मनोरंजन कल आज ओर कल
मनोरंजन कल आज ओर कल


मनोरंजन एक ऐसी क्रिया है जिसमें सम्मिलित होने वाले को आनंद आता है। एवं मन शांत होता है। मनोरंजन सीधे भाग लेकर हो सकता है या कुछ लोगों को कुछ करते हुए देखने से हो सकता है।
मनोरंजन टेलीविजन
चलचित्र, रेडियो, नाटक, नौटंकी, संगीत, नृत्य, डिस्को, हास्य और गोष्ठी, कवि सम्मेलन, जादू, सर्कस, मेला, खेल, विभिन्न माध्यम से हो सकता है।
भोजन, वस्त्र और अन्न की भाँति जीवन में एक और भी वस्तु की आवश्यकता है और वह है मनोरंजन... मनोरंजन के अभाव में जीवन नीरस और शुष्क बन जाता है जीवन में नई स्फूर्ति उत्साह और शक्ति लाने के लिए कुछ ना कुछ मनोरंजन की आवश्यकता रहती है।
मनोरंजन से खुशी मिलती है, उससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है, दीर्घ जीवन का लाभ होता है, प्रसिद्ध विद्वान तथा दार्शनिक नायर ने प्रसन्नता का महत्व बताते हुए कहा है...- " जब भी संभव हो सदा हंसो और प्रसन्न रहो, प्रसन्नता एक सर्वसुलभ, सुंदर और सफल औषधि है जो जीवन के अनेक रोग दूर करती हैं..." डॉक्टर स्टर्क की भी एसी ही उक्ति हे। वह कहते हैं...- " मुझे विश्वास है कि हर बार जब कोई व्यक्ति हंसता मुस्कुराता है तो वह उसके साथ-साथ अपने जीवन में वृद्धि करता रहता है..."
सदा प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति कभी असफल नहीं होता, हमें खुद प्रसन्न रहना चाहिए। और पूरे परिवार को भी खुश रखना चाहिए। प्रसन्नता यूं ही बहुत से चिंताओं और व्यग्रताओं को कमकर देती है।
प्रसन्न रहने के लिए किन्हीं विशेष साधनों की आवश्यकता नहीं होती और न अधिक पैसे की। छुट्टी के दिन अथवा अवकाश के समय बाहर किसी वन वाटिका में जाकर प्राकृतिक संसर्ग में मनोरंजन कर सकते हैं।
जो लोग मनोरंजन के लिए नाच, स्वाँग, नौटंकी अथवा सिनेमा देखने जाते हैं, वे ठीक नहीं करते। यह मनोरंजन स्वस्थ नहीं होते इससे मानव वृत्तीयों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पैसा भी ज्यादा खर्च होता है।
मनोरंजन दो प्रकार का होता है एक शारीरिक और दूसरा मानसिक। शारीरिक श्रम करने वाले - मजदूर, किसान, दुकानदार, कारीगर, फेरीवाले, आदि लोगों को मानसिक मनोरंजन करना चाहिए, और बैठ कर लिखने, पढ़ने ,क्लर्की करने वाले अथवा कोई बौद्धिक श्रम करने वालों के लिए शारीरिक मनोरंजन ठीक रहेगा।
मनोरंजन जीवन की एक अनिवार्य आवश्यकता है। इसकी पूर्ति ना करने से जीवन में नीरसता, शुष्कता तथा कुंण्ठाओकी बहुतायत हो जाती है। दिन भर के काम के बाद यदि थोड़ा सा मनोरंजन कर लिया जाए तो निश्चय ही चिंन्ताये तथा कुंण्ठाए कम होती है और शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के साथ आयु में भी वृद्धि होती है....