Sonam Kewat

Abstract Inspirational

3  

Sonam Kewat

Abstract Inspirational

मुंबई की रफ्तार

मुंबई की रफ्तार

2 mins
167


मुंबई की एक बात तो बहुत खास है कि यहां जो दौड़ लगा सकता है वहीं रफ्तार को पकड़ सकता है क्योंकि धीमी रफ्तार वालों को तो मुंबई रास ही नहीं आती।

ये आज सुबह की ही बात है जब मैं जॉब पर जाने के लिए घर से निकली और ऑटो लेकर स्टेशन की तरफ जा रही थी तो देखा कि एक आदमी पूरी जी जान लगा कर दौड़ रहा था क्योंकि कुछ देर पहले ही उसकी बस आगे निकल चुकी थी।

वो पीछे लगातार दौड़ता ही जा रहा था, वहां मौजूद सभी का ध्यान उसी की तरफ था। दुर्भाग्यवश वह बस बहुत दूर निकल गई और वो आदमी निराश होकर वापस अपने बस स्टॉप पर वापस चला गया। मैंने अपने ऑटो ड्राइवर से कहा भैया थोड़ा तेजी से चलाना वर्ना मेरी भी लोकल ट्रेन इसी बस की तरह छूट जाएगी। ऑटो ड्राइवर ने रफ्तार थोड़ी तेज हो गई और मेरा स्टेशन भी आ गया, स्टेशन पहुंचने के बाद मैं ऑटो ड्राइवर को पैसे देते हुए आनन फानन में सीढ़ियों से चढ़ते हुए प्लेटफार्म पर पहुंचीं और मेरे पहुंचते ही ट्रेन भी आ गई। मैं ट्रेन में चढ़ गई और खिड़की की तरफ एक खाली सीट पाकर वहां बैठ गई।

खिड़की से बाहर नजारों को देखते देखते आंखों के सामने वही सुबह का मंजर घूमने लगा और मेरे जहन में एक बात आई कि अगर सही समय पर दौड़ ना लगा पाए तो शायद जिंदगी भर दौड़ लगाना पड़ सकता है। 


वैसे कहानी भले ही छोटी है पर सीख बड़ी दे जाती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract