Arushi Srivastava

Romance

4.0  

Arushi Srivastava

Romance

ऑनलाइन वाला प्यार

ऑनलाइन वाला प्यार

7 mins
550


अध्या शर्मा ने बहुत दिन बाद अपना सोशल नेटवर्किंग साइट खोला। अपने कॉलेज के पहले सेमस्ट देके खाली हुई थी वो। 

"देखते हैं किसके रिक्वेस्ट आए हैं अभी तक" कहते हुए उसने देखना शुरू किया।

"प्रनित शर्मा.. ये नाम सुना हुआ लग रहा।" कहते हुए उसने प्रोफ़ाइल खोली। और अध्या ने जैसा सोचा था वैसा ही था। वो स्कूल के सीनियर थे। दो साल के। उसकी दोस्त संध्या के बस से जाते थे। एक दो बार संध्या को उनसे बात करते देखा था । पर अध्या तो जानती ही नहीं थी उनको। तो उसने रिक्वेस्ट कैंसल कर दी। 

दो दिन बाद फिर से रिक्वेस्ट आयी। "फिर क्यों भेज दी इन्होंने।" सोचते हुए इस बार अध्या ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। एक दो दिन बाद उधर से मेसेज आया..

"हेल्लो"

अभी अध्या सोच ही रही थी कि क्या करें। जवाब दे या ना दे तभी दूसरा मेसेज आया..

"तुम्हारे पास रोमा मैम्म का नंबर होगा क्या? तुम उनकी बेटी की दोस्त हो ना?"

अध्या ने लिख के भेजा,

"हां पर मेरे पास उनकी बेटी का नंबर हैं, मैम्म का नहीं। उनकी बेटी दूसरे शहर में रहती हैं।"

"ओह अच्छा। मुझे माफ़ करना।"

अध्या ने सोचा बात यही ख़तम हो गई पर तभी एक और मेसेज आया।

"कैसी हो तुम?"

अध्या सोच में पड़ गई की ये ऐसे क्यों पूछ रहे जैसे मुझे हमेशा से जानते हो।

"आप मुझे कैसे जानते हैं?" उसने पूछा

जवाब आया, "तब से जब से तुम अपने दोस्त के साथ छुट्टी के समय, बस के पास खड़ी होकर बात करती थी।"

अध्या हैरान थी कि स्कूल की इतनी पुरानी बात उनको कैसे याद हैं। वो तो खुद भूल गई थी ३ साल पहले की बात।

अध्या ने लिखा, "हां आप उसके बस से जाते थे। देखा तो आपको।"

फिर उस मेसेज को देख के कोई जवाब नहीं भेजा प्रनित ने। अध्या भी भूल गई इस बात चीत को। कुछ महीनों बाद बस "हैप्पी बर्थडे" बोला प्रनित ने। अध्या ने भी जवाब में थैंक यू बोल दिया। दो महीने बाद फिर प्रनित के बर्थडे पर अध्या ने बधाई दी। उसने थैंक यू बोल के पूछा, "तुम्हारी दोस्त कैसे हैं?"

अध्या ने कहा, "अच्छी हैं । कोई काम था आपको उससे?"

प्रनित ने लिखा, "नहीं बिल्कुल नहीं। ऐसा लगा क्या तुम्हे?"

अध्या लिखी, "थोड़ा सा"

उसने हसने वाला इमोजी भेज दिया। फिर अध्या ने भी कुछ नहीं लिखा।

फिर कुछ इस तरह धीरे धीरे उनकी बात चीत की गाड़ी आगे बढ़ी। बात की शुरआत तो स्कूल के दिनों को याद करके वर्तमान में ख़तम होती। महीने में एक दो बार तो मेसेज पर दुआ सलाम हो जाता था। एक दिन अध्या ने प्रनित को बताया,

"आपको पता है स्कूल वालो ने कैंटीन बंद कर दी। इतनी अच्छी खासी चल रही थी पता नहीं क्यों उन लोगों ने ऐसा किया।"

प्रनित ने लिखा, "सच में क्या? हद कर दिए। वहीं तो जगह थी कितने लोगो के मिलने का। आधे से ज्यादा लोगों को पहला प्यार वहीं तो होता था।"

अध्या ने लिखा, " ऐसा भी कुछ होता था क्या वहां। मुझे तो सिर्फ वहां का खाना ही याद है.."

