Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

4.5  

Kunda Shamkuwar

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मुर्गियों के पँख

मुर्गियों के पँख

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लेखक की जिंदगी में ढेरों लोग होते है।उस के आसपास रहनेवाले,उसके रिश्तेदार और उसकी कहानियों और किताबों के कुछ पात्र।

कभी कभी लेखक अपने आसपास के रहने वाले लोगों को ध्यान में रखकर या उसे केंद्र में रखते हुए कोई कहानी बुनते जाता है।


अब मैं आप को एक किस्सा बताने जा रही हुँ।मेरे एक रिश्तेदार का पोल्ट्री फार्म है।वह बता रहे थे कि आज उनके वहाँ पोल्ट्री में कोई मुर्गी लेने के लिए आया था।उन्होंने उसे बताया कि मुर्गियाँ नही है।देशभर के lockdown के हालात में वह ग्राहक फिर इसरार करते हुए कहने लगा।"कुछ तो होगा,प्लीज देखिये न।"

मेरे वह रिश्तेदार थोड़े मजाकिया स्वभाव के है।उन्होंने उस ग्राहक को कहा, मुर्गियाँ तो नही है,लेकिन मुर्गियों के कुछ पँख है,ले जाओगें क्या? दे दूँ?

इस बात से आसपास के सब लोग हँसने लगे।

देश के इतने कठिन हालातों में भी लोग मुस्कुराने के मौके ढुँढ ही लेते है।

ये कोरोना के विनाशकारी हालातों के बाद आप लोग भी देखियेगा,जिंदगी फिर से मुस्कुराने लगेगी.....


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