मसालें
मसालें
धनेश नाम का एक लड़का था, महाराष्ट्र के एक गाँव में! उसके पापा खेत में मेहनत मजदूरी करके पेट पालते, माँ गृहिणी थी,पर धनेश को पढने मे मन नहीं लगता था, वो सारा दिन अपनी माँ के साथ रसोई में घुसा रहता, उसका बाप हरदम झिडकता था बोलता मै तो पढ नहीं पाया सोचा ये कम. कमबख्त मेरा नाम करेगा पर ये तो पुरा औरत निकला, रसोई में कोई मर्द रहता है भला! बचपन से धनेश खाने का भी शौकीन था और बनाने का भी, माँ बिमार पड़ती तो सारा चौका वही सम्भालता था!
सारा गांव उस पर हंसता कि इसके लडकियों वाले शौक हैं, पर वो बहुत सीदा- सादा था तो समझ ना पाता और अपनी धुन मे रहता था! अचानक से धनेश के पिता को किडनी कि शिकायत हो गयी, तो घर का सारा जिम्मा उसके उपर आ गया! एक ही तो काम सीखा था उसने खाना बनाना तो, शादी त्योहारों मे खाना बनाने का काम माँ का आशीर्वाद ले कर शुरू किया! माँ पिछले साल मेले से मसालों का डब्बा लायी थी, पहले शगुन पर वही धनेश को दिया, उन सारे डब्बो में, नमक, चीनी, हल्दी, लाल मिर्च इत्यादि था!धनेश रोज इन मसालों के डिब्बो की पूजा किया करता था, क्योंकि आखिर था भी तो वो माँ का आशीर्वाद और माँ भगवान ही तो होती है!
पहले काम में एक नगर सेठ के बेटी के शादी में खाना बनाने का काम मिला, हल्दी के रस्म से ही उसको रखा गया था! बस क्या था लग गया खाना बनाने अपने मसालों के डब्बो के साथ! यही वो वक्त था कि तब से उसने पीछे नहीं देखा! तारीफों के पुल बंधने लगे, वो अपने घर जैसा सब मेहमानों का ख्याल रखता किसने खाया है ,किसने नहीं! सब उसको खूब बख्शीश दे के जाते! उन्हीं सब पैसो से उसने मिठाई और समोसों की दुकान खोली, जब शादी का मौका नहीं रहता तो वो उस दुकान पर रहता, वरना बगल के गोलु को दुकान पर बैठा के खुद शादी मे खाना बनाने जाता! सब गांव के लडके उसकी तरक्की देख कर मन ही मन जलने लगे थे!अब वो दुसरे -दुसरे शहर में खाना बनाने जाने लगा था!पर पापा उसकी इस नौकरी से खुश ना थे वो सोचते धनेश कुछ बडा करे, हरदम ताना देते बन गया थे कि बावर्ची को कौन लड़की देगा, इसके कभी कपड़े देखे है सारे में तेल-तेल और बदबु, पर धनेश अपने नौकरी से खुश था!
अचानक एक दिन पापा कि तबियत ख़राब हुई डाक्टर ने कहा उसके पापा कि किडनी में शिकायत आ गयी है!धनेश सोच में पड़ गया, कि इतने पैसे कहाँ से आयेंगे! माँ ने पुछा बेटा डाक्टर ने क्या कहा तो धनेश ने झुठ बोला कि पापा कुछ दिनों में ठीक हो जायेंगे माँ! धनेश ने 5-6 दिन पापा कि हास्पिटल में खूबब सेवा की, पर जब पापा के पास से हटता खूब रोता कि पापा को ठीक कर पाये!
इधर धनेश के पापा भी थोड़ा-थोड़ा बदल रहे थे अपनी सोच को ,जब धनेश नहीं था तो उन्होने उसकी माँ से कहा," सुनती हो जिंदगी भर मैने धनेश को नालायक समझा, पर आज कल अमीरों के पढे लिखे बच्चे भी देख रहा हूँं, शादी होते वृद्धाश्रम छोड आते है माँ-बाप को, पर इसने बडी सेवा कि है मेरी"!
" अपना धनेश जैसा है अच्छा है, अब जल्दी से कोई लडकी देख कर उसके हाथ पीले करने है"उसकी माँ बोली! दोनो के चेहरे पर संतोष का भाव था!
उधर धनेश एक शादी में गया, वहाँ भी वो चिंतित रहता था! उसकी एक सोलह वर्षीय लड़के राहुल से दोस्ती हूँई! धनेश खाना बनाते बनाते उससे खूब बातें करता और अपना दुख भी भूले रहता! राहुल बोला, "मैं बडा होकर आपके जैसा होटल मैनेजमेंट करके बनुंगा"!धनेश को आश्चर्य हुआ कि इसकी भी पढाई होती है और कोई उसके जैसा रसोईया भी बनना चाहता है!धनेश बोला,"मैने तो खेल-खेल में माँ से ये सब सीख लिया"!
"पर तुम कुछ अच्छा पढ़ के ज्यादा कमाना राहुल इसमें पैसा नहीं है, धनेश बोला!
