komal Talati

Classics

4.7  

komal Talati

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वो सतरंगी पल...

वो सतरंगी पल...

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याद में ये दिल रवाना हो गया

आंचल में छिपना बहाना हो गया


चाँद को देख याद आए वो दिन

गोद मे तेरी सुलाना हो गया


ढुंढते रहते है तुझको हर तरफ

यह शरारतमै सताना हो गया


और तुमको ही हंसाना काम है

बात को मुझसे छिपाना हो गया


याद में जो आंखें नमी सी हो चुकी

'माँ' कि यादों का खजाना हो गया।


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