sonal johari

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पार्ट 14-क्या अनामिका वापस आयेगी ?

पार्ट 14-क्या अनामिका वापस आयेगी ?

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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रुचिका और नीरू ..अंकित से बात कर रहे थे !कि एक तेज़ स्पीड ट्रक ने रुचिका की कार में टक्कर मार दी! और कार! रुचिका समेत सड़क पर दूर जा गिरी अंकित जब ट्रक की ओर दौड़ा तो नीरू ने उसे चीखते हुए कार के पास बुलाया...अब आगे.....

अंकित कर के पास पहुंच तो देखा...रुचिका की कार उल्टी पड़ी थी सड़क पर .. उसके पहिये अब भी घूम रहे थे...रुचिका की आंखे बंद थी और उसका सिर स्टेरिंग पर था...आगे बढ़ा ही था!कि नीरू ने उसे रोकते हुए कहा

"अंकित हमें पुलिस को कॉल करनी चाहिए ...ये पुलिस केस है "

"क्या बकवास कर रही हो...जब तक पुलिस आएगी ...इसके जीवित रहने की उम्मीद खत्म हो जाएगी .."

"हम बेकार में पुलिस केस में फंस सकते हैं " डर और घबराहट में उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे

"तुम डरो मत ...बस्स बाहर रोड से किसी टैक्सी को रोको ...जा... ओ "अंकित ने चीखते हुए कहा और रुचिका को कार से निकालने की कोशिश करने लगा ..थोड़ी देर स्तब्ध खड़ी रही नीरू ....फिर जैसे चेतना आयी हो! ...अंकित की मदद करने लगी ... मिनटों की कड़ी मशक्कत के बाद रुचिका को कार से निकाल पाया दोनों ने !रुचिका के हाथ और पैरों से खून बह रहा था ...जहाँ नीरू ने उसका सिर पकड़ा! वही अंकित ने उसे पैरों से पकड़ा और ...सड़क तक लाये! टैक्सी लेकर हॉस्पिटल पहुंचे

....डॉक्टर ने देखते ही आई. सी .यू. में भर्ती कर लिया

नीरू ने !राब सर और रुचिका के पेरेंट्स को फ़ोन कर दिया..कुछ मिनट ही बीते होंगे कि सुरुचि के पेरेंट्स हॉस्पिटल आ गए

अधीर और दुख में डूबी सुरुचि की मां को अंकित ने आगे बढ़के संभाला...

"हाँ सुधीर ...हम पहुंच गए हॉस्पिटल ...हाँ ...हाँ करता हूँ तुम्हे फ़ोन"

फ़ोन पर बात करते हुए सुरुचि के पापा पहुंचे..सुधीर का नाम सुन !अंकित ने प्रश्नवाचक नजरिये से नीरू की ओर देखा तो वो दबती हुई आवाज में बोली

"सुधीर ...रुचिका का भाई "

"क्या हुआ मेरी बेटी को? कहाँ है वो..कितनी चोट लगी है?

फिर अंकित का हाथ पकड़कर "आप ही लेकर आये उसे यहाँ ...बताइये क्या हुआ था" सुरुचि के पिता ने आँसू भरी आंखों के साथ अंकित से पूछा

"अं.... कि... त..".राव सर !संपत के साथ आ गए थे!

"क्या हुआ?...रुचिका कैसी है?...हुआ कैसे ये सब ."? राव सर ने एक सांस में इतने सवाल पूछ डाले!

"सर..मुझे आज सुबह थोड़ी सी चोट लगी थी . तो .."

अंकित ने कहना शुरू ही किया कि"मुझे सिर्फ ये जानना है!रुचिका का एक्सीडेंट कैसे हुआ" ?राव सर ने अंकित को बीच में टोकते हुए रोक दिया

"नीरू और रुचिका ऑफिस से बापस आते वक्त मेरा हालचाल लेने को रास्ते मे रुक गए! हम बात ही कर रहे थे कि तेज़ ट्रक ने रुचिका की कार में तेज टक्कर मार दी ...और हम उसे हॉस्पिटल ले आये...वो आई.सी.यू. में है!"

