Kunda Shamkuwar

Abstract Inspirational Others

4.6  

Kunda Shamkuwar

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मंकी बात

मंकी बात

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सुना है कि बंदरों से ही आदमी की उत्पत्ति हुयी है। इस पूरी जर्नी में आदमी ने कितनी दुरियाँ नापी है, इसका अंदाजा उसे भी खुद नही है। लेकिन एक बात तो है की जो वह चाहता है उसे वह पा ही लेता है।

देखिये न, आदमी को लगा कि सच्चाई का क्या फायदा?क्या करना है उस सच्चाई का जो उसे कठिन रास्तों पर ले जाती है?और फिर वह चल पड़ा झूठ के उन फिसलन वाले रास्तों पर जिनसे वह जल्दी ही मनचाही मंज़िल पा लेना चाहता है। 

इस झूठ के रास्तों पर उसे बुराइयों का साथ मिलता गया। फिर आदमी लत, बेईमानी, भ्रष्टाचार और चोरी जैसे बुराइयों में जकड़ता गया।

और ये बुराइयाँ और उनकी जकड़न बढ़ती गयी।

समय का पहिया बड़ी खामोशी से फिर एकबार घूम गया। बंदर जो कभी हम आदमियों के पूर्वज थे अचानक हमारे रेस्क्यू के लिए आगे आये। फिर क्या था तीन बंदर साथ मे बैठे और हम इंसानों को फिर से अच्छाई का पाठ पढ़ाने बैठ गए। बड़ी खामोशी से और बिना किसी शोरशराबों से वे हमें समझाने की कोशिश करने लगे, बुरा मत देखों, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो....

हम भी देखते है की वह तीन बंदर क्या अपने मक़सद में कामयाब होंगे ?

क्या हम इंसान फिर से सच्चाई की राह पर चलना शुरू कर पाएँगे?


क्या आपको भी विश्वास है?

आपका क्या खयाल है इस बारे में ?


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