कॉफ़ी विथ लव
कॉफ़ी विथ लव
कॉलेज की फेरवेल पार्टी चल रही थी... सभी लोग अपने आप मे ही मस्त थे... कुछ लोग डांस फ्लोर पर अपना जलवा दिखा रहे थे तो कुछ लोग खाने पर अपना हाथ साफ कर रहे थे... और कही कुछ दोस्तों का ग्रुप एकदुसरे की टांग खींचने मे लगे थे।
इस ग्रुप मे एक लड़का सुमित जो कब से एक कोने मे खड़ी लड़की को देखे जा रहा था... उस वक्त वह सबसे ज्यादा खूबसूरत लग रही थी... सुमित को उस लड़की से पहली नजर मे ही प्यार हो गया... पर सुमित की उससे बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
सुमित मन ही मन कहता हे की वह इतनी सुंदर हे और मे एक साधारण सा दिखने वाला लड़का वह आखिर मुझसे बात क्यू करेगी... सुमित ने चारों तरफ देखा की कई लड़के भी उसी लड़की को देखे जा रहे थे... ऐसे मे सुमित की हिम्मत ही नहीं हुई उससे बात करने की।
रात के बारह बज रहे थे... पार्टी अब खत्म होने को थी... इतने में वह लड़की पार्टी से जाने के लिए निकलती है तभी सुमित ने सोचा की मुझे हिम्मत करके उससे बात करनी होगी... नहीं तो वह चली जाएगी फिर कहाँ कब मिलेगी... सुमित अपने ख्यालों मे ही खोया था उतने मे वह लड़की उसके पास से गुजरती हे... सुमित उसे जाता हुआ देख उसके मुंह से excuse me please निकल जाता है... वह लड़की पीछे मुड़ के देखती हे और कहती है कौन मैं? sorry पर क्या हम जानते हे एक दूसरे को? यह सुन सुमित अपना सर खुजाता हुआ एक प्यारी सी मुस्कान लिए कहता हे की hi... I am sumit... वह लड़की कहती है की hi... I am Nina
सुमित उससे बात करना चाहता था इसलिए नैना को coffee पीने साथ चलने के लिए पुछता है... यह सुन नैना एक पल तो सुमित को देखती रही फिर coffee के लिए मान जाती है।
थोड़ी ही देर मे दोनों एक coffee shop में थे। दोनों ही एक कोना पकड़ कर बैठ गए... सुमित नैना से बात करना चाह रहा था पर क्या कहे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था... और कुछ भी कहे बीना इधर उधर देखने लगता हे, उधर नैना सुमित को देख असहज हो रही थी... और मन ही मन कह रही थी " ये मैं कहाँ फंस गई ? ये सब जल्दी खत्म हो, और मैं अपने घर जाऊँ ".... फिर coffee का इंतजार करने लगती है...
इतने मे waiter आता हे और उन्हें coffee serve करता हे... waiter coffee रखकर जा ही रहा होता हे इतने मे सुमित कहता हे.... " please मेरे लिए थोड़ा नमक ला दोगे, मुझे coffee मे डालना है..." यह सुन नैना हैरानी से सुमित को देखती है और कहती है की क्या तुम पागल हो... नमक वाली coffee पीओगे? तब सुमित ने कहा हाँ मुझे एसी ही coffee पसंद है... नैना ने कहा - ऐसा क्यू भला...?
सुमित कहता हे की जब मैं छोटा था तब मैं मेरे माँ पापा और दादी के साथ समुद्र किनारे गुमने गया था... मुझे समुद्र के किनारे खेलना बहुत पसंद था... पर एक दुर्घटना हुई उसमें मेरे माँ पापा समुद्र मे ही डूब गए... मैं और मेरी दादी माँ ही बच गए थे... इसलिए तब से जब मै यह नमकीन coffee पीता हूँ तो इसमें मैं मेरे माँ पापा को याद करता हूँ ।
यह सुन लड़की की आँखें भर आई उसे भी अपने माँ पापा की याद आई जो दूसरे शहर में रहते थे... अब जहां उन दोनों के बीच गहरी शांति फैली हुई थी, उसी जगह अब बचपन के किस्सों ने ले ली और दोनों ही खिलखिलाकर अपने अपने किस्से सुनाने लगे थे... और दोनों के बीच एक खूबसूरत दोस्ती की शुरूआत हो जाती है।
धीरे धीरे दोनों कॉलेज मे या कॉलेज के बहार जब भी उन्हें समय समय मिलता वह एक दुसरे के साथ समय बिताते थे... नैना को एहसास होने लगता हे की जैसा जीवन साथी उसे चाहिए सुमित बिलकुल वैसा था... दयालु, सहनशील, और सबका ध्यान रखने वाला... अगर वह उस रात coffee मे नमक डालकर न पीता, तो शायद वह उसके बारे मे इतना कुछ जान ही नहीं पाती...
