रास्ता
रास्ता
"भाई कहां है? कितने देर से रुके हैं यहां। अब आता हूँ तब आता हूँ। एक घंटा हो गया है!" अनुज ने फोन में बात करते हुए कहा और फोन काट दिया।
"क्या कह रहा है?" कमलेश ने पूछा।
"कह रहा है अभी थोड़ी देर में आता हूँ।"
"थोड़ी देर मतलब अभी और इंतजार।"
"हूँ ह। तब तक क्या करें।"
"क्या करते है। बैठे रहते हैं और क्या।"
"नहीं यार बैठे-बैठे दिमाग खराब हो रहा है। चल तब तक कोई कहानी सुना।"
कमलेश कहानी शुरू करता है, "कहानी का नाम है रास्ता। एक रास्ता जहां हर रोज सुबह छह बजे के करीब एक लड़का जिम को जाता है। वही दूसरी तरफ से एक लड़की अपने ट्यूशन को जाती है। सुबह-सुबह उस रास्ते से लोगों का आना-जाना कम ही रहता था इसलिए जब भी वो लड़का और लड़की उस रास्ते से गुजरते तो वो ही दोनों अकसर होते थे।
"वो दोनों दूर से ही एक-दूसरे को आता देख लेते थे। दूर से एक-दूसरे को देखते भी थे। पर जब करीब पहुँचते तो बिना एक-दूसरे की तरफ देखे, नजरे सामने की ओर रख कर बगल से गुजर जाते। करीब-करीब एक-दूसरे को दूर से देखना फिर चुप-चाप एक-दूसरे के बगल से गुजर जाना लगभग
एक हफ्ते तक चला।
"उसके बाद वो एक-दूसरे को देखकर एक छोटी सी हँसी पास कर दिया करते थे। पर उनके बीच बाते कभी नहीं हुई। अपने-अपने जगह को जाने के लिए उनके पास एक वही रास्ता था। और रोज एक-दूसरे को एक ही जगह में देखना, इसलिए उनकी आपस में नजरों से पहचान हो गयी थी। एक दिन उस लड़के ने उस लड़की को एक कागज दिया......,"
"क्या लिखा था उस कागज में?" अनुज ने उत्सुकता से पूछा।
"उस कागज में लिखा था, 'तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो! क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी? अगर हां है तो शाम को पांच बजे इस रास्ते में मिलना!'........,"
"तो वो लड़की गयी उससे मिलने?" अनुज ने फिर उत्सुकता से पूछा।
"हां। लड़की गयी उससे मिलने पर लड़का वहां नहीं आया। उसने कुछ देर उसका इंतजार भी किया पर वो नहीं आया और लड़की वहां से चले गयी। उसके बाद कभी भी उस लड़की ने उस लड़के को उस रास्ते में नहीं देखा।"
"क्याें?" अनुज ने फिर से सवाल किया।
कमलेश ने बताया, "क्याेंकि जिस दिन लड़के ने उसे कागज दिया था उस दिन लड़के की बाइक का रोड एकसिडेंट हो गया था और उसने अपनी जान खो दी थी।"