Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Shubham rawat

Abstract

4.0  

Shubham rawat

Abstract

नया दोस्त

नया दोस्त

3 mins
365


दो मंजिला मकान जिसमे दस कमरे हैं। दो कमरे सबसे नीजे, चार कमरे पहली मंजिल पे और चार कमरे दूसरी मंजिल पे। और इन सब कमरों पे केवल किरायेदार रहते हैं। जो यहां रहने का हर महीने मकान-मालिक को किराये देते हैं।

पहली मंजिल पे सबसे दाये तरफ दो जन रहते हैं। रोहित और उसके पापा। रोहित सरकारी स्कूल में पढ़ता है और अभी ग्यारह में है। रोहित के पापा डाक घर में काम करते है। और उसी मंजिल पे सबसे बाये तरफ सुमित रहता है। जो बारवी में पढ़ता है और वह अकेला रहता है। उसके घर वाले गांव में रहते हैं।

 सुमित और रोहित अच्छे दोस्त है। दोनों स्कूल से आने के बाद साथ में ही वक्त बिताते हैं। शाम तक बाजार में घूमना और कभी-कभी शाम तक छत पे ही टहलते है।

एक हफ्ते पहले पड़ोस वाले मकान में नये किरायेदार आये हैं। सुमित और रोहित को सूत्रो के हवाले से पता चला है कि; दीनदयाल जी सरकारी स्कूल के टीचर है। और उनकी धर्म पत्नी जी हाउस वाइफ है। और उनके चार बच्चे हैं। चारो-की-चारो लड़कियां। सबसे बड़ी दो बहने करीब-करीब चौबीस साल की हैं और छोटी दो बहने सोलह साल की हैं। लड़कियों के उम्र में अंतर से मालूम पड़ता है कि दीनदयाल जी को लड़के की चाहत थी।

एक दिन जब दोनों छत पे टहल रहे थे। तो रोहित ने सुमित से कहा, "जो नीचे नये किरायेदार आये हैं रहने के लिए उसमें से जो तीसरे नंबर वाली लड़की है ना वो मुझे देखती है।"

"मैने भी गौर किया है। देखती है वो तुझे।" सुमित ने कहा।

कुछ वक्त और बिता। सुमित शनिवार को अपने घर चला गया। जब सोमवार को वापस आया तो उसे सूत्रो के हवाले से पता चला कि; रोहित और बिंदू के बीच बाते हो गयी है। और बिंदू ने ही दोस्ती का पहला कदम बढ़ाया था।

सुमित, रोहित से इस बारे में बात करना चाहता था पर तब तक वो स्कूल चला गया था।

शाम को जब रोहित स्कूल से आया तो वो सबसे पहले सुमित के ही कमरे में गया और उसे बताया कि कैसे उन दोनों के बीच में बाते शुरू हुई।

दोनों की दिनचर्या में खासा अंतर तो नहीं आया पर अब रोहित कुछ समय बिंदू के साथ भी बिताने लगा था।

एक दिन जब रोहित और सुमित छत पे टहल रहे थे। बिंदू अपनी बाल्कनी से रोहित को देख रही थी और रोहित भी बिंदू को देख रहा था। दोनों एक-दूसरे को कातिलाना अदाये पास कर रहे थे। तभी अंदर से बिंदू की बड़ी बहन बाहर आ गयी। और उसने दोनों को देख लिया। वो रोहित को तो कुछ नहीं कर सकती थी। पर उसने बिंदू को लगातार तीन-चार थपड़ जड़ दिये और बिंदू कमरे के अंदर भाग गयी । रोहित एक दम से डर गया मानो वो थपड़ उसे पड़े हो।

दो एक दिन रोहित और बिंदू के बीच बाते नहीं हुई। एक शाम रोहित ने सुमित से कहा, "बिंदू कल शाम मुझे दुकान के पास मिली थी। और उसने मुझसे कहा, 'अब हम नहीं बाते करगें और नाही मिलेंगे क्योंकि मैने नया दोस्त बना लिया है।'!"


Rate this content
Log in

More hindi story from Shubham rawat

Similar hindi story from Abstract