सुमित जो नैना से पहली मुलाकात से ही प्यार करता था... उसका प्यार और भी गहराता चला गया पर वह नैना से बात करने मे घबराता था कहीं नैना नाराज हो गई तो... कहीं दोस्ती तोड़ दी तो यही सब सोचकर सुमित मायूस हो जाता था... पर वह यह नहीं जानता था की नैना भी उससे मन ही मन प्यार करने लगी थी... सुमित के साथ रहते नैना यह तो जान गई थी की सुमित कभी उससे प्यार का इजहार नहीं करेगा इसलिए उसे ही पहल करनी होगी...वह अच्छी तरह जानती थी की सुमित भी उससे बहुत प्यार करता है... बस इजहार नहीं कर रहा कही न कही नैना जानती थी इसकी वजह।
नैना को एहसास होता है की वह अब सुमित के बीना नहीं रह सकेगी और शायद सुमित भी... नैना सुमित को अपने दिल की बात कैसे कहे यही सोच सोच कर परेशान हो रही थी... तभी उसे याद आया की कुछ दिनों बाद सुमित का Birthday आ रहा है तो क्यू न मैं उसे उसी दिन Propose करूँ...
नैना सुमित के साथ रहते उसकी पसंद नापसंद सब जान गई थी... नैना को ये अच्छे से खबर थी की सुमित को अपने प्यार का इजहार करने के लिए कौन सी जगह सही रहेगी... यह सब सोचकर ही नैना के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी जो उसकी खूबसूरती को और निखार रही थी...
इतने मे नैना के फोन की रिंग बजी... उधर से आवाज आई मैडम जी आपने जो सामान की लिस्ट दी थी वह तैयार है... कहो तो घर पर भिजवा दूँ यह सुन नैना ने कहा नहीं मुझे उस तरफ कुछ काम है तो मैं आपकी सोप से ही ले लूंगी... फिर मन ही मन सोचने लगी यह सामान के बारे मे सुमित को मालूम पड़ा तो पूरा surprise खराब हो जाएग।
थोड़े ही दिनों मे सुमित का Birthday वाला दिन भी आ गया... पर नैना ने सुमित को Wish नहीं करा और ऐसा Behave करा जैसे नैना को कुछ याद ही नही है... इसके कारण सुमित मायूस हो गया कि क्या सच मे नैना को मेरा जन्मदिन याद नहीं है... पर उधर तो नैना को सुमित को यूं सताने मे बड़ा मजा आ रहा था थोड़ी देर इधर - उधर की बाते करके काम के बहाने से नैना ने सुमित को Bye कहा और वहाँ से जाने के लिए निकल गई... यह सब देख सुमित को और भी ज्यादा बुरा लगने लगा की क्या सच मे नैना को मेरा जन्मदिन याद नहीं है... इसके कारण सुमित के मन मे जो आशा जगी थी की नैना भी उससे प्यार करने लगी हे वह उम्मीद भी अब खत्म होने लगी थी...