 प्रनित, " तुमको तो ये भी नहीं याद होगा कि तुम्हारी दोस्त जब बर्थडे पर ट्रीट दे रही थी तो मैं भी था वहां। बाकी सब ने रोल ऑर्डर किया था। बस तुमने और मैंने चोले समोसे खाए थे।"

अध्या, " मुझे तो सच में कुछ याद नहीं। एक बात बताइए आप मेरी दोस्त को पसंद करते थे या हैं क्या?"

 प्रनित, " क्या बोल रही हो। ऐसा मैंने कब कहा।"

अध्या, "नहीं..मुझे लगा।"

 प्रनित, "पसंद तो करता हूं पर किसी और को।"

अध्या, "किसे? क्या मैं जानती हूं उसे?"

प्रनित, "हां"

अध्या, "मुझे लगा ही था। देखिए मैं पहले ही बता देती हूं कि मुझे इन सब के बीच में मत लाइएगा। मैं किसी से बात नहीं करवाने वाली और ना उसको आपसे बात करने के लिए कहने वाली हूं।"

प्रनित, "पागल लड़की। कुछ नहीं कहूंगा तुमसे। खुश? चलता हूं अब। कल से सेमेस्टर शुरू होंगे फिर नौकरी के लिए कंपनियां आएगी । बिजी रहूंगा १-२ महीना।"

अध्या, "हां ठीक हैं। बाय।"

फिर लगभग 2 साल हो गए। दोनों के बीच कोई बात चीत नहीं हुई। इसी बीच अध्या ने भी पीजी में एडमिशन ले लिया और सारे सोशल नेटवर्किंग साइट्स से एक साल दूर रही। वही प्रनित को नौकरी की वजह से समय नहीं मिला। फिर एक दिन प्रनित ने अध्या को ऑनलाइन पाया तो मेसेज किया,

"हेल्लो! कैसी हो?"

अध्या ने देखा और लिखा, "बिल्कुल बढ़िया और आप?"

प्रनित, "काफी दिन हो गए बात किए.. कैसी चल रही ज़िन्दगी को गाड़ी?"

अध्या, "जैसे चलनी चाहिए वैसे ही हैं।"

फिर दोनों ने बताया कि कौन क्या कर रहा।प्रनित ने आगे क्या करना है वो भी पूछा तो अध्या ने बताया। अगले दिन अचानक प्रनित ने कुछ ऐसा पूछा की अध्या को समझ में नहीं आया की वो क्या बोले। प्रनित ने कहा,

"अध्या बिल्कुल ईमानदारी से बता रहा हूं और तुमसे भी ईमानदारी से जवाब की उम्मीद करूंगा। काफी पसंद करता हूं तुमको। दोस्त से ज्यादा ही। तो क्या तुम उस रिश्ते में रहना पसंद करोगी मेरे साथ।"

अध्या पढ़ के छोड़ दिया। उसको समझ में नहीं आया की वो क्या ही बोले। उसने ऐसा तो सोचा ही नहीं किसी के लिए। ना कभी उम्मीद की थी कोई सोचेगा उसके लिए। थोड़ी देर बाद उसने लिख के भेजा,

"मुझे माफ़ कीजिए पर मैं शायद इसके आगे नहीं बढ़ सकती। मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी। पता नहीं कहां मुझसे ये गलती हो गई की आपको ये गलतफमियां हो गई। मैं तो बस एक पुराने सीनियर के तौर पर आपसे बात करती थी। मैं हूं इस जमाने की पर खयालात थोड़े पुराने ही हैं। बिना अच्छे से जाने पहचाने इस तरह से पसंद करना नामुमकिन सा हैं मेरे लिए। वैसे भी एक दो साल और हैं मेरे पास फिर तो किसी और से ही शादी..." इतना लिख के भेज दिया अध्या ने।

