बहादुर बेटी

बहादुर बेटी

6 mins
581


मेरा नाम स्नेहा है मैं मैं बेंगलुरु में पली-बढ़ी हूं मेरे माता-पिता भी पढ़े लिखे थे तो मेरी शिक्षा में उन्होंने कभी भी कमी नहीं छोड़ी इसलिए मैं आज बेंगलुरु के एक प्रसिद्ध अस्पताल में डॉक्टर हूं। मेरी एक 10 साल की बेटी है जिसका नाम मैंने जिया रखा है, उसे मेरे बिना नींद नहीं आती। पता है, अगर मैं घर ना जाऊं तो मुझे टीवी के सामने बैठ कर कॉल करतीं हैं और कहतीं हैं कि अगर आप मेरी बात नहीं सुनोगे तो मैं टीवी के सामने बैठे रहूंगी और आपकी कोई बात नहीं सुनूँगी। आज भी उसने मुझे शाम को 5:00 बजे फोन करके कहा कि मैं चाहती हूं आप 8:00 बजे तक घर पर आ जाओ क्योंकि कल कल मेरी एक तैराकी प्रतियोगिता है। मैंने कहा ठीक है मेरी माँ मैं आ जाऊंगी और इतना कहते हुए मैंने फोन रख दिया। मैं घर जाऊँगी तो वो बस यहाँ वहाँ की बातें करेगी और सो जाएगी।

मुझे भगवान से बहुत शिकायतें थी पर जब से जिया मेरी जिंदगी में आयीं हैं, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।मुझे आज भी याद है कि जिया महज 3 साल की थी तब मैं उसे अपने साथ एक बार पार्टी की मीटिंग में ले गई थी। वहां पर बगल में ही स्वीमिंग पूल था और जिया गलती से उसमें गिर गई। मेरे ऑफिस के कुछ लोगों ने उसे देखा और मदद के लिए आगे बढ़े तो देखा कि जिया ने खुद ब खुद हाथ पैर मारकर, संघर्ष करते हुए किनारे आ गई थी। वहां मेरे एक दोस्त संजय ने मुझे बोला कि तुम जिया को तैराकी प्रतियोगिता के लिए तैयार करो, देखना वह एक दिन जरूर बहुत बड़ा नाम कमाएगी।

मैंने भी संजय की बातों को सुनकर पास के ही मशहूर स्पोर्ट्स क्लब में तैराक के क्लास के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हम इतने छोटे बच्चे को तैरना नहीं सिखाते तब मैंने उनसे रिक्वेस्ट किया और उस घटना के बारे में बताया जब जिया खुद से तैरकर पानी इसके पास आ गई थीं। उन्होंने कहा ठीक है, मैं देखता हूं पर 5 साल के नियम के अनुसार हम 5 साल तक बच्चों को नहीं ले सकेंगे और जिया सिर्फ चार साल की है। मैंने एक साल इंतजार किया और जैसे ही जिया 5 साल की हुई उसे तैराकी सीखने के लिए वहां दाखिला करवा दिया । देखते देखते आज मेरी जिया 10 साल की हो चुकी है वह अपने क्लास की सबसे मशहूर तैराक हैं।

जिया बेटी, मैं घर आ गई! चलो साथ में बैठकर खाना खाएंगे, जिया मुस्कुराते हुए टेबल पर बैठ गई। मैं हाथ धोकर बाहर आयी तो जिया कहने लगी आपको याद है ना कल मेरी प्रतियोगिता है और मैं अभी से बहुत एक्साइटेड हूं और देखना मैं पहले नंबर पर ही आऊंगी। मैंने कहा हां बाबा हां! मुझे पता है, चलो अब खाना खाओ और सो जाओ, कल जल्दी उठना है ना!

प्रतियोगिता की सुबह मैं जिया को लेकर गयी तो देखा वहाँ बहुत भीड़ थी क्योंकि ये एक नेशनल प्रतियोगिता थी। तैराकी प्रतियोगिता के लिए कुछ बीस लड़कियाँ सिलेक्ट हुई थी, जिनमें से जिया की उम्र १२ साल थी और बाकी लड़कियों की उम्र १५ साल या उससे ऊपर थी और यही कारण था कि सभी लड़कियां जिया से ईष्या भी करती थी। जिया को मैं बहुत अच्छे से जानती हूं वह कभी भी अपनी मुश्किलों से आगे कैसे जाना है वो अच्छे से जानती है। मेरी बिना मदद के वह अपने काम इतने चतुराई से करतीं हैं कि कभी-कभी मुझे अपने काम के लिए जिया की सलाह लेनी पड़ती है।  इसी दौरान मैंने कुछ लड़कियों को देखा कि जिया के स्कूल की कुछ लड़कियां स्वीमिंग पूल के पास जाकर कुछ तरल पदार्थ गिरा रही थीं। हालांकि वहां पर कैमरे लगे थे पर सभी लोग प्रतियोगिता की तैयारी करने में बहुत ही व्यस्त थें।

मैंने वहाँ के कोच को बताने की कोशिश की पर सभी बहुत ही व्यस्त थे तो कोई मेरी बात सुन नहीं रहा था। जैसे ही मैं कोच के पास गई तब तक तो प्रतियोगिता शुरू हो चुकी थी और सभी बच्चे पानी में जाने लगे मैं जिया को आवाज देती रहीं कि जिया आगे मत जाओ क्योंकि वहां पर तेल लगा हुआ है, तुम फिसल जाओगी, तुम्हें लग जाएगा!