ऐसे वक्त मे दोस्त ही काम आते हे चाहे फिर वे कितने ही कमीने क्यू न हो... वैसे भी सुमित दोस्तों के दिल मे जो रहता है... मयंक ने कहा क्या यार सुमित आज तेरा जन्मदिन हे और तू ऐसे मुंह लटका के भोंदू की तरह लग रहा है क्या हुआ है ? क्यू इतना उदास है ? यह सुन सुमित ने कहा की कुछ नही यार वो नैना ने मुझे Wish नहीं करा उसे मेरा जन्मदिन याद ही नहीं रहा... वैसे मयंक को नैना का प्लान पता था वह तो बस सुमित की टांग खिचने के मजे ले रहा था पर साथ के साथ उसे भड़का भी रहा था।
मयंक ने कहा - पता था मुझे कि ऐसा ही कुछ होगा... मैंने तुझे पहले ही कहा था कि नैना तेरी टाइप की नहीं हे मत पड़ उसके चक्कर मे... पर जनाब को आशिकी का भूत सवार था अब भुगतो...
सुमित पहले से ही परेशान था मयंक की बात से और भी ज्यादा उदास हो गया तो वहा से जाने लगा... मयंक ने जब सुमित की रोआँसी सुरत देखी तो उसे हसी आ गई... बडी मुश्किल से अपनी हँसी छुपाकर मयंक ने कहा अरे मजनू चल अब दुखी मत हो नैना काम की वजह से भूल गई होगी नहीं तो नैना को याद ना हो ऐसा हो सकता हे क्या भला...
यह सुन सुमित के चेहरे पर हल्की Smile आई और वह अपने दिल को वापस मनाने लगा की नैना भी मुझसे प्यार करती हे... सुमित की Smile देख मयंक को अच्छा लगा और साथ के साथ यह भी एहसास हुआ की सच मे नैना सुमित की जिंदगी बन गई है... और नैना कि जिंदगी सुमित...
वे दोनों बात कर ही रहे थे कि इतने मे सुमित के फोन की रिंग बजी... फोन नैना का था सुमित ने जैसे ही हा नैना कहो कहा... उधर से एक आवाज आई की क्या आप ही सुमित हे ?? यह सुन सुमित के तो जैसे होश ही उड़ गए वह अपनी जगह से उठ गया और लड़खड़ाती हुई आवाज मे कहा - जी कहिए मैं ही सुमित हूँ पर एक मिनिट यह नंबर तो नैना का है न फिर आप कौन है और नैना कहाँ है??
सामने से आवाज आई की मैं राहुल हूँ ... और यहाँ एक लड़की का छोटा सा Accident हो गया हे और वह बेहोशी की हालत मे तुम्हारा ही नाम लिए जा रही है... यह सुन सुमित के तो जैसे पैरो तले जमीन खिसक गई और घभराई आवाज से कहा कहाँ है मेरी नैना... कैसी हे उसे ज्यादा चोट तो नहीं आई न... मैं अभी आता हूँ वहाँ.... राहुल ने कहा देखिए आप घबराईये नहीं मैडम को ज्यादा चोट नहीं आई है मैं आपको लोकेशन Send करता हूँ आप आ जाइए।
सुमित ने लोकेशन चेक करा और मयंक को साथ लेकर दोनों ही अपनी बाइक पर उस जगह जाने के लिए निकले...
सुमित कुछ ही देर मे राहुल कि भेजी गई लोकेशन पर पहुँचता हे... वह जुहू बीच था जो कि मुंबई शहर मे हे... सुमित की पसंदीदा जगहों मे से एक...
सुमित जुहू बीच पर आता हे और इधर उधर अपनी नैना को ढूंढते हुए यहाँ वहाँ बदहवास सा घूम रहा था और साथ साथ यह भी सोच रहा था की भला बीच पर कैसे Accident हो सकता है... एसी हालत में भी सुमित का दिमाग बहुत कुछ सोचे जा रहा था... उधर मयंक को नैना के प्लान कि खबर थी इसलिए जानबूझ कर सुमित से काफी पीछे रह गया था जिससे कि वह नैना और सुमित को अकेला छोड़ सके...
नैना ने सुमित को आते हुए देख लिया था... सुमित को देखते ही उसकी धड़कने बढ़ गई... यही वो जगह थी जहा नैना अपनी और सुमित की शाम बेहतरीन करना चाहती थी... पूरे दिन के शोरशराबे के साथ - साथ जैसे - जैसे सूरज ढलता हे वैसे - वैसे समुद्र और भी ज्यादा आह्लादक बन जाता है... चारों तरफ सिर्फ पानी कि लहरों के साथ बहती हवाओं का मीठा सुरीला आवाज सुनाई देता है... जैसे बस सब कुछ भुलाकर इन आवाज मे कहीं खो जाए...