राहुल बोला ,"कौन कहता है इसमें पैसा नहीं है"!
"आपके पास बस डिग्री कि कमी है वरना आप जितना अच्छा खाना बनाते हो, लाखों कमाते, वैसे अभी भी कमा सकते हो", राहुल बोला!
धनेश बोला, "ना बाबा ना मैं तो अपने गांव में ही खुश हूँ, क्या पता किसी को हमारा खाना पसंद ना आये, वहाँ बडे-बडे लोग होंगे"!
शादी तो खत्म हो गयी पर राहुल और धनेश फोन पर बात करते रहते थे!
अचानक एक दिन धनेश के पापा कि तबियत जोरों कि खराब हुईई डाक्टर ने कहा, पैसे का इंतजाम दो महिने के भीतर करना होगा!
"क्या बात है धनेश दुखी लग रहे हो", राहुल बोला!
"अरे नहीं यार तुम बताओ पढाई कैसे चल रही है", धनेश ने बात टाल दी!
"बस धनेश कर दिया ना पराया, बताओ तो क्या हूँआ भले छोटा हूँं मदद ना कर पाऊं, पर दुख बांटने से दिल हल्का होगा", राहुल बोला!
अब धनेश से रहा ना गया आखिर वो भी तो इंसान था डाक्टर कि कही बात कह कर रोने लगा बोला, " राहुल मेरे पास इतने पैसे नहीं है"!
राहुल सांत्वना देने के अलावा और क्या कर सकता था बेचारा! जैसे- जैसे दिन बीतने लगे वैसे ही धनेश कि चिंता बढती जा रही थी!
अचानक एक दिन राहुल ने फोन किया, बोला "धनेश क्या तुम मुंबई आ सकते हो मैने पापा से बोल के टिकट का इंतजाम कर दिया है! "
"पर क्यों", धनेश अचकचाया!
"आओ तो,माँ पापा को भी ले आना और हां अपना मसालों वाला डब्बा मत भूलना अपना", राहुल बोला!
बड़ा शहर था धनेश डर भी रहा था, लोग उसे घूरघूर के देख रहे थे और कुछ भुनभुना भी रहे थे! एक तो पास आया और जबरदस्ती फोटो खींचने लगा, धनेश अकबका कर वहां से भाग गया! राहुल और उसके पापा धनेश और उसके माता-पिता को स्टेशन से लेने आये थे !
घर पहुँच कर, राहुल धनेश को समझाता है ,"फटाफट तैयार हो,जाओ हमें कही जाना है"!
"प.. प.. पर", धनेश कुछ बोलना चाहता था!
"रास्ते मे सब समझाता हूँ चलो तो", राहुल बीच में ही बात काटते हूँये!
रास्ते मे राहुल बोलता है, "सुनो अब तुम आम आदमी नहीं हो बडे स्टार बन गये हो, जैसे फिल्मों मे आते है ना वैसे ही"!धनैश मुंह देखता है राहुल का अचंभे में!इसिलिए अच्छे कपडे वगैरह जरुरी है!
जैसै माल में जाते है, भीड़ टूट पड़ती है, कोई बोलता है, " वो देखो वो वाइरल विडियो वाला शेफ!
राहुल धनेश को भीड से बचाते हुये माल में ले जा कर उसको अच्छे कपड़े ,जुते दिलाता है!
"आखिर ये हुआ कैसे", धनेश कार में राहुल से पुछता है!
"मैने शादी मे चुपके से तुम्हारे रेसिपी कि विडियो बना ली थी, जब तुम मटर पनीर बना रहे थे, सोचा घर पर बना के खाऊँगा", उसको मैने फेसबुक, वाट्सएप पर डाल दिया ,बस क्या था रेसिपी इतनी अच्छी थी कि रातो रात घर-घर के विडियो में तुम थे, और अब एक बडे चैनल से तुमको कुकरी शो का औफर आया है और पता है उसमें बस एडवांस देंगे बीस लाख, सैलरी अलग से", राहुल धनेश कि ओर देखकर मुस्कुराते हूँये बोला!
"तुम उसमें कुछ दिन काम करके पैसे कमा के अपना रेस्टोरेंट का चेन खोल लेना देश विदेश में, बस तुम्हारे नाम का ब्रांड होगा और दूसरे रेसटोरेंट चलायेंगे और उसके शेयर के सारे पैसे तुम्हारे पास और सुनो तुम्हारे पापा के ईलाज के लिये बड़े हास्पिटल मे बात कर लिया है, कल उनको उसमें भर्ती कर देंगे", राहुल बोला!
धनेश आंसू भरे आंखो से राहुल को गले लगा लेता है! टी. वी. पर अपने प्रोग्राम में धनेश अपने मसालों के डिब्बो को प्रणाम करता है और बोलता है, "ये माॅ- पापा, राहुल और इन मसालों के डब्बो के वजह से हुआ है"!
धनेश की मां उसको टी. वी.पर देख कर बोली,"मैं ना कहती थी आपसे हमारा धनेश नाम करेगा"! उधर धनेश के पिता के आंखो मे आंसू थे और फ़ख्र से उनका सीना चौड़ा हो गया था!