनसुना कर अंदर चली गयी..और जितनी जल्दी गयी उतनी ही जल्दी चाय की ट्रे के साथ वापस भी आ गयी,
"ये लीजिये...यूरोपियन हिस्ट्री के नोट्स, अभी इसे देख भर लीजिये, ताकि कुछ समझ ना आ रहा हो तो अभी क्लियर कर दूँ, मुझे यकीन है आप इसे दो से तीन बार अगर पढ़ लेती हैं तो ये आप को याद हो जाएगा" उसने कुछ पेपर्स अनामिका को थमाते हुए कहा
"यूरोपीयन हिस्ट्री.. सबसे मुश्किल टॉपिक लगा मुझे ,मैंने इसे बाद के लिए रखा था" उसने मुंह बनाते हुए जवाब दिया
"हम्म, फिर तो ठीक ही जा रहे हैं"
"क्या मतलब"
"मतलब ये कि ,सबसे कठिन सबसे पहले"
"मैंने तो सुना था, सबसे सरल ,सबसे पहले"
"गलत सुना फिर तो आपने" उसने चाय का कप उठाते हुए कहा
"आं..."आंखें बड़ी.. कर वो अंकित की ओर आश्चर्य से मुंह खोले देखने लगी
"हाँ ..ठीक वैसे ही ..जैसे मैंने सुना था 'कि लड़कियों को डेट्स और टाइम याद रहते हैं और आपने मुझे ठीक किया था...तो ...सबसे कठिन ,सबसे पहले " उसने बिस्किट मुंह में रखते हुए कहा
"हम्म, ठीक है, ओ .के." और वो मुस्कुराते हुए नोट्स पढ़ने लगी बिना आवाज, और बिना ओंठ हिलाये, अंकित ने आज पहली बार जाना कि उसकी आंखें काली हैं और नोज की शेप देख उसे अपनी मां की कही बात याद आ गयी
##,"अंकी ...जब तेरे लिए कोई लड़की पसंद करूँगी तो उसे ये नथ दूंगी" उन्होने अपनी लाल और हरे दानों वाली नथ, उसे दिखाते हुए कहा था
"माँ.. अब आजकल की लड़कियां ये नथ पहनना कहाँ पसंद करती हैं " उसने जैसे मजाक बनाते हुए कहा
"तुझे क्या पता लड़कियों के बारे में.. हर लड़की नथ में खूबसूरत दिखती है" माँ ऐसे बोली जैसे उन्हें हर लड़की के बारे में पता हो और वो उनकी मासूमियत देख उनसे लिपट गया था।
उसके दिमाग में ऐसे ही कौंध गया 'तो क्या अनामिका को भी नथ पहनना पसंद होगा ?'
**आप शरीफ तो हैं ना** अनामिका की कही बात जैसे ही याद आयी वो सारे ख्याल झटक, संभल कर बैठ गया।
वो अब तक अपनी निगाहें पेपर्स पर टिकाये थी
"मानना पड़ेगा अंकित जी,इट्स जस्ट... अमेजिंग..मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि, दिस टॉपिक कुड बी देट मच ईजी ..आपने इसे एक कहानी के रूप में लिखकर कितना आसान बना दिया है" अपनी आंखें गोल कर वो चहकती हुई बोली...उसे यूँ खुश देखकर अंकित को अच्छा लगा।
"तो..मुझे लगता है आज के लिए इतना ही काफी है, बच्चों की तरह एक घण्टे की क्लास का तो कोई मतलब नहीं"
"सही कहा आपने...क्या हुआ, कुछ परेशान से दिख रहे हैं आप ?"
"आपसे मेरे हालात छिपे नहीं हैं ...आज जॉब के लिए गया दो जगह ..लेकिन कहीं कुछ भी नहीं हुआ"
"शायद मैं आपकी कुछ मदद कर पाऊं" और उसने न्यूज़पेपर का एक छोटा सा टुकड़ा अंकित को थमा दिया,
"ये...क्या है"
"राव इंडस्ट्री का एड्रेस है ये, बताने की जरूरत नहीं कि कितनी बड़ी कम्पनी है ये, इसके मालिक ,एम.एन.राव ..बहुत सज्जन और जमीन से जुड़े इंसान हैं, अगर आप उन्हें इम्प्रेस कर सके, तो जॉब तो मिलेगी ही, साथ ही आपको उनसे बहुत सीखने को भी मिलेगा..एक पर्सनल असिस्टेंट की वेकेंसी है "
"हम्म सुना है मैंने इस कम्पनी के बारे में..लेकिन मैं.. कैसे"
"क्यों...?
