मटर पनीर का जवाब
मटर पनीर का जवाब
"मटर पनीर वाकई बहुत अच्छी बनी है लेकिन फिर भी मेरी माँ के हाथ की बनी मटर पनीर जैसी नहीं है। उनकी बनायी मटर पनीर तो लाजबाब होती है।तुम भी माँ से सीख लेना।"
दिनेश ने कहा तो निधि का चेहरा उतर गया ।वह उदास सी हो गयी जबकि दिनेश खुब चाव से खाना खाते रहे।।।
आज निधि की शादी की पाँचवीं वर्ष गाँठ थी ।उसने अपने पति दिनेश का मन पसंद मटर पनीर और अन्य व्यंजन बनाये थे। मटर पनीर दिनेश को बेहद पसंद थी।दीवानगी की हद तक।
उनकी इसी पसंद के कारण निधि ने अपनी सम्पूर्ण पाक कला इसमें डाल दी थी ताकि उनकी तारीफ पा सके लेकिन..........
उसने रुआँसे मन से जैसे तैसे खाना खाया और बर्तन समेटने लगी।
रातमें दिनेश ने फिर उसके खाने की तारीफ की लेकिन उसका मन नहीं माना।
फिर तो ऐसा हमेशा होने लगा।उसे बहुत कोफ्त होती।
सोचती ऐसा क्या करती है माँ जो मैं नहीं करती ।मेरी मटर पनीर उनके जैसी क्यों नहीं बन पाती। दिनेश से पुछती तो मुस्कुरा कर रह जाते।
लेकिन दिन महीने साल गुजरने के बाद भी उसे इसका जबाब नहीं मिला।
उसने माँ से पुछा मी था और उन्होंने उसे सब बताया भी लेकिन दिनेश का वही जबाब रहता।
समय बीता।बहु निधि अब खुद एक सास थी।उसकी बहु बहुत सुघड और सुशील है।खाना भी बहुत अच्छा बनाती है।
निधि के बेटे को भी मटर पनीर बहुत पसंद है।
निधि की शादी की सालगिरह पर बहु ने बहुत मेहनत और लगन से खाना बनाया।
सभी खाने खाने बैठे तो सबने खाने की तारीफ की।
तभी बहु ने उनके बेटे से पुछा मटर पनीर कैसी बनी है?
उनके बेटे ने संतुष्टि से खाते हुए कहा -" मटर पनीर तो वाकई बहुत अच्छी बनी है लेकिन फिर भी मेरी माँ के हाथ की मटर पनीर जैसी नहीं है।उनकी बनायी मटर पनीर तो लाजबाब होती है। तुम माँ से मटर पनीर बनाना सीख लो।"
ओर फिर निधि के मन मे एक झमाका हुआ। जिस सवाल का जबाब के लिए इतने सालों से बेचैन थी वह आज मिल गया था।
असल मे मटर पनीर मे कुछ अलग नहीं मिलाया गया था बल्कि उसमे उनको अपनी माँ का प्यार नजर आता था।
निधि ने अपने पति की ओर देखा तो वे हौले से मुस्कुरा रहे थे।
उसने भी खुशी जाहिर की और खाना खाने लगी।