काफी देर से यहाँ वहाँ भटकने से सुमित काफी थक चुका था आसपास लोगों से भी पूछा पर किसी ने उसे कुछ नहीं बताया... सुमित बार - बार नैना को फोन करता पर कोई फोन नही उठाता इससे सुमित काफी डर गया था की कुछ गलत ना हो जाए नैना के साथ...
इतने मे एक प्यारी सी आवाज सुमित को सुनाई देती है... यह आवाज पहचानने मे सुमित को बिलकुल भी समय न लगा यह नैना ही थी... सुमित फिर से इधर उधर बदहवास सा घूमने लगा नैना यह तुम्ही हो न क्यू मुझे परेशान कर रही हो... कहा हो तुम नैना मेरे सामने आजा ओ please...
फिर से वही आवाज आई पर यह सुनकर सुमित के होंठों पर मुसकुराहट छा जाती हे... नैना कहती है की
साल भर मे सबसे प्यारा
होता है एक दिन
सौ दुआएं दे रहा दिल
तुमको आज के दिन
ये रंग लाए मेरी मन्नतें
पुरी हो तेरी सारी हसरतें
सारे जहाँ की खुशी हो तेरी
अब तो यही आरजू है मेरी
तेरे एक इशारे पर में
जान लुटा दूंगी
तेरे ख्वाबों को हकीकत मैं बना दूंगी
विश यू हैपी हैपी बर्थ डे...
यह सुनते ही सुमित की आँखों में नमी छा जाती है उसे एहसास होता हे की सच में नैना उससे कितना प्यार करती है ... सुमित बस इतना ही कह पाता हे कि यार नैना कहा हो तुम अब आ भी जाओ तुम सामने... नैना सुमित के पीछे ही खाड़ी थी जैसे ही नैना ने सुमित कहा ... सुमित ने पीछे देखा तो नैना खड़ी थी वह दौड़ के जाता है नैना के पास और नैना को गले से लगा लेता है और कहता है की कहाँ चली गई थी तुम... पता है मैं कितना परेशान हो गया था पागलों की तरह ढूँढा तुम्हें... नैना को भी बस इसी तरह सुमित कि बाहो में रहना था एक तरीके से यह एक मजाक था पर इस मजाक मे भी नैना ने अपने लिए सुमित के मन में जो प्यार चिंता फिकर देखी उससे वह पुरी तरह सुमित के प्यार मे रंग गई थी... सुमित बस उसे कहे ही जा रहा था अब कभी ऐसे मत करना तुम ....
सुमित मुझे आज तुमसे कुछ कहना है... सुमित के गले लगे ही नैना ने कहा... हा नैना कहो क्या हुआ
ऐसे नही सुमित पहले तुम अपनी आँखें बंद करो... सुमित थोडी आनाकानी करता है फिर अपनी आँखें बंद कर देता है... नैना सुमित की आँखों पर पटी बांध देती है और मेरे साथ साथ चलो यह कहकर सुमित का हाथ पकड़ एक जगह लेकर जाती है... सुमित भी चलते - चलते कहता है की कहाँ जा रहे हे हम नैना... अरे आओ न तुम बस चलो तुम मेरे साथ...
अरे नैना कहाँ लेकर जा रही हो...
नैना - मुस्कुरायी अरे तुम्हें भगाकर नहीं ले जा रही... थोडा सा सब्र रखो अभी सब समझ आ जाएगा!!
सुमित - ठीक चलो अब मैं नहीं बोलूंगा अब कुछ.... पर नैना एक बात खून तुमसे??
नैना - क्या हुआ सुमित तुम कुछ उदास दिख रहे हो...
सुमित - कुछ नही नैना वह तो तुमने मुझे सुबह विश नहीं करा था न तो थोड़ा परेशान हो गया था...
नैना मुस्कुराई और कहती है - ओह ! बस इतनी सी बात वह तो मैं जानबूझकर तुमहे विश नही करा था... कर देती तो तुम्हारी ये मुस्कुराहट कैसे देख पाती...
