याराना...
याराना...
अतुल उठ भी जाओ यार स्कूल के लिए लेट हो जाएगा... विशाल ने अतुल को उठाते हुए कहा... विशाल और अतुल दोनो 11 वी कक्षा के छात्र थे... और कोटा शहर में होस्टल में रहते थे...दोनो ही पढ़ाई में अच्छे थे लेकिन दोनों की क्लास अलग - अलग थी...अतुल का क्लास में हमेशा 1 नंबर आता था... वह पढ़ाई के साथ - साथ दूसरी प्रवृत्ति में भी अव्वल आता था...अभी नए सत्र की ही शुरुआत थी, तो काफी नए ऐडमिशन भी क्लास में हुए थे...क्लास में नए और पुराने बच्चे आपस मैं ही अपना परिचय दे रहे थे... तभी एक मोटा श्याम वर्ण लड़का क्लास में आता है... उसे देख सभी अंदर अंदर बातें करने लगते है... " यार ये कौन है, यह भी हमारे साथ पढ़ेगा क्या, किस डरावना दिखता है यार," यह सारी बातें वह लड़का जय सुन लेता है... और मायूस हो जाता है लेकिन अगले ही पल वे खुद को संभालते हुए सबसे लास्ट वाली सीट पर जाकर बैठता है... कोई भी उसे बात नहीं कर रहा था... यहाँ तक की उसे सब घूर घूर कर देख रहे थे... अतुल भी इन सब में शामिल था।
थोड़ी देर में क्लास में शिक्षक आते है... सब बच्चों ने उनका अभिवादन कर अपनी जगह बैठ गए... शिक्षक ने सभी बच्चों का अभिवादन स्वीकार कर पढ़ाने लगते है। तभी उनकी नजर जय पर पड़ती है, शिक्षक ने जय को अपना परिचय देने को कहा सब बच्चे हँसने लगते हैं। तो शिक्षक ने अपनी बड़ी - बड़ी आँखो से बच्चों को देखा तो सब चुप हो गए। शिक्षक ने जय से कुछ प्रश्न पूछे लेकिन डर के मारे वह जवाब न दे सका। तो सारे बच्चे एकबार फिर हँसने लगते है, यह देख जय अंदर से सहम जाता है... और रो देता है।
यह सब अतुल देखता है उसे यह सब अच्छा नही लगता... पर कुछ कर भी नई सकता था... वह सब कुछ देखता रहता है....
इतने में ब्रेक की बेल बजती है... और सारे बच्चे क्लास के बहार आ जाते है। जय स्कूल की लाइब्रेरी में आके अकेला बैठ जाता है, अतुल जय को ढूंढते हुए लाइब्रेरी में आ जाता है... और जय को अकेला बैठ देख उसके पास जाता है और दोस्ती का हाथ उसके सामने बढ़ा देता है। यह देख जय बहुत खुश होता है उसने फौरन अपना हाथ बढ़ा दिया... इस तरह जय को अतुल जैसा दोस्त मील गया था... सुबह से जय जितना उदास था उतना ही अभी खुश था।
अतुल जय को खाली समय में पढ़ाने लगता है... जय को धीरे - धीरे सब समझ आने लगता था वह अब पहले से ज्यादा खुश रहता और मन लगाकर पढ़ाई करता... कुछ ही दिनों में क्लास में टेस्ट हुए... उसमें जय के बहुत ही अच्छे नंबर आए। सब बच्चे देखते ही रह गए जय ने अतुल को गले से लगा लिया और अपने आँसू पोंछे.... थोड़े दिनो में जय के भी दोस्त बन गए थे।
जय ने देखा की कुछ बच्चे अतुल को परेशान करते है वह फौरन वहां जाता है... जय को देखते ही वो लड़के डर के मारे वहां से भाग जाते है... यह देख अतुल जय के गले लग जाता है और लड़कियाँ जय को घेर लेती है।
जिंदगी में ऐसे ही सच्चे और समझदार दोस्त मिलते है तो जिंदगी काफी हद तक आसान हो जाती है।