जहाँ ये घटना सुन सुरुचि की माँ और तेज़ रोने लगी! वही उसके पिता निढाल से सिर पर हाथ रख कुर्सी पर बैठ गए!

"नीरू ...तुम ठीक हो ?" राब सर ने नीरू से पूछा!

"अंकित की चोट देखने मैं कार से बाहर निकल गयी थी ...इसलिए मुझे कोई चोट नहीं आयी" नीरू ने जवाब दिया!

"हम्म...."!

इतने में इंस्पेक्टर नवीन आ गए और केस का व्योरा जानना चाहा तो राव सर ने उन्हें !अंकित से सुनी हुई बात बता दी ...पूरी बात सुनने के बाद इंस्पेक्टर नवीन के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गयी "ये स्साले... ट्रक वाले भी टिका कर चलते हैं!"

"टिका कर ...मतलब"? राव सर ने अपनी तीन उंगलियों को माथे पर रगढ़ते हुए पूछा!

"हा हा हा... टिकाकर मतलब...शराब पीकर " नवीन ने अपने हाथ का अंगूठा होंठो पर लगाते हुए कहा!

"मैं आपसे पूछता हूँ!कि क्या आप बिना गाली बात नही कर सकते "? राव सर ने चिढ़ते हुए पूछा!

"सर ...आप जैसे कुछ इक्के दुक्के लोगों को छोड़ दिया जाए तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो हम पुलिस वालों को गालियां ना देता हो...फिर हमें सोलह घंटे तो कभी -कभी तो चौबीस घंटे काम करना पड़ता है...अपराधियो से ही वास्ता पड़ता है हमारा!"..

राव सर:--"हम्म...हम्म"!

इंस्पेक्टर नवीन;-"-और फिर सोच कर देखिये !अगर मैं किसी अपराधी से पुछू "बताइये !भाई कलुआ!आपने चोरी क्यों की"...तो क्या लगता है आपको...कलुआ जवाब देगा! ?

और सूट भी तो नहीं करता ...अब ये देखिये जरा!!

"बता कलुआ !स्साले तूने चोरी की क्यों" ...कितना सूट करता है ना!" नवीन ने अपनी बात खत्म करने के साथ जो स्माइल दी !तो राव सर बुरी तरह खीज़ गए और ये बोलते हुए कि "गलती हो गयी मुझसे ...क्यों पूछा आपसे मैंने!"

वहाँ से हट कर दूर बैठ गए...

इंस्पेक्टर नवीन:- "लो बोलो... ये क्या बात हुई...जब जवाब सुनने का धैर्य नहीं तो सवाल पूछते क्यों हैं लोग? ....फिर बुदबुदाते हुए! 'कभी कभी तो मुझे इस साले बुड्ढे पर शक होता है..ऊपर से सामान्य दिखने वाला ये बुड्ढा. कहीं अंदर से रंगीन मिज़ाज़ तो नहीं ...हम्म ...पता लगाना पड़ेगा" फिर अंकित की तरफ देखते हुए "और मिस्टर कृष्ण कन्हैया....(फिर एक तिरछी नजर नीरू पर डालते हुए) तो हुआ क्या था...

अंकित ने सारी घटना सुनाते हुए कहा कि"आप कम से कम महिलाओं का सम्मान तो कर ही सकते हैं ...या वो भी नही!" 

"मुझे मत सिखाओ...वैसे ..तुमने जरूर ट्रक का नंबर नोट किया होगा...क्या नम्बर था"?

"नहीं ...मैं नोट नहीं कर पाया नंबर " !अंकित ने नजर नीचे किये ही जवाब दिया !

"क्या बकवास करते हो! में कैसे यकीन करूँ इस बात पर!बच्चा -बच्चा जानता है कि एक्सीडेंट की हालत में गाड़ी का नम्बर सबसे पहले नोट किया जाता है!....

