chandraprabha kumar

Comedy

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chandraprabha kumar

Comedy

नैहर छूटा जाय

नैहर छूटा जाय

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कुछ समय पहिले की बात है मॉं- बाप ने कन्या की शादी ठीक की थी ।वर -कन्या पहिले मिले नहीं थे, एक दूसरे को जानते नहीं थे। परम्परागत शादी थी। 

कन्या की शादी की धूमधाम मची थी। शादी की रस्में क़रीब-क़रीब पूरी हो चुकी थी। विदा की रस्में हो रही थीं । वर के सभी सहपाठी यार दोस्त भी आये हुए थे विवाह में सम्मिलित होने। । रस्में पूरी होने के बाद दुल्हन बनी कन्या की विदाई हो रही थी। कन्या माता- पिता से गले मिलकर रो रही थी। फूलों से सजी कार विदाई के लिये आ गई थी। वर के साथ गठजोड़ की हुई दुल्हन धीरे -धीरे चलकर कार में बैठने आई। सभी मित्र सम्बंधियों से कन्या घिरी हुई थी। बहिन भाईयों सहेलियों का जमघट उसे घेरे हुए था। 

तभी वर ने देखा कि दुल्हन के पैरों में चप्पल नहीं हैं। वर ने दुल्हन से धीरे से कहा- "तुमने चप्पल नहीं ली, अपनी चप्पल ले लो। "

दुल्हन ने घूँघट की ओट से तपाक से जवाब दिया-" हमारे मॉं- बाप छूटे जा रहे हैं, नैहर छूटा जा रहा है और आपको चप्पल की पड़ी है ?"

लड़के को करारा जवाब मिल गया। उसके यार दोस्तों को हँसी का अच्छा बहाना मिल गया , सभी हँसने लगे और कहने लगे-" भई तुझे इस समय चप्पल की क्या पड़ी है। "

अब दोस्तों की चुहलबाजी का लड़का क्या जवाब देता। चुप लगा गया। पर दोस्त तो दोस्त ही हैं । इस घटना से उन्हें हँसने का अच्छा मसाला मिल गया। जब भी मिल बैठते इस घटना को स्मरण कर चर्चा करते और हँसी के ठहाके लगाते।

                                                     —-   चन्द्रप्रभा


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