Devaram Bishnoi

Abstract

4.0  

Devaram Bishnoi

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नालायक से दोस्ती

नालायक से दोस्ती

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दोस्ती सिर्फ मतलब से नहीं करनी चाहिए।

नालायक से दोस्ती करना ग़लत है।

परन्तु यदि नालायक से दोस्ती हो गई।

तों उसे तोड़ लेना उससे भी ज्यादा ग़लत है।

क्योंकिआप यदि किसी दोस्त‌ को

नालायक समझ चुुके हों।

तों उसे उसके हाल पर नहीं छोड़ सकतें।

उसे पुुन:सामाजिक मुख्य धारा में शामिल

करनें के प्रयास किए जाने चाहिए।

हमारी दोस्ती प्रेम किसी नालायक से भी हो गया।

तो उसे सही राह दिखाने कि जिम्मेदारी भी हमारी है।

सामाजिक भाईचारा इंसानियत जिंदा रहनी चाहिए।

हम नालायक को भी समझाने कि कोशिश करेंगें।

तोआगे चलकर ऐसे एक एक करके पूरी

दुनिया को सुधारने के प्रयास किये जा सकते हैैं।

हम सभी ऐसी सकारात्मक सोच रखियेगा।

यह नहीं सोचें कि यदि सब लोग नहीं रखते हों।

तों मेरे अकेले से सकारात्मक सोच

रखने से क्या हो सकेंगा।

ऐसा सोचना हीं नकारात्मक सोच का धोतक है।

कोशिश करने वालों कि कभी हार नहीं होती यारों।

एक पत्थर आकाश में उछाल कर तो देेेखो यारों ।

एक बार ऐसा प्रयास करने में बुराई भी क्या हैं यारों।

सफलता प्राप्ति में सकारात्मक सोच जरूरी हैं यारों।

यह बात नालायक से दोस्ती में भी लागू होती हैं।

खुद कि मक्खी तों जानवर भी उड़ाते हैं यारों।

निस्वार्थ सेवाभाव दिल में रखने का जज्बा रखें यारों।

ताकि सामाजिक मुलभूत सुधार किये जा सके यारों।


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