"जानता हूँ..इस्पेक्टर ...लेकिन उस वक़्त मुझे कुछ समझ ही ना आया ...सिवाय रुचिका को बचाने के"अपनी गलती मानते हुए अंकित बोला

"नम्बर नोट नहीं किया...या बताना नहीं चाहते " इंस्पेक्टर नवीन ने उसे घूरते हुए कहा!

"आप कहना क्या चाहते हैं "? अंकित ने गुस्से में कहा!

"बस्स इतना कि ...मुझे चलाने की कोशिश भी मत करना " इंस्पेक्टर नवीन ने दांत भीचते हुए.. अपनी उंगली को अंकित की आंखों के बिल्कुल पास लाते हुए कहा!

"साइलेंस प्लीज़...पेसेंट इस आउट ऑफ डेंजर नाउ ..बट." डॉक्टर ने आई.सी.यू. से बाहर कहा सबके चेहरे पर एक साथ राहत और खुशी आ गयी!तभी इंस्पेक्टर सबसे आगे आते हुए ..."क्या पेशेन्ट को होश आ गया है...क्या वो बयान देने के हालत में हैं "?

"जी नहीं...उन्हें होश नहीं आया... वही कहने जा रहा था...पेशेंट ने मौत से जंग जीती है अभी! ..लेकिन इसके सिवाय! अभी हम कुछ नहीं बोल सकते ..हम कुछ टेस्ट और रिपोर्ट के आने के बाद ही कुछ कह पाएंगे..तब तक आप लोग धैर्य बनाये रखिये ..एक्सक्यूज़ मी!"

इतना बोल डॉक्टर बापस अंदर चले गए और सुरुचि की माँ साड़ी के पल्लू को मुंह पर रख रोने लगीं!

"मेरी शक की लिस्ट में तेरा नाम सबसे ऊपर है..जल्द ही मिलूँगा तुझसे"...इंस्पेक्टर नवीन ने अंकित से गुस्से से कहा और वहाँ से...चला गया!

"बहिन जी!भाई साहब ...धैर्य रखिये ...सब ठीक हो जाएगा ..मैं हर तरह से आप लोगों की मदद को तैयार हूँ...रुचिका के इलाज में जितना पैसा लगेगा ...कम्पनी देगी!"

राव सर ने सुरुचि की मां से कहा! और अंकित के पास आकर बोले

"अंकित ...कल कितनी मीटिंग्स हैं!"

"जी चार हैं सर!"

"ठीक है तुम चारों मीटिंग अटेंड करोगे कल ...में नहीं आ पाऊंगा ...और हाँ ..तुम दोनों ध्यान से सुनो! रुचिका एक्ससिडेंट के बारे में ऑफिस में किसी को कुछ पता नहीं लगना चाहिए...नीरू! तुम आराम से लंच के बाद आ जाना ऑफिस!"

नीरू ने स्वीकृति में सिर हिलाया

"सर ...मैं कैसे ....मीटिंग्स"? अंकित ने अचकचाते हुए कहा तो राव सर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले

"ऐसे मौको पर ही अपनी काबलियत दिखानी होती है...मुझे भरोसा है तुम पर ....चलो संपत " और राव सर संपत के साथ चले गए!

अंकित चारो मीटिंग अच्छी तरह से करने के बाद घर पहुंचा ...और वहां से अनामिका में घर पहुंच गया ..पहले ही तय कर चुका था कि रुचिका के बारे में कुछ नहीं बताएगा अनामिका को!!.अंदर पहुँचा तो देखा! सामने सीढियों से उतरती वो ...सफेद ड्रेस पर पड़ती नीली आभा में ...यूँ मालूम हुई जैसे पहाड़ो से नदी निकलती है...अंकित उसे तब तक अपलक देखता रहा जब तक कि वो उसके ठीक सामने नहीं आ गयी!

अनामिका:--"ऐसे क्या देख रहे हो हम्म!" 

अंकित:--"नहीं ...कुछ नहीं...बस्स ये कि तुम कितनी खूबसूरत हो....अच्छा चलो ....जल्दी चलो! "

अंकित उसका हाथ पकड़ कर बोला

अनामिका:--"कहाँ ....कहाँ चलना है!"