पर मेरी आवाज जिया तक पहुँचीं ही नहीं क्योंकि वहां बैठे सभी माता-पिता अपने बच्चों का उत्साह बढ़ा रहे थे। प्रतियोगिता को शुरू करने के लिए वहां पर खड़े हुए व्यक्ति ने सीटी बजाया तो सभी बच्चे पानी में कूद पड़े पर जिया का पैर फिसल गया और वह पानी में कूदे बिना ही गिर गई। मुझे डर लगा कि जिया शायद कुछ नहीं कर सकती, मैंने जिया के चेहरे पर थोड़ी सी शिकन देखी पर मुझे लगा कर जिया को तो अपनी मुसीबतों से खेलना आता है वह अच्छे से जानते हैं कि कब और कैसे अपनी मुसीबतों से बाहर आना चाहिए। वह थोड़ी दूर पानी में रुकी रही फिर मेरी तरफ देखने के बाद वह डुबकी लगाने लगीं। प्रतियोगिता के शुरुआत का थोड़ा समय ऐसे ही बर्बाद हो चुका था तो वह सभी लोगों से बहुत ही पीछे लग रही थी पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी और ऐसा लग रहा था कि शायद जिया आज नहीं कर पाएगी।

मैं सोच रहे थे कि वह पानी से बाहर आ जाए और बोल दे कि उससे नहीं होगा मैंने वहां पर जाकर उसके कोच को बोला कि आप प्लीज जिया को बाहर निकालिए क्योंकि उसके पैर में चोट लगी है तो कोच ने बोला हम प्रतियोगिता के बीच में जाकर किसी को कुछ नहीं कह सकते। जिया सिर्फ 1 किलोमीटर ही तैर पाई थी कि बाकी बच्चे ढाई किलो मीटर पर चल रहे थे।

मैं स्टेडियम से बाहर आ गयी क्योंकि मैं जिया को इस तरह देख नहीं सकती मैं जानती थी कि जिया के लिए प्रतियोगिता कितनी महत्वपूर्ण है वह कई दिनों से घर में भी अक्सर प्रतियोगिता के बारे में मुझसे बातें किया करती थी और नए नए तरीके निकालती कि किस तरह से कम समय में कौन-कौन सी टेक्निक इस्तेमाल करके वह अच्छे से आगे जा सकती हैं।

मैं बाहर बैठे बैठे सोच रहीं थी नहीं मेरी जिया कमजोर नहीं है, मुझे आज भी याद है जब मैं दस साल पहले राजस्थान गयी थी तो वहाँ के कुछ लोग एक नवजात बच्ची को दूध में डुबोकर मार रहे थे, जब सभी के जाने के बाद मैं वहा गयी तो देखा कि उसकी सांसें अभी भी चल रही थी। मैंने उसे गोद में उठाया और उसे जिया कहकर पुकारने लगीं। हां, ये सच है कि जिया मेरी बेटी नहीं है पर वह मेरे लिए सब कुछ है। मैं खुद को दिलासा देती रही कि ये वही बहादुर बेटी है जिसे कभी दुध मे डुबाया गया था पर वह बच गयीं थीं तो आज तो वो एक समझदार बच्ची हैं। मुझे काफी समय हो गया था बाहर बैठे हुए फिर थोड़ी ही देर में जिया के कोच आकर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहने लगे कि तुम्हारी बेटी बहुत बहादुर है, सभी विजेताओं में दूसरे नंबर पर उसे घोषित किया गया है। मैं अंदर गयी और यह देखकर मुझे बहुत ही खुशी हुई, अपनी बेटी पर गर्व भी हुआ। फिर प्रतियोगिता खत्म होने के बाद हम दोनों घर आ गए। मैंने देखा कि जिया का मुंह अभी भी थोड़ा उतरा हुआ था, मैंने जिया से पूछा क्या बात है? तो उसने कहा कि मैं पहले नंबर पर क्यों नहीं आयीं, मुझे दूसरा नहीं आना क्योंकि मुझे यह पसंद नहीं है। तब मैंने उससे कहा कि जिंदगी की प्रतियोगिता में हमेशा पहले नंबर पर आना जरूरी नहीं है, हमारी जिंदगी में ऐसे बहुत मोड़ आते हैं जब हम पहला, दूसरा, या तीसरा हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता पर हमने उस परिस्थिति को कैसे संभाले हुआ है, वह बहुत ज्यादा जरूरी होता है।

मैंने देखा था तुम्हारे पैर में चोट लगी थी और मुझे तो विश्वास भी नहीं था कि तुम कुछ भी कर पाओगी पर तुमने किया और किया ही नही बल्कि तुम दूसरे स्थान पर विजेता भी बनी इसलिए तुम मेरी बहादुर बेटी हो।

मैंने जिया का पीठ थपथपाते हुए कहा तुम दूध में भी तैरते हुए बच गयीं थीं और ये तो सिर्फ पानी था, जिया ने बड़ी मासुमियत से कहा पर मैं तो दूध में तैरने कभी गयीं ही नही थीं तो फिर कैसे?

मैंने हँसते हुए कहा कुछ नहीं वो तो सिर्फ बुरा सपना था और मैं उसे अपने हाथों से खाना खिलाने लगीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama