मुखौटा ~~
मुखौटा ~~
आज जब नारी मंच की अध्यक्षा श्रीमती भल्ला, मंच के स्वर्ण जयंती समारोह में लच्छेदार भाषण दे रहीं थीं, तो वहाँ उपस्थित सारी बहनें जोरदार करतल ध्वनि से उनके वक्तव्य का समर्थन कर रही थीं l
श्रीमती भल्ला कह रही थीं कि - "घर के बुज़ुर्गों का हमें सम्मान करना चाहिए l हमारे किए गए व्यवहार का ही हमारे बच्चे अनुकरण करते हैं l जैसे कि कहा भी गया है कि *बोए पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय*हम अच्छा आचरण करेंगे तभी तो हमारे बच्चे भी हमसे सीख लेंगे..!"
भाषण समाप्त होते ही श्रीमती भल्ला का ड्राइवर जो उनके भाषण के समाप्त होने का इंतजार कर रहा था, उन्हें घबराते हुए कहने लगा मैडम-"जल्दी घर चलें.. शायद माँ जी की तबियत कुछ ज़्यादा खराब हो गई है l आपका फ़ोन नहीं लगा तो शीला(नौकरानी) ने मुझे बताया..! "
ये सुनते ही श्रीमती भल्ला ने बौखलाते हुए कहा -" हाँ हाँ ठीक है, लगता है.. ये बुढ़िया तो मुझे कहीं चैन से रहने नहीं देगी l कितना बढ़िया प्रोग्राम चल रहा था, पर... इनको तो हमेशा मेरी ख़ुशी में टांग अड़ाने की जैसे आदत पड़ गई है l "
ड्राइवर हैरान हो गया..! अभी तो मैडम भाषण में कुछ और ही बोल रहीं थीं ! फ़िर उसने देखा ये क्या.. मैडम रोते हुए अपने पति को फ़ोन लगा कर बोल रहीं हैं -" आप कहाँ हैं, जल्दी आइए ना.. मम्मी जी की तबियत खराब हो गई है मैं अकेले क्या करूँ.. उनको कहाँ ले जाऊँ.. हे भगवान, मम्मी जी की रक्षा करो..! "और तभी ड्राइवर ने देखा मैडम के रोने की आवाज अचानक ऊँची होती जा रही है .. जिसे देखकर नारी मंच की सभी महिलाएँ वहाँ एकत्रित होने लगीं, और सभी एक स्वर से उनको सांत्वना देने लगीं.." मैडम आप धैर्य रखिये, भगवान अच्छे लोगों का सदैव साथ देते हैं l "
इधर ड्राइवर परेशान हो रहा था कि शीघ्र किसी तरह घर चलना चाहिए, परन्तु मैडम का पल पल *मुखौटा* बदलते देखकर उसे हैरानी हो रही थी..!