अंकित-:--"शॉपिंग करने चलो ...मेरी जेब के सारे पैसे खर्च कर दो!"

अनामिका:--"अच्छा! "

अंकित:--"हाँ... हाँ.... फिर मैं तुम्हारे सारे शॉपिंग के बैग उठाकर पीछे पीछे चलूँगा!और तुम एक क्वीन की तरह आगे आगे !"

अनामिका:-(मुस्कुराती हुई) अच्छा ...तो तुम फिर पूरे महीने क्या करोगे "?

अंकित:--"मैं अपनी कम्पनी से एडवांस ले लूंगा..."

अंकित बडे खुश होते हुए कहा 

अनामिका:--!मन ही मन ये नहीं कहोगे!कि कैसी प्रेमिका है!! सारे पैसे खर्च करा दिए ...जेब खाली कर दी !"

अंकित:--"नहीं बिल्कुल नहीं ..तुम्हे पता नहीं है हम लड़कों का! एक तरफ जेब खाली होने का रोना भी रोते रहेंगे ...और मन ही मन ये सोच कर खुश भी होते रहेंगे कि कोई है!जो हम और हमारे पैसों पर इतना हक़ रखता है"

अनामिका:--अच्छा जी!

अंकित:-- हम्म....चलो ना! (अंकित मनुहार करते हुए बोला)

अनामिक :--सुनो अंकित! मेरे पापा को ये पूरा शहर अच्छे से जानता है!किसी ने अगर तुम्हारे साथ मुझे देख लिया तो बहुत मुश्किल हो जाएगी ?..बताओ ...मैं जरूरी हूँ या शॉपिंग ?

उसने अंकित को पूछते हुए कहा

अंकित:- ".... तुम.."..(फिर कुछ सोचते हुए )....तुम भी ठीक कहती हो...एक काम करो तुम मुझे एक लिस्ट बना कर दो मैं सब सामान ले कर आऊँगा...तुम्हारे लिए!"

अनामिका के हामी भरते ही ... अपनी जेब से एक छोटा सा पैकेट निकालकर अनामिका को सौंपते हुए कहा!

"मेरी माँ इसे अपनी बहू को देना चाहती थी पता नहीं तुम्हे नथ पहनना पसंद भी होगा या नहीं लेकिन ..."

इससे पहले कि अपनी बात पूरी कर पाता अंकित...अनामिका ने वो नथ पहन ली..लाल हरे दानों वाली नथ पहने वो बेहद खूबसूरत दिख रही थी !

"कैसी दिख रही हूँ" उसने कहा और उठकर जाने लगी तभी अंकित ने उसका हाथ पकड़ा और अपने पास बैठाते हुए बोला

"यहीं मेरे सामने बैठो ...मन करता है ..तुम्हे देखता रहूँ!"

अनामिका:--"ओह्ह बड़े आये...देखता रहूँ...हा हा !"

वो हँसती हुई बोली और तेज़ी से उठकर सोफे के पीछे चली गयी ...अंकित "अरे ..अरे " करता हुआ उसके पीछे ......

अनामिका वहां से भागती सी गेलेरी में ...और फिर सीढ़ियों पर!

अंकित उसके पीछे -पीछे जाते हुए सीढयों पर रोककर उसे बाहों में कसते हुए " अब"?

अनामिका:-"अब ....सरेंडर..." और अपना सिर अंकित के सीने पर टिका दिया.....और दोनों मुस्कुरा उठे...................

राव इण्डस्ट्री

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अंकित.. मीटिंग में हुई बातचीत पर काम कर ही रहा था...कि नीरू घबराई सी उसके केविन पर आई और बोली

"अंकित...एक बुरी खबर है!" 

अंकित ने हाथ मे पकड़ी हुई फाइल एक तरफ रख दी और किसी अन्जाने डर से उसके चेहरे पर एक साथ डर और चिंता की लकीरें खिंच गयी!.

........................क्रमशः............


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