Pawanesh Thakurathi

Tragedy

4.5  

Pawanesh Thakurathi

Tragedy

मंगल ग्रह पर

मंगल ग्रह पर

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वैज्ञानिक डॉ० राणा मंगल ग्रह पर पहुँचे। उन्होंने पाया कि पृथ्वी की तरह वहाँ भी जीवन है। डॉ० राणा को खोज करते समय वहाँ आदिमानव जैसे तीन लोग मिले। वो अजीब भाषा में बोल रहे थे, लेकिन लैंग्वेज कन्वर्टर मशीन के माध्यम से डा० राणा उनकी बात समझ पा रहे थे। आश्चर्य की बात यह थी कि ये आदिमानव जैसे लोग बिना मशीन के डॉ० राणा की बात समझ जा रहे थे। डा० राणा ने उनसे पूछा- "आप बिना मशीन के कैसे मेरी बात समझ पा रहे हैं ?"

"हमारे प्राकृतिक व प्रदूषण रहित पर्यावरण ने हमें ऐसा बनाया है"- उनमें से एक ने बताया। 

"अच्छा !"- डॉ० राणा को बड़ा आश्चर्य हुआ। 

" हाँ। हम लोग मशीनों और यंत्रों से बहुत दूर रहते हैं। विलासितापूर्ण और आरामदायक जीवन हमें पसंद नहीं है। कहने को तो आपकी धरती पर अत्यधिक विकास हो चुका है, लेकिन ऐसे विकास का क्या फायदा जो लोगों को स्वच्छ हवा-पानी ही ना मिल सके। आप लोग अपने आपको सभ्य कहते हैं, लेकिन सच कहूं तो आप लोग किसी भी मायने में सभ्य नहीं है। आपका समाज जाति, धर्म और तमाम तरह की असमानताओं में बंटा हुआ है। आप लोगों ने अपने अशोभन कर्मों से स्वर्ग जैसे पृथ्वी ग्रह को नर्क में बदल दिया है"- उम्रदराज दिखने वाले व्यक्ति ने कहा।

पेड़ों की छाल पहने लंबे-लंबे बालों वाले उस आदमी की बात डॉ० राणा को एकदम सत्य प्रतीत हुई। वाकई में हम लोग विकास की ओर नहीं बल्कि विनाश की ओर बढ़ रहे हैं।


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