"मेरे पास कोई एक्सपीरियंस नहीं"
"मैंने कहा ना, एक बार जाइये तो, उन्हें इस वक़्त असिस्टेंट की बहुत जरूरत है, बस राव सर को इम्प्रेस कर लीजिए प्लीज़ मेरे कहने से" उसने इतने विश्वास और रिक्वेस्ट के साथ कहा तो अंकित को मानना पड़ा..
उसने हाँ में सिर हिलाया और तेज़ कदमों से वहाँ से निकल आया"
"राव इंडस्ट्रीज "के ठीक सामने खड़ा था अंकित..सारी ताकत बटोर गेट के अंदर कदम रखा, नाम और अड्रेस फॉर्मेलिटीज पूरी करने के बाद रिसेप्शन एरिया में गया तो कुछ ही लोग चलते-फिरते दिखे ,और सामने ही,आंखों पर चश्मा लगाए,प्रोफेशनल एटीट्यूड के साथ एक लड़की कुछ फाइलों में उलझी हुई सी..शायद यही मदद कर सके,
"एक्सक्यूज़ मी, मुझे राव सर से मिलना है"
"वाट्स योर नाम, डू यु हेब एनअप्पोइन्टमेन्ट"? उसने एक नज़र अंकित को देखा और फिर कुछ टाइप करने लगी।
"आई डोन्ट हेब एन अप्पोइन्टमेन्ट,स्टिल आई वांट टू मीट हिम"
"व्हॉट"? उसने चिढ़ते हुए कहा इतने में एक साठ-बासठ साल की उम्र के एक दुबले पतले लेकिन स्मार्ट से आंखों पर सुनहरी फ्रेम का चश्मा पहने राव सर ,फ़ोन पर बात करते हुए उस डेस्क के पास आये,
"राखी, फेक्स नहीं किया क्या अभी तक आपने ,श्रीवास्तव को?"
"आइ एम सॉरी सर, बस्स करने ही वाली थी कि ,ये...ये आपसे बिना अपॉइंटमेंट मिलना चाहते थे"
राखी ने इशारा कर बताया तो राव सर ने अंकित से खुद पूछ लिया "हाँ कहिए ...वैसे कहाँ से आये हैं आप?"
"सर् ...बस्स दो मिनट बात करनी थी" अंकित ने रिक्वेस्ट की,
लेकिन राव सर फ़ोन पर किसी को जवाब देने लगे
'हाँ ..हाँ श्रीवास्तव जी, इतने भी क्या अधीर हो रहें हैं आप, बस करने ही वाली हैं राखी आपको फेक्स...हाँ सही कहा ..हा ..हा आपने ,बहुत जरूरत है पर्सनल असिस्टेंट की..कल रखवाए हैं इंटरव्यू ,देखो ..कोई अच्छा सा कैंडिडेट मिले..."
फिर अंकित की तरफ देखकर उन्होंने अंदर आने का इशारा किया और केबिन में चले गए...पीछे पीछे अंकित भी,
.....वो जिस कमरे में रहता है उससे तो तीन गुना बड़ा राव सर का केबिन ही था, उनकी सीट के ठीक पीछे एक नेचरल सीन की पूरी दीवार पर उभरी हुई सीनरी बनी थी जोकि बहुत खूबसूरत थी, झरने से बहता हुआ पानी बिल्कुल असली सा लग रहा था,बाई तरफ जहां एक बड़ा सा असली फूलों का फूलदान लगा था, तो दूसरी तरफ गौतम बौद्ध का बड़ा सा स्टेचू , राव साब अब भी फ़ोन पर बात कर रहे थे, बड़ी सी टेबल पर कुछ फाइलें और एक कंप्यूटर भी रखा था,और वहीं पड़ी चार खूबसूरत कुर्सियों में से एक पर वो बैठा था, कुर्सियों के पीछे फिर एक बड़ा सा सोफा और छोटी सी टेबिल...
