'अ', 'ब' और 'क' के प्यार की कहानी
'अ', 'ब' और 'क' के प्यार की कहानी
यह एक कहानी है 'अ', 'ब' और 'क' के प्यार की
'अ' को बात करना पसंद नहीं है पर
उसमें कुछ ना कुछ तो बात है
'ब' को बात करना पसंद है और
'अ' हमेशा से ही उसके साथ है
'अ' और 'ब' बात ही बात में
जाने कितनी ही बातें करते हैं
इश्क है दोनों के बीच तभी तो
दोनों ही एक दूजे पर मरते हैं
अब किसी तीसरे शख्स की तरह
'अ' और 'ब' के बीच 'क' का आना हुआ
वैसे तीन तिगड़ा भी कह सकते हैं
क्योंकि वैसा ही कुछ फसाना हुआ
समझो कि जाने कैसे, कब, कहां
'अ' और 'क' की मुलाकात हुई
'अ', ने तो कुछ बात नहीं किया पर
'क' की 'अ' से बहुत ही बात हुई
'क' को इश्क हुआ 'अ' से और
उसने सब कुछ खुलकर बताया था
'क' नहीं जानतीं थी 'ब' के बारे में
और ना ही 'अ' ने कभी बताया था
'अ' और 'ब' की चाहत चलती रही
'क' भी प्यार के रास्ते में चलने लगे
दिन तो खैर छोटे होते रहे
और रात काली बढ़ने लगी
'क' और 'अ' की मुलाकात नामुमकिन थी
पर आजकल सोशल मीडिया भी चलता है
किसे, कैसे और कब, कहां
जाने कैसे,
जाने किसके प्यार का भेद खुलता है
अब यूं ही समझ लो कि दिन-ब-दिन
दिल की बातों का भेद खुलता था
'क' को लगा कि 'अ' भी प्यार करता है
क्योंकि काफी कुछ मिलता जुलता था
अब यूं ही चलने लगा था मंजर
'क' तो सिर्फ अपनी ही दुनिया में रहती थी
'अ' भी उसके इश्क में होगा सोचकर
खुद ही खुद से सारी बातें कहती थी
अब जाकर एक दिन खुला राज सारा
तब पैरों तले जमीन खिसकने लगी,
'अ' ने तो सिर्फ और सिर्फ 'ब' को चाहा था
ये सच जानकर 'क' सिसकने लगी
उसे देर ही सही पर पता चला कि
'क' का वहम था जो सच हुआ नहीं था
'अ' के जहन मे सिर्फ 'ब' रहती थी
'अ' और 'क' के बीच कुछ हुआ नहीं था
तब से अब तक सिर्फ और सिर्फ
'अ' और 'ब' की ही कहानी चलती है
कब, कैसे, क्यों, कहा, पता नहीं पर
'क' आज भी यूं ही मचलती है
