STORYMIRROR

मधु मिshra 🍃

Inspirational

3  

मधु मिshra 🍃

Inspirational

#लघुकथा :- ऑफ लाइन

#लघुकथा :- ऑफ लाइन

2 mins
198


-"हैलो ... साले साहब, क्या हालचाल है..?"


-"ठीक हूँ जीजाजी, चरण स्पर्श..! आप कैसे हैं..? और दीदी, मौली अंश...इन सबसे भी बात किये हुए मुझे बहुत दिन हो गये हैं ... आज फ़्री होते ही आराम से बात करता हूँ न ... " 


-" हाँ.. हाँ... कर लेना... भई.. पर आज तो मैंने तुमसे कुछ और कहने के लिए फ़ोन लगाया था....! "


-" हाँ.. बोलिये न जीजाजी.. क्या हुआ..? " उत्सुकता से वैभव ने कहा


-" आज तुम्हारी राखी मैंने पोस्ट तो कर दी.. पर राखी को लेकर... एक बात ..इस बार ही मेरे दिमाग़ में आई....! " 


-" क्यों.. क्या हुआ जीजाजी..? " वैभव ने अपनी उत्सुकता ज़ाहिर की.. 


-" राखी ख़रीदने के लिए पहली बार मैं भी तुम्हारी दीदी के साथ गया था.. वहाँ उसे मनपसंद राखी छांटने में जितना... टाइम लगा... ये देखकर मुझे तो ऐसा लगा कि कौन सी राखी तुम्हारी कलाई में सुन्दर लगेगी उसके दिमाग़ में लगातार शायद यही चलता रहा होगा... और उसी तरह तुम भी तो दीदी पर क्या जंचेगा और उसका पसन्दीदा रंग क्या है ये ही ध्यान में रखकर उसे उपहार भेजते हो...! "


-" हाँ... वो तो सब ठीक है जीजाजी.... पर आप.. आप कहना क्या चाहते हैं वो तो बताइये...? " अब वैभव की बात में उत्सुकता के साथ प्रबल उतावलापन भी शामिल हो गया.. 


" - मेरा कहना ये है कि.. तुम्हारी हम लोगों से मुलाक़ात ऐसे तो कभी भी हो जाती है, पर यदि एकाध बार राखी बंधवाने के नाम पर तुम आ सकते तो ... क्योंकि मैंने देखा है, ये त्यौहार पूरा का पूरा स्नेह के लेनदेन का है, और ऑन लाइन में चीज़े ही दी जा सकती है.. प्यार और आशीर्वाद को पाने का सुकून तो महसूस करने में है... मैंने ठीक कहा न...! " पर सामने फ़ोन में चुप्पी छाई रही ...तो कुछ देर तक हैलो हैलो करके विनीत ने फ़ोन इसलिए काट दिया कि शायद नेटवर्क चला गया होगा .. 


पर दोबारा जब उन्होंने फ़ोन मिलाया तो... वैभव ने कहा - " सॉरी, जीजाजी मैं अपने दूसरे फ़ोन से राखी के दिन... फ्लाइट की टिकट एवलेबल है या नहीं ये देखने लगा था ... सोच रहा हूँ... इस बार ऑफ लाइन हो ही जाऊँ... ये सुनते ही ... विनीत की आँखें भर आई ... 




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational