मुक्ति
मुक्ति
आज जब मैं अपनी पुरानी सहेली के घर के सामने से गुजरी तो चलकर उसके हालचाल पूछने की इच्छा हुई।
इतने दिन बाद मिलने के बाद भी न उसमें कोई मिलने का उत्साह दिखा न वह गले लगी। बस उदास-सा मुँह बनाए बैठी रही। जब इसका कारण पूछा तो कहने लगी कल जब हम लोग बाहर गए थे तो बिल्ली ने पिंजरे को पटक-पटक कर पिंजरा तोड़ दिया और उसमें बंद उसके प्यारे तोते को दबोच लिया ।
मेरा प्यारा तोता अब नहीं रहा। तब मैंने उससे कहा तुम्हारा तोता तो उसी दिन मर चुका था जब तुमने उसकी आजादी छीन ली थी कल तो उस बेचारे की इस कैद से मुक्ति हुई है।
जरा सोचो तुम्हें अगर तुम्हारे पैरों से बांध दिया जाए तो क्या ऐसे जीवन को तुम सुखमय कहोगी ? वैसे ही तुमने उस पक्षी के परों को बांध कर रखा था अब बस ईश्वर से तुम्हे यही प्रार्थना करनी चाहिए कि उसका अगला जीवन सुखमय हो।