Sonam Kewat

Classics Inspirational

4.5  

Sonam Kewat

Classics Inspirational

प्याज के पकौड़े

प्याज के पकौड़े

3 mins
213


कड़ाई में तेल पूरी तरह से गर्म हो चुका है। मैंने तड़का देने के लिए प्याज तो काट कर रखा है पर तड़के में सिर्फ टमाटर,लहसुन, धनिया वगैरा-वगैरा डालकर, तड़के वाली दाल बनाई है और प्याज को बचाकर रख लिया हैं। इतने में बाहर से आवाज आती है, बहू! खाना कब तक ला रही हो ? ला रही हू मम्मी जी, मैंने कहा। 

मेरे परिवार में कुल 6 लोग हैं। मैं, मेरे पति, मेरी दो बेटियां, ससुर जी और सासू मां। बस जिंदगी एक मध्यमवर्गीय परिवार की तरह ही चल रही है। बाहर कमरे में सब एक साथ खाना खा रहे हैं और टीवी में न्यूज़ देख कर हमेशा की तरह सिर्फ एक ही बात पर चर्चा होती है, मेरे ससुर जी कहते हैं कि आजकल प्याज के दाम तो इतने बढ़ गए हैं कि प्याज तड़के में भी चले जाए तो बड़ी बात है। मेरे पति कहते हैं हां, अब वह जमाना गया जब हम दाल चावल के साथ भी प्याज खाया करते थे। सासू मां कहती हैं कि जब हम गांव में होते थे तो सारे प्याज रखे रखे सड़ जाते थे लेकिन यहां तो प्याज खरीदने के पहले सोचते हैं खाए कि ना खाए! मेरे बच्चों को प्याज तो पसंद ही नहीं है।चलो सब लोग खा पी चुके हैं और अपने अपने कमरे में आराम करने चले गए हैं। मैं वापस किचन में आयी और गैस को फिर से चालू किया। कड़ाई में तेल डालकर प्याज में दो चुटकी बेसन, थोड़ा नमक, मसाले डालकर दो पकौड़े तल कर निकाल लिए।

पता नहीं क्यों बहुत दिनों से मन कर रहा था प्याज के पकौड़े खाने का पर प्याज के भाव की वजह से कोई नाम तक नहीं लेता। मैं भी अपना खाना लेकर बैठ गई पर खाना शुरू करने से पहले सोच रही थी कि पकौड़े अकेले खाऊं? अच्छा तो नहीं लगता अकेले खाना। इसलिए मैंने ससुर जी के पास जाकर पूछा तो कहने लगे कि मेरा पेट तो भर गया हैं। फिर मम्मी से पूछा तो मम्मी कहने लगी कि खाने से पहले देती तो खा लेती, अब तू ही खा लें। बच्चों को पसंद नहीं है। अपने पति से पूछा तो कहने लगे कि क्या जरूरत थी पकौड़े बनाने की! प्याज महंगे हैं तो बचाकर इस्तेमाल किया करो और मैं वापस किचन में आ गई। पता है हम औरतें अगर खाना बनाती हैं तो पहले सबको खिलाती हैं और अंत में खुद खाती हैं। कभी कभी ख़ाना कम होने पर तो कड़ाई को पोछकर खा लेती हैं। मैं खाना खाने तो बैठ गई लेकिन पता नहीं क्यों, मुझे खाने से पहले ऐसा लग रहा है कि पकौड़े बनाकर मानों मैंने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया है। पकौड़े को बगल में रखकर सोचने लगी प्याज होता तो सब गरम गरम पकौड़े खाते। इतने में ही बारिश होने लगी और मौसम बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।

पतीले में थोड़ा दूध बचा था मैंने उस दूध से चाय बनाया और पकोड़े को लेकर ऊपर बालकनी में जाकर कुर्सी लगाकर बैठ गई। वैसे दोपहर के १:00 बजे चाय और पकौड़े कौन खाता है? बस मन की बात है मन करे तो कभी-कभी कर लेना चाहिए, सच कहूं तो अच्छा लगता है। अब टेबल पर वही दो पकौड़े और हाथ में चाय लेकर हिचकीचाते हुए ही सही लेकिन मैं जिंदगी का मजा लेकर उस पल को जीने लगी। 

मैं उन औरतों से कहना चाहती हूं जो सिर्फ किचन में रहकर अपनी सारी जिंदगी खाना बनाते हुए गुजार देती है। अक्सर हम सबके लिए कुछ ना कुछ करते हैं पर अपने लिए कुछ करना भूल जाते हैं क्योंकि घर में खाना बनाते तो सबकी पसंद का है पर अपनी पसंद का कभी खाते नहीं हैं। जिंदगी में से कुछ ऐसा पल निकाल लो जो तुम खुद के लिए जी सको जो मैं अभी जी रहीं हूं। इन पकौड़े, चाय और बारिश की बूंदों के साथ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics