Sangeeta Aggarwal

Tragedy Inspirational Children

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Sangeeta Aggarwal

Tragedy Inspirational Children

ममता

ममता

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" माफ कीजिएगा मिस्टर राहुल आपकी पत्नी ने मृत बच्चे को जन्म दिया है !" नर्स ऑपरेशन रूम के बाहर बैठे राहुल से बोली।


" क्या.... और सिस्टर मेरी पत्नी स्वाति... क्या मैं मिल सकता हूं उससे ?" राहुल ने अपनी पीड़ा को आंखों में छिपा पूछा।


" वो अभी बेहोश हैं पर कुछ देर में होश आ जायेगा उन्हें तब आप उनसे मिल सकते हैं !" नर्स ने कहा और वहां से चली गई।


राहुल कुर्सी पर हताश सा बैठ गया और सिर पीछे लगा कर आंखें बंद कर ली। कितने खुश थे हम पर लगता है हमारी खुशी को किसी की नजर लग गई। सब कुछ सही चल रहा था पर नौवां महीना लगते ही स्वाति को दर्द होने लगा डॉक्टर ने चैकअप किया तो पाया बच्चा और मां दोनों नॉर्मल डिलीवरी का दर्द सहन करने के काबिल नहीं है इसलिए ऑपरेशन से डिलिवरी करा दी जाए। फिर अचानक ऑपरेशन के बीच में ही डॉक्टर ने बताया बच्चे की धड़कन कम होती जा रही हैं और अब अंततः सब खत्म हो गया बच्चे को खोने का दर्द राहुल की आंखों से बह निकला।


" बेटा तू कमजोर पड़ेगा तो स्वाति को कैसे संभालेगा ?" तभी ममता भरे स्पर्श ने उसके आंसू पोंछ कहा।


" मां हमारा बच्चा !" राहुल मां मधु जी के गले लग फूट फूट कर रो दिया।


" बस बेटा मानती हूं तेरा दर्द बहुत बड़ा है पर अभी स्वाति के बारे में भी तो सोच हमें उसे भी तो संभालना है तू तो उस बच्चे से मन से जुड़ा था पर स्वाति तो तन से जुड़ी थी उसके लिए ये कितना मुश्किल होगा कि जिस बच्चे का इंतजार वो नौ महीने से कर रही है वो तो उसकी गोद हरी करने से पहले ही पानी के बुलबुले सा ओझल हो गया !" मधु जी अपने आंसू पीती हुई बोली।


" आप स्वाति जी से मिल सकते है !" तभी नर्स ने आकर कहा तो अपने आंसू पोंछते हुए दोनों मां बेटा स्वाति के कमरे की तरफ लपके।


" स्वाति कैसी हो तुम ?" अंदर आ मधु जी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। स्वाति दूसरी तरफ मुंह किए लेटी थी और बराबर के खाली बेड को घूर रही थी मधु जी समझ गई स्वाति को बच्चा खोने की बात पता लग गई है। मधु जी का कलेजा मुंह को आ गया पर उन्होंने खुद को संभाला और वहां से उठ राहुल को इशारा किया।


" स्वाति देखो जो होना था हुआ अब हम नए सिरे से शुरुआत करेंगे !" राहुल खुद की आवाज के दर्द को छिपाता बोला।


स्वाति ने कोई जवाब नहीं दिया बस गुमसुम सी पड़ी रही। धीरे धीरे शरीर से तो स्वाति ठीक हो रही थी पर उसकी ममता पर को जख्म लगा था वो भर ही नहीं रहा था ना भर सकता था। 

वो ना किसी से बात करती ना कुछ कहती बस चुपचाप पड़ी रहती कोई कुछ खिलाता तो थोड़ा बहुत खा लेती।


" स्वाति कल हम अपने घर जा रहे है डॉक्टर ने इजाजत दे दी है !" राहुल स्वाति से आकर बोला पर स्वाति ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। राहुल को उसकी चुप्पी आहत कर रही थी पर डॉक्टर ने बोला था की वो सदमे में है उसे वक्त दिया जाए क्योंकि वक्त ही हर जख्म भरता है।


अचानक अस्पताल के कोरिडोर से बच्चे के रोने की आवाजें आने लगी। स्वाति जो गुमसुम लेती थी उसकी आंखों में चमक आ गई। ऑपरेशन का दर्द झेल चुकी स्वाति के शरीर में जाने कहां से जान आ गई वो उठकर कोरिडोर में गई वहां एक नर्स बच्चे को घुमा रही थी और चुप करा रही थी पर बच्चा चुप ही नही हो रहा था। स्वाति थोड़ी देर बच्चे को ममता भरी नजरों से देखती रही । नर्स ने बच्चे को पास रखे पालने में लिटाया और शायद उसके लिए दूध लेने चली गई।


स्वाति बच्चे को गोद में उठाकर उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी।


" अरे अरे मेरा बाबू भूखा है !" ये बोल स्वाति अंदर आई और बड़े प्यार से बच्चे को अपना दूध पिलाने लगी। बच्चे के दूध पीने से शायद स्वाति को तकलीफ भी हो रही थी पर फिर भी उसके चेहरे पर खुशी थी। राहुल कुछ देर तो सब देखता रहा पर जैसे ही स्वाति ने बच्चे को अपना दूध पिलाना शुरू किया वो आगे आया और...


" स्वाति ये क्या कर रही हो तुम ये किसी और का बच्चा है !" राहुल बोला।


" श...!" स्वाति होंठों पर हाथ रख बोली।


" कुदरत का कैसा इंसाफ है एक की ममता प्यासी और एक ममता का प्यासा लेकिन देखो दोनों कैसे एक दूसरे की प्यास बुझा रहे हैं !" तभी नर्स दूध लेकर आई और वहां का नजारा देख बोली।


" मैं आपका मतलब नहीं समझा सिस्टर !!" राहुल हैरानी से बोला।


" ये जो बच्चा है ना जिसके कारण आपकी वाइफ इतने दिनों बाद सदमे से निकली है इस बच्चे की मां इसे यहां छोड़ भाग गई ...शायद अविवाहित थी वो ये बच्चा मां के प्यार को तरस रहा था और देखो आपकी पत्नी जो खुद एक बच्चे को तरस रही थी वो इसे पा कितनी खुश है कितने प्यार से दूध पिला रही है वो भी तब जब हम उन्हें दूध सुखाने की दवाई दे रहे है ।" नर्स बोली।


" क्या.....! राहुल के मुंह से बस इतना निकला।


" राहुल देखो बाबू सो गया !" स्वाति खुश होते हुए बोली।


" स्वाति अब बच्चे को सिस्टर को दे दो ये हमारा बच्चा नहीं है!" राहुल स्वाति से बोला।


स्वाति की आंखों में फिर से आंसू आ गए शायद वो कुछ देर को अपना दर्द भूल गई थी जो फिर से याद आ गया था। उसने बच्चा नर्स की तरफ बढ़ा दिया।


" देखिए मिस्टर राहुल आप चाहे तो इस बच्चे को गोद ले सकते हैं इससे जहां आपका सूना आंगन हरा होगा वहीं इस अभागे बच्चे को मां बाप का प्यार मिलेगा !" नर्स जैसे ही ये बोली स्वाति ने बच्चे को खुद से चिपका लिया।


" क्या सच में सिस्टर मैं इस बच्चे को रख सकती हूं आप सच बोल रही हैं ना !" स्वाति की आंखों से ओझल हुई चमक वापिस आ गई।


" पर स्वाति इसकी मां वापिस आई तो !" नर्स के कुछ बोलने से पहले राहुल असमंजस में बोला।


" नही आयेगी ...क्योंकि वो खुद इसे गोद देने की बात करते थे हमने उन्हें कहा ये काम आप खुद कीजिए तो एक दिन मौका पा वो लोग इसे छोड़ कर भाग गए अब ये अस्पताल की अमानत है जिसे वो जिसे चाहे दे सकते है आप कहें तो मैं मैनेजमेंट से बात करूं !" नर्स जो खुद भी एक औरत एक मां थी वो दूसरी औरत दूसरी मां का दर्द समझ बोली।


स्वाति और राहुल की रजामंदी से नर्स ने मैनेजमेंट से बात की बच्चा गोद लेने में कुछ वक्त लगता पर स्वाति बच्चे को छोड़ने को तैयार नही थी तो उसे अगले दिन बच्चे सहित डिस्चार्ज कर दिया गया । कुछ दिन बाद बच्चा हमेशा को स्वाति और राहुल का हो गया। आज राहुल ने अपने बच्चे की खुशी में दावत दी है।


दोस्तों आज कोई संदेश नहीं क्योंकि आप और हम भी चलते है स्वाति और राहुल की खुशियों में शामिल होने।।


आपकी दोस्त

संगीता


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