एक और सुपारी
एक और सुपारी
दस वर्ष की सोना शहर के एक नर्सिंग होम के क्वार्टर में अपनी मम्मी के साथ रहती थी,अपने पिता को उसने अब तक नहीं देखा था l बस मम्मी से उसने यही सुना था, कि मुझसे पहले मेरी दो बहनों को गर्भ में ही मार दिया गया था l और जब मैं होने वाली थी तो सोनोग्राफी से भ्रूण परीक्षण पर कानून सख्त हो गए थे, इसलिए पापा की ये सख़्त हिदायत थी कि, अगर लड़की होती है..! तो तुम वापस घर नहीं आना,,चाहे जहाँ जाओ मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं रहेगा l मेरा जन्म हुआ, और मम्मी ने घर ही नहीं शहर छोड़ दिया और हम यहाँ आ गए,मम्मी ने नर्सिंग कोर्स किया था, इसलिए यहाँ कामऔर घर दोनों ही मिल गया l
और आज सुबह सुबह हॉस्पिटल में जबसे एक केस आया है, तब से मम्मी परेशान हैं.. सोना के पूछने पर बोलीं - "तुम अभी छोटी हो बेटा, नहीं समझ पाओगी" ये कहते हुए वो बाथरूम गई, तो सोना भी उनके पीछे पीछे गई... उसने देखा, मम्मी ख़ूब जोर जोर से रो रही हैं , फ़िर कुछ देर बाद वो मुँह धोकर बाथरूम से बाहर निकलीं और भगवान के सामने क्षमा माँगने लगीं.. "आज एक बार फ़िर.. एक और कली को मेरी आँखों के सामने कुचल दिया गया और मैं कुछ ना कर सकी, क्या मैं अपराधी हूँ..? अगर हाँ तो, मुझे माफ़ कर देना भगवान्..!" ये उस बच्ची के नाम कहते हुए उन्होंने पूजा के पासएक सुपारी रख दी और नर्सिंग होम चली गई l उनके जाने के बाद सोना ने देखा - भगवान के पास एक दो नहीं *सुपारी का ढेर*लगा हुआ था l
