Hansa Shukla

Inspirational

4.7  

Hansa Shukla

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मंजिल

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शिव, राज और हितेश तीनो दोस्त ग्यारहवीं क्लास के साथ नीट की तैयारी के लिए कोटा आ गए थे।घरवाले नीट के प्रतिष्ठित कोचिंग में दाखिला कराकर बच्चो को समझाइश देकर कि मन लगाकर पढ़ाई करना अपने लक्ष्य से भटकना मत हमें विश्वास है तुम अपनी मेहनत से सफल जरूर होगे वापस आ गए।

अब तीनों दोस्त घरवालों से दूर नए शहर में थे जँहा कोचिंग के अलावा बहुत कुछ था जो उन्हें आकर्षित करने लगा,अपने लक्ष्य से भटककर वो ज़्यादा समय मनोरंजन और दूसरे चीजों में लगाने लगे। घरवाले बच्चो पर विश्वास कर ये सोचते रहे की बच्चे वहाँ मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं इधर तीनो दोस्त घरवालों से झूठ बोलते रहे की हमारी तैयारी अच्छी चल रही है आप लोग हमारी चिंता न करे,घर वालो को ये हिदायत दिया की आप लोग बारबार कोटा न आया करे आने जाने में खर्च होता है और हम डिस्टर्ब होते है माता पिता खुश होते कि बच्चें कितने समझदार हो गए हैं बाहर रहने से समय और पैसे दोनों की अहमियत को समझने लगे है।

तीनों दोस्त को लगता की उनके जीवन का यह सुनहरा समय है काश नीट की परीक्षा न हो और समय इस पल में ही रुक जाए लेकिन कहते है न समय का पहिया तो कभी नहीं रुकता सो नीट की परीक्षा हो गई और रिजल्ट का समय भी आ गया तीनो दोस्त अच्छे अंक लाना तो दूर क्वालीफाई नंबर भी नहीं ला पाए थे घरवालों के विश्वास को धक्का लगा किस अरमान से बच्चो को भेजा था और क्या परिणाम हुआ । 

घरवालों की मायूसी,दोस्तों, रिश्तेदारोंऔर पडोसी के तानो से अब गलती का एहसास हुआ कि हमने मौज-मस्ती के चक्कर में कितनी बड़ी गलती कर दी अपना साल ख़राब किया और घरवालों के विश्वास को भी तोड़ दिया अब टूटे मन में कई तरह के ख्याल आ रहे थे उनमे सबसे प्रबल था आत्महत्या करने का विचार जिससे सभी सवालों और अपनी असफलता से मुक्त हो जायेंगे। तीनो ने तय किया इस बड़े कदम से पहले एक बार भगवान के सामने अपनी गलतियों को स्वीकार कर अपना मन हल्का कर लेंगे तीनों दोस्त मंदिर पहुंच गए वहाँ प्रवचन चल रहा था गलती करना मानव स्वभाव है और जो इंसान गलती को स्वीकार कर सुधार कर ले वह महान है।

पंडितजी ने उदहारण दिया की वाल्मीकि पहले डाकू थे अपने गलत काम को जब समझे तो राम नाम का सुमिरन कर रामायण की रचना की इसके अलावा ऐसे अनेक उद्धरण है जिसमे मनुष्य गलती कर उसे सुधारकर सफल इंसान बन जाता है और समाज को नई दिशा दिखाता है। कथा सुनकर तीनो दोस्त ने संकलप लिया की घर वालो को कोटा में हुई अपनी गलतियाँ बताकर माफ़ी मांग लेंगे और एक मौका और देने के लिए निवेदन करेंगे। तीनो दोस्त कोटा से लाये हुए नोट्स,प्रश्नपत्र और अपनी पुस्तकों से मन लगाकर पढ़ाई करने लगे एक बार फिर नीट का एग्जाम पुरे जोश और विश्वास से दिए पेपर भी अच्छा बना उन्हें अब रिजल्ट का इंतजार था।

रिजल्ट के पहले दिन उनके घर में मीडिया वाला आये तीनो दोस्त राज्य के टॉप टेन स्टूडेंट में थे,घरवाले उनकी सफलता पर बहुत खुश थे उन्होंने भारत के बेस्ट मेडिकल कॉलेज से पढाई पूरी कर गवर्नमेंट हॉस्पिटल में नौकरी शुरू कर दी और साथ में उन बच्चो की कॉउन्सिलिंग करते जो असफल होने पर गलत कदम उठाते हैं। अपनी कहानी सुनाकर वो बाहर जाने वाले बच्चो को मन लगाकर पढ़ने के लिए प्रेरित करते। 


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