प्रनित ने सिर्फ इतना लिखा, "समझ सकता हूं।"

फिर तो उनके बीच कभी बात नहीं हुई। दोनों अपने अपने काम में व्यस्त हो गए। साल बीतते गए और एक दिन अध्या को पता चला कि उसके घरवालों ने उसका प्रोफ़ाइल किसी शादी वाले साइट पे बना रखा हैं। गुस्सा तो उसको बहुत आया। अभी तो ढंग से जॉब में भी नहीं आई थी। इतनी जल्दी क्या थी घरवालों को। थोड़ा बहुत अध्या घरवालों को समझने की कोशिश की पर फिर छोड़ दिया कि जो करना हो करें बस शादी से पहले बता देंगे की कब है उसकी शादी।

एक दिन अध्या काम से घर लौटी तो पापा को किसी से फोन पर बात करते हुए पाया। बातों से लग गया कि किसी लडके के घरवालों से बात हो रही थी। अध्या किचेन में पानी पीने गई तो मम्मी खुशी से आकर बताया कि "ऑनलाइन साइट पे किसी ने रिश्ता भेजा था। पापा ने फोन नंबर मांग के कुंडली लेके उसका मिलान किया। कुंडली मिल गई हैं और लड़का भी पसंद हैं हमलोग को।" कहते हुए मां ने अपना फोन दिया कि ये लो तुम भी बायोडाटा देख लो। जैसा हो जो फैसला हो बता देना। तुम्हारे हां के बिना आगे नहीं बढ़ेंगे।"

अध्या ने भूजे हुए मन से मां का फोन लिया और बायोडाट देखा...

"प्रनित शर्मा"

वो हैरान रह गई की ये कैसे हुआ और क्या हुआ। तभी उसने अपना सोशल नेटवर्किंग साइट् पे अकाउंट खोला..प्रनित का एक लंबा मेसेज आया था एक हफ्ते पहले का..

"मुझे पता था कि मेरा रिश्ता देख के तुम यहां जरूर आओगी। यकीन मानो मेरा..रिश्ता मेरे घरवालों ने ही भेजा रहा। उन्होंने प्रोफ़ाइल पहले देखी थी तुम्हारी। मैंने सिर्फ अपनी रजामंदी दी। मुझे भी नहीं पता था कि सच में कुंडली मिल जाएगी। वरना तुम्हारी ना सुनने के बाद मेरी हिम्मत नहीं थी कि दोबारा सामने आ जाता। मैंने सिर्फ एक कोशिश की जो सफल हो गई। अब एक बार फिर तुमको हां या ना बोलना हैं। पर मैं तुमको बता दू कि मेरा ऑनलाइन वाला प्यार नहीं था। जैसा कि तुमको लगा था। मैंने तो तब से पसंद किया था तुम्हे जब तुम अपनी दोस्त के साथ बस के पास खड़ी रहती थी छुट्टी के वक़्त। नाम भी पता नहीं था वहीं पूछा था तुम्हारी दोस्त से। इसीलिए बात करता था उससे पर तुमसे बोलने की हिम्मत ही नहीं हुई। इतने सालो बाद सोचा रिक्वेस्ट भेजा कि काम से कम दोस्त बन जाऊ पर उसमें भी मेहनत करवाई तुमने। और जब सच में अपनी सच्चाई तुम्हे बताई तो तुमने साफ इनकार कर दिया। यह आखिरी बार कोशिश की है फिर जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।"

अध्या मुस्करा कर मां से कहा.."किसी अनजान इंसान के साथ रिश्ते में बंधने से अच्छा है कोई जान पहचान के साथ बंधू.. मुझे कोई दिक्कत नहीं है इस रिश्ते से..आगे जैसा आपलोग ठीक समझे।"


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