सुमित मन ही मन खुश होता है और अपने लिए दुआ मांगता है की भगवानजी बस इसी तरह मेरी नैना को हमेशा मेरे साथ रखना मैं उसके बिना नही रह सकता
नैना - अरे सुमित कहा खो गए तुम... हम पहुंच गए उस जगह देखो...
सुमित हँसते हुए - क्या यार नैना कैसे देखूंगा मैं पहले पट्टी तो हटाओ
नैना अपने सर पर हलके से मारते हुए - ओह सौरी ! सौरी ! भूल ही गई मैं तो रुको अभी खोलती हूँ... पर तुम आँखें मत खोलना मे कहूँ तभी खोलना...
सुमित - ओके! बाबा नहीं खोलूंगा पर तुम और सस्पैंस मत बढ़ाओ ... मैं खोलूँ आँखें
सुमित की बाते सुन नैना खिलखिलाकर हंसने लगती है... और सुमित के कान के पास आकर धीरे से कहती है... सुमित अपनी आँखे खोलो!! नैना को इतना पास और उसकी गरम साँसो को महसूस कर सुमित को एक अलग ही बेचैनी हुई मानो जेसे वह इन समुद्र के लहरों पर उड़ रहा हो... नैना ने जैसे ही कहा सुमित क्या हुआ यह सुन उसकी तंद्रा टूटी और वह धीरे से अपनी आँखें खोलता है और सामने का नजारा देख बस देखता ही रहता है... उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होता हे कि क्या सच मे नैना ने यह मेरे लिए करा है... वह तो बस अवाक सा उस और देखता ही रहा
सामने का नजारा कुछ इस तरह का था...
सुमित कि नजरे ही नहीं हट रही थी वह तो बस गहरी सोच मे था... तभी एक आवाज आई क्या हुआ सुमित तुम्हें पसंद नहीं आया... यह सुन सुमित इधर उधर देखता हे नैना गायब थी!
सुमित नैना! नैना कहकर चारों तरफ ढूँढता है तभी फिर से आवाज आती है
हम तुम्हें तनहाइयों मे याद करते हे...
तेरी परछाई मे भी सिर्फ हम मिलेंगे...
तुमसे मोहब्बत तो सिर्फ एक बहाना है...
दिल भी दिन रात तुम्हें ही चाहता है...
तेरा प्यार मेरे लिए नशा बन गया है...
तेरा प्यार मेरे जीने की वजह बन गया...
आज मुझे यह बताने की इजाजत दे दो...
आज मुझे यह शाम सजाने कि इजाजत दे...
चुपके से तुम्हारी धड़कन में उतर जाएंगे...
यह कहते हुए नैना सुमित के पास आती हे और अपने घुटनों पर बैठकर एक हाथ मे रिंग लेकर सुमित के आगे बढाते हुए कहती है कि Will you marry me.... सुमित
सुमित को तो जैसे कुछ समझ ही नही आ रहा था की क्या हो रहा है... वह थोडीदेर देर तो बिल्कुल सुन होकर खड़ा रहा, उसे अपने कानो पर यकीन ही नही हो रहा था कि जो उसने सुना था... और जो उसने देखा, क्यूकी सुमित को जरा सा भी अंदाजा नही था की एसा कुछ होगा... नैना उसे प्रपोज करेगी यह तो सुमित ने सपने मे भी नहीं सोचा था...
नैना अब भी अपने घुटनों पर बैठे सुमित से कहे जा रही थी की सुमित मे तुमसे बहुत प्यार करती हूँ... यह सुन सुमित की तंद्रा टूटी और वह भी अपने घुटनों पर बैठ गया... उसकी आँखें नम थी क्या कहे क्या न करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था बस सुमित ने कुछ कहे बिना ही नैना के गले लग गया और कहा की नैना मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तब से करता हूँ जब हम पहली बार साथ मे Coffee पीने गए थे... पर तुमसे कहने मे डरता था की कही तुम नाराज हो गई तो मैं कैसे रह सकूंगा तुम्हारे बिना... इसलिए कभी कह नही सका...
नैना - मैं जानती हूँ सुमित की तुम भी मुझसे प्यार करते हो और रिंग सुमित की उँगली में पहना देती है..
