नूरानी चेहरा.
नूरानी चेहरा.
नूरानी चेहरा.
लेखक: कल्पेश पटेल.
“बस एक वीकेंड चाहिए मुझे, जंगल में जाकर सुकून से बैठने का,"
यह था मनु फोटोग्राफर का डायलॉग, जब वह अपने दोस्तों अनु और कनु को मुरलीवन नेशनल पार्क की ट्रिप के लिए मना रहा था।
तीनों ने ठान लिया कि शहर की भागदौड़ छोड़कर दो दिन मायावी जंगल में बिताएँगे।
पर उन्हें क्या पता था कि यह जंगल अब कुदरत का नहीं… किसी के इशारों का गुलाम बन चुका था।
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पहला दिन – अजीब चौकीदार और मना किया गया रास्ता
जंगल के गेट पर एक बूढ़ा चौकीदार खड़ा था।
उसने पूछा, “किधर जाओगे?”
मनु बोला, “जंगल के अंदर कैंप लगाना है, फोटोशूट करेंगे।”
चौकीदार ने ठंडी साँस ली —
“ध्यान रखना, झरने वाली पहाड़ी के उस पार मत जाना। वहाँ... संतू बाई का इलाका है।”
तीनों ने हँसकर बात टाल दी —
“संतू बाई? जंगल में कोई ‘लेडी डॉन’ रहती है क्या?”
चौकीदार ने कहा, “हाँ… और जंगल उससे डरता है।”
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दूसरा दिन – पेड़ों की हँसी और आवाज़ें
रात में अनु ने कहा, “किसी ने मेरा नाम लिया और हँसा था!”
मनु और कनु ने मज़ाक उड़ाया।
सुबह जब उन्होंने चाय बनाई, तो एक पेड़ से आवाज़ आई —
“ए कनु, तेरी चाय ठंडी हो जाएगी!”
तीनों हँसते-डरते कैमरा लेकर खोज में निकले।
कहीं कुछ नहीं मिला।
लेकिन हवा में एक धीमी परफ्यूम की खुशबू थी — महंगी, औरतों वाली।
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तीसरा दिन – नूरानी चेहरा
दोपहर में मनु ने झरने के पास एक छाया देखी —
सफ़ेद कपड़ों में एक औरत, चेहरा धूप में चमक रहा था।
मनु ने ज़ूम करके फोटो ली।
स्क्रीन पर बस एक चमक दिखी — “नूरानी चेहरा।”
अनु बोली, “कितनी सुंदर लग रही है, जैसे परी हो।”
पर उसी रात कैमरे की स्क्रीन पर वही चेहरा मुस्कुराया — ठंडी, खतरनाक मुस्कान के साथ।
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चौथा दिन – रहस्य का पर्दाफाश
सुबह पुलिस की एक जीप जंगल में दाख़िल हुई।
उन्होंने तीनों को घेर लिया।
“कौन हो तुम लोग? इस एरिया में एंट्री मना है!”
मनु ने कहा, “हम बस फोटो खींच रहे थे।”
पुलिस इंस्पेक्टर ने कैमरा देखा —
फोटो में वही नूरानी चेहरा था, लेकिन अब साफ़ दिख रहा था।
इंस्पेक्टर बोला, “यह कोई परी नहीं... ये है संतू बाई — माफ़िया रानी।”
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संतू बाई का राज़
संतू बाई पहले मुंबई की तस्कर थी,
फिर जंगल को अपने इल्लीगल हर्ब और लकड़ी के धंधे के लिए कब्ज़े में ले लिया।
उसने मजदूरों से काम करवाया, और जो विरोध करता —
उसका नाम जंगल “गायब” कर देता था।
वो दिन में कहीं नहीं दिखती थी,
रात में बस उसकी परफ्यूम और हँसी सुनाई देती थी।
लोगों ने उसे “नूरानी चेहरा” कहना शुरू किया —
क्योंकि उसका चेहरा हमेशा चमकता रहता था, जैसे किसी रहस्यमय लाइट से।
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अंत – कैमरे की गवाही
मनु का कैमरा सबूत बन गया।
फोटो में संतू बाई और उसके गुंडे लकड़ी की तस्करी करते दिखे।
पुलिस ने जंगल में छापा मारा।
लेकिन संतू बाई गायब थी — जैसे जंगल ने उसे निगल लिया हो।
तीनों लौट आए।
मनु ने वह तस्वीर अखबार को दी —
हेडलाइन बनी:
📰 “नूरानी चेहरा – मायावी जंगल की माफ़िया रानी का भंडाफोड़।”
रात को जब मनु एडिटिंग कर रहा था,
तो स्क्रीन अपने आप ऑन हुई —
और वही नूरानी चेहरा मुस्कुराया, बोली —
“तुम्हारी फोटो बहुत सुंदर है… अब अगली बार मेरा अंतिम पोर्ट्रेट बनाना।”
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😨 समाप्त... या शायद नहीं।
कहते हैं, मायावी जंगल में अब भी शाम होते ही खुशबू आती है —महंगी परफ्यूम की…और एक धीमी आवाज़ गूँजती है —
“ए कनु, तेरी चाय ठंडी हो गई…”
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