अरविन्द कु सिंह

Drama Others

3  

अरविन्द कु सिंह

Drama Others

रिक्शेवाला

रिक्शेवाला

3 mins
225


मैं पटना जंक्शन पर उतरी तो शाम के सात बज गये थे। मैंने अपना सामान उठाया और स्टेशन से बाहर आ गई। अपने काम के सिलसिले में अक्सर बाहर जाना होता है। अकेली ही जाती हूँ क्योंकि पति व्यस्त रहते हैं। मैं रिक्शा के लिये गई तो कोई भी इतनी शाम पाटलीपुत्रा कालोनी जाने को राजी नहीं था।।

तभी एक मवाली से दिखने वाले रिक्शेवाले ने कहा -"चलिये मैडम, मैं ले चलता हूँ।"

मैंने देखा -करीब चालीस साल का हृष्ट पुष्ट आदमी, मुँह में पान खाये हुये गंदे दाँत दिखाते हुए बोला। उसकी नजर मेरे चेहरे पर थी। मुझे इच्छा नहीं हुई उसके साथ जाऊँ पर कोई चारा भी नहीं था।

मैंने पुछा -"कितना लोगे?"

उसने कहा -जो उचित हो दे दीजिएगा।

मैं रिक्शे पर बैठ गई। रिक्शा चल पड़। रिक्शेवाला बार-बार मुझे देख रहा था। उसने एक भोजपुरी गाना, गाना शुरू किया। मुझे गुस्सा आ रहा था कि कैसे बेसउर होते हैं ये लोग ।औरत की इज्जत करना भी नहीं जानते। मैंने उसे डांटा तो वह चुप हो गया। खैर पाटलिपुत्रा पहुंचते-पहुंचते रात के नौ बज गये।

मैंने उसे तीस रुपए दिये तो बोला -"पचास रुपए से कम नहीं लूँगा। इतनी रात में इतनी मेहनत ऐसे ही नहीं की है।

आपको देना पड़ेगा ।"

मुझे लगा यह लोग ऐसे ही होते हैं। अक्खड़, बदमिजाज और बेमुरौवत।

मैंने कहा -"मैं इतना ही देती हूँ।"

वह बोला -" नहीं , पचास रूपए ही किराया है मैडम।"

पर मैंने उसे चालीस रुपए दिये और अपनी गली में मुड़ गयी।

वह मैडम-मैडम करता ही रह गया।


मैं आगे बढ़ी कि देखी, वह रिक्शेवाला मेरे पीछे-पीछे आ रहा है। मुझे लगा यह मवाली मेरे अकेलेपन का फायदा उठाना चाहता है। मैंने जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाए। तभी गली के दूसरे मोड़ पर पान की दुकान के पास कुछ लोग खड़ नजर आये। मेरी जान में जान आई कि रिक्शेवाले से पीछा छुटा।

मैं कुछ सोचती की तभी गुंडे से दिखने वाले दो बदमाश मेरे सामने आ गये। एक ने मेरा हाथ पकड़ लिया और खींचने लगा।

"छोड़ो मुझे"-मैं चिल्लाई।

वहाँ दो तीन लोग और थे पर किसी ने मेरी सहायता नहीं की बल्कि सारे वहाँ से खिसक लिए क्योंकि उन बदमाशों में एक के हाथ में चाकू था।

डर के मारे मेरी हालत खराब हो गई। मेरी आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा।

चाकू वाला बोल रहा था-"आज तो तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।"

वह मेरी बेबसी पर हँस रहा था-"हाहाहाहा---हाहाहाहा -----आआआआ-अरे बाप रे !!

मर गया रे।"

अचानक उसके मुँह से निकला तो मैंने देखा वह अपना जबड़ पकड़ जमीन पर पड़ है, चाकू दूर पड़ है और सामने वही रिक्शवाला आस्तीन चढ़ाए खड़ा है।

उसने मार-मार कर दोनों बदमाशों के छक्के छुड़ा दिये। वे दोनों दुम दबाकर वहाँ से भाग गये।

रिक्शेवाला बोला -"मैं लौट रहा था तो मुझे ख्याल आया कि इतनी रात में आप घर कैसे जाएंगी। तब मैंने आपके साथ आने के लिये आवाज भी दी पर आप और तेज चलने लगी थीं। चलिये, मैं आपको आपके घर तक छोड़ देता हूँ। आप मेरी छोटी बहन जैसी हो और कोई भाई इतनी रात को अपनी बहन को अकेला कैसे छोड़ सकता है?

 और फिर मेरे उपर घड़ों पानी पड़ा गया। मैं शर्म से गड़ गई। एक साधारण आदमी, जिसके मेहनत के पैसे भी मैंने काट लिये थे, वो मेरे बारे में ऐसा सोच रहा है और मेरा उसके बारे में ख्याल कितना गलत था।

वह मेरे साथ घर तक आया। मैंने डोर बेल बजायी तो पतिदेव ने दरवाजा खोला।

मैंने सामान रखते हुए सोचा की उसको और पैसे दे दूँ पर जब पीछे मुड़कर देखा तो दूर -दूर तक उसका कोई पता नहीं था। वह अंधेरे में गायब हो चुका था।

पति ने पुछा -"किसे देख रही हो?"

"था कोई देवता।"- मैंने कहा और घर में दाखिल हो गई।


दुनिया में बुरे लोग हैं तो अच्छे इंसान भी हैं। बस हम अपने गुरूर में उन्हें पहचान नहीं पाते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama