ईमानदारी :-
ईमानदारी :-
"किससे मिलना है सर? " मुझे नमस्ते करते हुए स्कूल के दरबान ने कहा l
मैंने मुस्कुरा कर दरबान के अभिवादन का जवाब देते हुए कहा - "मुझे मिस काव्या अग्निहोत्री से मिलना है l" काव्या, जिससे मेरी शादी होने वाली है l पहली बार हम औपचारिक तौर पर घर वालों के साथ मिले थे l आज हमारी दूसरी मुलाक़ात होगी l संयोगवश मुझे ऑफ़िस की मीटिंग अटेंड करना था l और काव्या से इस बात का ज़िक्र किया तो उसने भी मिलने की सहमति जताई और मैं चला आया.. अब दरबान मेरे विषय में पूछताछ करने लगा तो मैं इधर-उधर टहलते हुए स्कूल बिल्डिंग को देखने लगा l
तीन मंजिला बहुत बड़ा स्कूल परिसर था l गेट के सामने ही लिखा था "सेंट जोसेफ इंग्लिश मीडियम हायर सेकंडरी स्कूल " नाम पढ़ते हुए मैंने एक लंबी साँस ली.. तभी
दरबान आया और गेट खोलकर वो मुझे स्कूल के भीतर ले गया, वेटिंग रुम में बिठाकर जाते हुए उसने चपरासी से कहा -"रामाधीन ये अग्निहोत्री मैडम के स्पेशल गेस्ट हैं, चाय काफ़ी क्या लेंगे इनसे पूछ कर जल्दी से बनाओ, मैडम अभी क्लास में हैं l " ये सुनते ही चपरासी तुरंत मेरे लिए पानी ले आया और मुस्कुराते हुए उसने मुझे एक सलाम ठोकते हुए कहा - "सर, चाय या काफ़ी क्या बनाऊँ आपके लिए ?"
"अदरक वाली ब्लैक टी बना सकते हो?" मैंने उससे पूछा
" जी क्यों नहीं.. अभी लाया..! " कहकर रामाधीन चला गया
और कुछ ही देर में बिस्किट के साथ वो चाय ले आया मैंने उसे धन्यवाद कहा और चाय की एक घूंट लेते हुए ही मैंने देखा सामने स्कूल कॉरिडोर में काव्या किसी के साथ बड़ी सहजता से इंग्लिश में बात करते हुए चली आ रही थी l उसकी बात सुनकर मैं अचंभित हुआ , क्योंकि इतने ही मोहक अंदाज़ में काव्या हिंदी में भी बात करती है l तभी अचानक मेरे दिमाग़ में एक सवाल कौंध गया और काव्या जैसे ही मेरे क़रीब पहुँची मैंने तपाक से उससे कहा -"अरे वाह, जितनी अच्छी इंग्लिश बोलती हो उतनी ही मीठी हिन्दी भी तो.. तो फ़िर.. कुछ एक इंग्लिश मीडियम बच्चों की हिन्दी कमज़ोर क्यों होती है..?
" सिद्धार्थ! मेरा मानना है कि किसी भी विषय को जानने के लिए पढ़ने से ज़्यादा उसे समझना ज़रूरी होता है, वो भी गहराई और शिद्दत के साथ; पापा कहते हैं कि स्कूल में वहाँ के विषयों को मन लगाकर पढ़ो और घर में हिंदी भाषा का ही प्रयोग किया करो l आम बोलचाल में मातृभाषा का प्रयोग करेंगे तो उस विषय को ज़्यादा अच्छे से सीख सकते हैं l मैं अपने स्टूडेंट्स को घर में भी इंग्लिश में बात करने के लिए कभी नहीं कहती l वैसे सच कहूँ तो किसी भी भाषा की सुन्दरता पढ़ने और पढ़ाने वाले की ईमानदारी पर निर्भर करती है l उसके बाद ही वो बोलने, लिखने और पढ़ने में ख़ूबसूरत मालूम होगी ! "
"जी मैडम!" मैंने झुककर कहा तो काव्या के चेहरे पर लज्जा की लाली बिखर गई ..l
