मॉडर्न सती
मॉडर्न सती
चंदा एक पढ़ी लिखी समझदार लड़की थी। उसके मां बाप ने उसकी पढ़ाई पूरी होने के बाद उसका विवाह एक इंजीनियर लड़के से कर दिया। लड़का भी काफी अच्छा था।
मगर शादी के बाद चंदा ससुराल वालों से ज्यादा सामंजस्य नहीं बैठा पाई। जैसा कि हर घर में होता है, जब भी कोई नया इंसान घर में आता है, तो लोग जिस तरह फॉरेन पार्टिकल को बॉडी से निकालते हैं, उसी तरह उसको भी जमने की जगह बाहर निकालने की कोशिश करते है। मीन मेक निकालते हैं, परेशान करते हैं, यह सब अपवाद तो सब जगह होते हैं।
चंदा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। ससुराल वालों के और उसके बीच बिल्कुल बनी नहीं।
फिर वह अपने पति के साथ में उसकी जॉब के सिलसिले में दूसरे शहर चली गई। 1 दिन की बात है। उसके पति किसी काम से ट्रैक्टर चला रहे थे। और चेक कर रहे थे, कि पता नहीं क्या हुआ कि, उस ट्रैक्टर के स्टेरिंग में उनका पेंट फस गया। और वह कुछ नहीं कर पाए। और जख्मी हो गए हो नीचे गिर गए। और पता नहीं कैसे उनकी डेथ हो गई। यह समाचार जब चंदा को मिले तो उसके तो होश ही उड़ गए।
बहुत परेशान हुई, बहुत दुखी हुई, जैसे तैसे करके हादसे की जगह पर जाकर अपने पति की लाश ली। पुलिस बुलाई। और घर आई पोस्टमार्टम के बाद में उसके पति की लाश तो घर पर पड़ी थी, कि उसके ससुराल वाले आ गए। इतने दुख के टाइम में भी वे उसको बहुत भला बुरा बोलने लगे। बोलते हैं तू तेरे पति को खा गई, और ऐसा सब, पर वह बेचारी क्या करती, वो तो एकदम अकेली पड़ गई थी। जैसे तैसे अंतिम क्रिया करके वह लोग अपने को अपने शहर को रवाना हुए, वहां पहुंचते ही उसके ससुराल वाले ने उसको घर के अंदर आने से इनकार कर दिया। इतनी दुखी थी , मगर कोई उसका दुख नहीं समझ पा रहा था। सब उसको कोस रहे थे। जब तक उसके पीहर वाले भी पहुंच गए। उन्होंने देखा कि उसको बाहर खड़ा रखा है, तो उसको बोले, चल तू हमारे साथ। मगर चंदा अड़ गयी, दुखी थी, मगर उसने अपनी हिम्मत नहीं खोई थी। उसके ससुराल वालों का यह प्लान था कि उस लड़के के जो सरकारी नौकरी है, उसकी जगह उनके दूसरे लड़के को नौकरी मिल जाए। और उसका पैसा भी ससुराल वालों को मिल जाए। मगर चंदा ने बोला यह मेरा ससुराल है। मेरा घर है मैं यही रहूंगी । मां-बाप को भी मना कर दिया जाने से। मां बाप भी मायूस होकर चले गए। ससुराल वालों ने उसको बहुत परेशान किया। मगर वह अपने फैसले से डिगी नहीं। और उसने जब उसको नौकरी मिली उसके पति की जगह, तो वह नौकरी की जगह चली गई। और इज्जत से नौकरी करने लगी, और समय के साथ में सब ठीक हो गया। अगर उस समय वे हिम्मत हार जाती तो ससुराल वालों की चाल कामयाब हो जाती। और वह कहीं की नहीं रहती। ससुराल वालों ने तो यहां तक कहा कि तेरे को तेरे पति से प्यार नहीं है। पहले के जमाने में तो सती हो जाया करती थी औरतें। मगर तू तो उसके नौकरी पर और पैसे पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए बैठी है। तुझे तो उनसे ही प्यार है। मगर उसने उनकी किसी भी बात पर कान धरा, और अपने भविष्य अपने सम्मान के लिए डटकर खड़ी रही। और उसमें सफलता भी पाई। यह है मॉडर्न सती।
सती का मतलब पति के साथ मरना नहीं।
मगर पति की यादों के साथ में और उसके ख्वाबों को पूरा करते हुए जीना है। और उस सफर में अगर कोई अच्छा जीवन साथी भी मिल जाता है तो उसको चुनकर अपना नया सफर भी शुरू कर सकती है। राजा श्री राम मोहन राय ने सती प्रथा को मूल रूप से उखाड़ दिया था। मगर दुनिया की सोच इतनी अंधविश्वासी है वे सती के मंदिर बनाएंगे, उनमें जाकर के माथा टेक आएंगे। यह समझ में नहीं आता क्या है, इंसान भले ही कितना ही प्रगतिशील हो जाए, कितना ही पढ़ जाए। मगर इन फालतू के ढकोसला से अंधविश्वास विश्वासों से नहीं निकल पाता है।