"आपने बताया नहीं, कहाँ से आये हैं आप?" राव सर ने अपना फोन रखते हुए कहा
"सर, एक वेकेंसी है आपके यहाँ.. पर्सनल असिस्टेंट की..मैं..मैं आपको आसिस्ट करना चाहता हूँ"
"व्हाट नॉनसेंस.. ये क्या तरीका हुआ, कल से इंटरव्यूज हैं आप तरीके से आइये, आप ऐसे कैसे ? ..मुझे लगा आप किसी कंपनी से आये हैं" राव सर ने गुस्से में कहा
"सर प्लीज़ अब जब ऐसे अंदर आने का मौका आपने दे ही दिया है तो बस दो मिनट दे दीजिए, मैं खुद चला जाऊंगा"
"ठीक है बोलिये "उन्होंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा
"कल बहुत केंडिडेट आएंगे मेरा नम्बर आते आते या तो आप एक राय बना लेंगे, या फिर बोझिल हो जाएंगे तब तक, और मुझे बोलने का मौका नहीं मिलेगा, मैं हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुऐट हूँ ,दो साल का इंग्लिश मीडियम स्कूल में इंटरमीडिएट तक बच्चों को पढ़ाने का अनुभव है, मतलब मुझे इंग्लिश आती है लोगों के बीच काम कर सकता हूँ, मैं घड़ी के मुताबिक काम नहीं करूंगा बल्कि बिना टाइम देखे काम करूंगा, जो सैलरी मिलेगी वो बड़ी खुशी से स्वीकार करूंगा, अनुभव जरूरी है लेकिन जहाँ काम की काबिलीयत, जुनून ईमानदारी के साथ हो तो अनुभव से भी बढ़कर होता है ,में जल्दी सीखता हूँ तो ट्रेनिंग की भी जरूरत नहीं है ,मुझे ये जॉब चाहिए ही चाहिए सर।"
"हम्म..हो गया...समय पूरा हो गया..और आपकी बात भी, अब आप जा सकते हैं" उन्होंने बड़े शांत भाव से कहा
ये सुनकर अंकित निराश हो गया, और सिर झुकाए बाहर जाने लगा जैसे ही गेट पर पहुंचा कि राव साब ने आवाज लगा दी,"रुकिए, अगर मेरा ख्याल भी रखना पड़े तो ,रख पाएंगे? राव सर ने मुस्कुराते हुए कहा तो अंकित के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी, उन्होंने कहना जारी रखा,
"पांच दिन ट्रायल पर रखूंगा तुम्हें, और अगर तुम खरे नहीं उतर पाए तो, ऐसे ही मुस्कुराते हुए वापस जाओगे ,वादा कर सकते हो?"
"बिल्कुल सर्, लेकिन मुझे यकीन है..ऐसी नौबत नहीं आयेंगी"
"वेलकम इन राव इंडस्ट्रीज मिस्टर अंकित.."
"थैंक यू वेरी मच सर, मुझपर भरोसा करने के लिए भी बहुत धन्यवाद" उसने बहुत खुश होकर हाथ मिलाया
" आपकी सैलेरी पांच दिन बाद तय करूंगा, कल 9 बजे आप यहीं मिलेंगे मुझे...बाकी फॉर्मेलिटीज राखी बताएंगी आपको, उससे मिलते हुए जाना..गुड़ लक"
"बाहर आकर राखी से बात की अंकित ने, और लगभग दौड़ते हुए मेन गेट से बाहर आ गया फिर दो मिनट चुपचाप खड़ा रहा उसे यकीन नहीं हो रहा था, कि उसे अभी अभी जॉब मिली है, मन ही मन अपनी माँ को याद करते हुए, उसने सोचा कि मिठाई लेनी चाहिए दुकान पर जाकर खुद में बुदबुदाया
'क्या लूं, ना जाने अनामिका को क्या पसंद हो'
"लड्डू" अनामिका की आवाज सुनाई दी हो जैसे पीछे मुड़कर देखा कोई नहीं दिखा, उसने सोचा मन कि आवाज है सो दो जगह लड्डू ही पैक करा लिए, एक सरोज आंटी के लिए और दूसरा अनामिका के लिए ,एक बार को दिमाग में आया कि पैसे नहीं बचेंगे, लेकिन मिठाई लेनी ही थी सो लेकर दौड़ गया अनामिका के घर।
हर बार की तरह गेट खुद खुल गया, और खुशी से आवाज दी "अनामिका.."
"हे..लगता है गुड़ न्यूज़ है" उसने चहकते हुए कहा ,वो आज भी सफेद ड्रैस पहने थी..
"हम्म, अनामिका जी, समझ नहीं आता कैसे आपका शुक्रिया अदा करूँ, मुझे जॉब मिल गयी है, सब सपने जैसा लग रहा है,
ये देखिए आपके लिए मिठाई लाया था"
"आप डिसर्विंग हैं अंकित जी, मुझे तो पहले ही पता था, कि आप के लिए ये जॉब हासिल करना आसान होगा...बैठिये, मैं अभी आयी" वो अंदर चली गयी...और अंकित ने लॉबी के पास वाले कमरे से कुछ आवाजें सुनी,
आप समझाते क्यों नहीं इसे, ये बिल्कुल ठीक नहीं...मैं ...मेरी भी कहाँ सुनती है वो...तब क्या करे...क्या पता
और इन आवाजों को सुनकर अंकित उस कमरे की ओर बढ़ गया, और उसने दरवाजा खोल दिया और अंदर देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ.........क्रमशः