ना उम्र की सीमा हो
ना उम्र की सीमा हो
कहते हैं दिल के पास दिमाग नहीं होता, सही कहते हैं, दिल के पास थोड़ा सा भी दिमाग नहीं होता बेवकूफ़ बिना सोचे समझे लग जाता है गलती होती है फ़िर ख़ुद ही रोता रहता है काश ये थोड़ा सोच कर काम करता, थोड़ा सोच के मोहब्बत करता, उससे मोहब्बत करता जिससे मोहब्बत मिलने की उम्मीद हो पर नहीं इस पागल को तो भीड़ में किसी से भी लग जाना है और ऐसा लगना है कि अलग नहीं होना चाहता...कैफे में बैठा मैं ये बात सोच रहा था कि इत्तेफाक से "ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन" बजने लगा.. ये नगमा जो अक्सर अतीत में ले जाता है, कुछ लोगो के लिए ये शायद ये सिर्फ़ एक गीत हो लेकिन मेरे लिए मेरी ज़िन्दगी है, मेरे अतीत का दरवाज़ा.... ऐसा लगता है जैसे मेरे ही लिए लिखा हो.....जैसे ही मेरे कानो में गाना पड़ा मुझे उसकी याद आ गई, मेरे पड़ोस में रहने वाली वो लड़की मुझसे तीन साल बड़ी... लेकिन सिर्फ़ उम्र में बड़ी पर मेरी सबसे अच्छी दोस्त हमेशा साथ खेलते थे बचपन में खेल खेल में हमेशा पति पत्नी बनते तब वो मुझे हनी बोलती मैं उसको स्वीटहार्ट बचपन से कभी मैंने उसको दीदी नहीं बोला, बोलता भी कैसे?? वो मेरे दिल में खास जगह रखती थी एक ऐसी जगह जो हर अजनबी को नहीं दी जाती, ऐसी जगह जो ख़ास लोगो के लिए रहती है मेरे लिए सबसे खास गैर वहीं थी मेरी..... सॉरी नाम नहीं बता सकता या ये कहो कि बताना नहीं चाहता...8 साल पहले का एक किस्सा
बचपन निकल गया था , अब मैं किशोरावस्था में था पंद्रह साल का और वो अठारह साल की थी, उम्र में बड़ी लेकिन मुझसे छोटी लगती थी उसकी उम्र जैसे थम सी गई थी... अब बचपन से ज्यादा खूबसूरत हो गई थी या शायद मैं उसको गौर से देखने लगा था ... बड़ी आँखे उस पर चश्मा जीन्स और कुर्ती पहनती, एकदम सिंपल लेकिन काफ़ी खूबसूरत लगती थी... आज हम लंच के लिए कॉलेज के कैंटीन में मिलने वाले थे क्योंकि उसका कॉलेज और मेरा स्कूल कॉलेज एक ही कैंपस में था लंच तो हम साथ में लाए थे इसलिए फ्रूटी ऑर्डर की सोच रहा था कि उसको दिल का हाल बता दूं सोच रहा था उसी वक़्त कैंटीन में बजने लगा "चाहा था ये कहेंगे सोचा था वो करेंगे, आए वो सामने तो कुछ भी न कह सकें बस, देखा किये उन्हें हम" मैं खाना छोड़ कर उसे ही देख रहा था तभी वो बोली "क्या देख रहा है?, खा ना"
मैं :"इतनी सुन्दर लड़की सामने रहेगी तो किसका खाने का मन करेगा"
वो: "ओ,फ़्लर्ट कर रहा है.."
मैं:"नहीं यार, मैं बस तारीफ़ कर रहा हूँ, गलत मत समझो।
फिर मैं खाने लगा.... खाते खाते उसने पूछा
"एक बात बता.. तेरी girlfriend है?"
मैं:"नहीं यार, single हूँ.. जो चाहिये वो नहीं मिल सकती"
वो:"ऐसे कैसे नहीं मिल सकती.... दिल की बात ठीक से बता.. ज़रूर मान जाएगी"
मैं:"मुझे प्रपोज़ करना नहीं आता"
वो : "अरे, कोई ज्यादा बोलने की ज़रुरत नहीं है, बस आई लव यू ही बोलना है..... और चॉकलेट लेना मत भूलना."
मैं:" हाँ, ठीक हैं"
फिर हम अपनी अपनी क्लास में गये... शाम को मैंने उसको कॉल करके छत पर बुलाया और बोला कि अकेले आना.... हम लोगो के घर पास में थे तो छत भी लगी हुई थी शाम के सात बजे वो छत पर आई, मैं दीवार कूद के उसकी छत पर चला गया फिर बोला :" तुमने कहा था ना कि जिसको प्यार करते हो.. बस आई लव यू बोल दो... तो आज मैं बोलना चाहता हूँ....
आई नो तुम मुझसे बड़ी हो लेकिन प्यार ये सब कहाँ देखता है, बस हो जाता है उसको चॉकलेट देते हुए मैंने कहा" आई रियली लव यू,.... वुड यू लाइक टू बी माइन फ़ॉर एवर।"
2 मिनट चुप रहने के बाद बोली
, पर तुझे हमेशा दोस्त माना है.... कोई भी अच्छी सी लड़की मिल जाएगी मुझे भूल जा, मेरा बॉयफ्रेंड है उसकी जॉब लगने के बाद हम शादी करने वाले हैं... आई लव यू टू बेबी पर दोस्त वाला प्यार इसके अलावा कुछ नहीं प्लीज मुझे माफ़ कर देना"
उसने मुझे हग किया और गाल पर किस कर के चली गई... अगले दिन से मैं उससे नज़रे नहीं मिला पा रहा था तो वो बोली" यार ऐसा क्या उदास हो रहा है,होता है इट्स नैचरल कोई गुनाह नहीं कर दिया " और हम पहले की तरह ही रहने लगे ।
2 साल बाद उसकी शादी हो गई अब भी हम दोस्त हैं, उसने शादी में भी बुलाया था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई....
8 साल हुए उस वाक्या को लेकिन अब भी वो मेरे ज़हन में हैं,इस दौरान मेरी ज़िन्दगी में लड़कियाँ आयी लेकिन वो खास जगह पर आज भी सिर्फ़ वो लड़की हैं मेरा प्यार मेरी..... नाम नहीं बताऊंगा।