नैना सुमित को surprise देती है... और शादी के लिए propose करती है... सुमित बस अवाक सा देखता रहता हे पर उसने भी नैना से प्यार का इजहार करा दोनों ही एक दूसरे के प्यार में खोए हुए अपने आने वाले कल के बारे मे बात करते हुए पुरी रात आँखों ही आँखों मे निकाली
सूरज की पहली किरण जब समुद्र पर पड़ी तो वह नजारा बहुत ही आह्लादक था...
नैना ने अपने माता पिता को सुमित के बारे मे बताया और यह भी कहा की वह सुमित से शादी करना चाहती है... नैना के माता पिता अपनी इकलौती बेटी से बहुत प्यार करते थे इसलिए वे फौरन मान गए... यह सुन नैना की खुशी का कोई ठिकाना न रहा... उधर सुमित ने भी अपनी दादी से इजाजत ले ली...
कुछ ही दिन में शादी की तारीख निकल गई और शादी साधारण तरीके से संपन्न हुई...
दोनों ही खुशी खुशी अपनी जिंदगी जी रहे थे पर इन सब मे अगर कुछ नहीं बदला था तो वह था की नैना जब भी सुमित के लिए coffee बनाती थी तो उसमें नमक दालती थी... क्यूकी उसे पता था कि सुमित को नमकिन coffee पसंद है...
कहते है न होनी को कोई नहीं टाल सकता... ऐसा ही हुआ कुछ नैना और सुमित के साथ... शादी के एक ही साल मे उनका यह खूबसूरत साथ टूट गया... सुमित को गंभीर बीमारी हो जाती है उसके चलते सुमित की मृत्यु हो जाती है... यह सदमा नैना सह नहीं सकती थी नैना के माता पिता और दादी ने नैना को बहुत समझाया उसे सब भुलाकर आगे बढ़ने का कहते रहे पर नैना पर कोई बात का असर नहीं होता...
ऐसे ही एक दिन नैना सुमित के सामान को छुकर उसकी मौजूदगी का अहसास कर रही थी की तभी उसे एक खत मिला नैना ने देखा तो देखती रह गई क्यूकी यह खत नैना के लिए था जो सुमित ने लिखा था मरने से पहले... नैना खत को पढ़ती है उसमें लिखा था की....
माय डिअर वाइफ...
नैना मैंने तुमसे एक झूठ कहा था क्या उसके लिए तुम मुझे माफ कर दोगी...
तुम्हें याद हे जब हम पहली बार मिले थे तब मैंने coffee मे डालने के लिए शक्कर कि जगह नमक मँगवाया था... सच मानो उस समय मैं इतना नर्वस था की मेरे मुंह से नमक निकल गया और मैंने मेरा झूठ छुपाने के लिए कहानी बना दी... दरअसल मेरे माता पिता कि मृत्यु एक कार accident मे हुई थी... पर उस समय मैंने झूठ इसलिए कहा क्यूकी मेरे झूठ ने हमारी बीच की खामोशी को तोड़ा था... और हम एक दूसरे के करीब आ सके... सच मानो मैंने तुम्हें कई बार सच कहने की कोशिश करी पर हिम्मत ही नहीं हो पाई... मैं डरता था की कही तुम मुझसे नाराज हो गई या मुझे छोड़ के चली गई तो... लेकिन अब जब मैं तुमसे हमेशा के लिए दूर जा रहा हूँ तो यह सच कह पा रहा हूँ .....
सच कहूँ मुझे यह नमकिन coffee बिलकुल पसंद नहीं है... पर तुम इतने प्यार से मेरे लिए बनाती तो मैं न चाहते हुए भी पी लेता था...
Dear, please मुझे माफ कर देना ! मैंने पूरी जिंदगी साथ रहने का वादा करा था पर वह वादा मैं नहीं पूरा कर सका.. और यह सच न कहने के लिए भी मैं तुमसे माफी चाहता हूँ ...
तुमसे बहुत सारा
प्यार करने वाला
तुम्हारा सुमित
खत पढ़ने के बाद नैना की आँखें नम हो जाती है और उस दिन के बाद नैना ने नमकीन coffee पीनी शुरु कर दी पर नैना को यह " स्वाद मीठा " लगता।