Sangeeta Aggarwal

Inspirational

4.2  

Sangeeta Aggarwal

Inspirational

करियर जरूरी पर बच्चे ?

करियर जरूरी पर बच्चे ?

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" अरे शालिनी तू ..कैसी है कितना बदल गई तू ?" बाज़ार मे संजना अपनी दोस्त से टकराने पर बोली।

" हां पर तू बिल्कुल नही बदली अब भी बिल्कुल वैसी ही है चल मेरे घर चलकर बात करते है ना !" शालिनी बोली।

" और बता आजकल कहाँ जॉब कर रही है ? कितना लम्बा अरसा हो गया ना हमें बात किये भी !" संजना सोफे पर बैठती हुई बोली।

" हां यार ये तो है वैसे मैने अभी जॉब से ब्रेक लिया है वो क्या है ना अपने बेटे को पूरा वक़्त देना चाहती हूँ मैं अभी !"। शालिनी मुस्कुरा कर बोली।

" पागल है क्या जो अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रही है जॉब से ब्रेक लेने का मतलब कई साल पीछे चले जाना। अरे बच्चे का क्या वो तो आया के भरोसे भी पल जाते है उसके लिए अपना भविष्य क्यो खराब करना मुझे देख आया के भरोसे बच्चे को छोड़ निश्चिन्त हूँ । कई बार तो कितने दिन हो जाते उससे मिले भी क्योकि जब मैं घर पहुँचती वो सो चुका होता सुबह भी वो सोया मिलता पर मुझे चिंता नही आया देख लेगी सब !" संजना बोली।

" नही संजना मैं अपने पाँव पर कुल्हाड़ी नही मार रही अपना भविष्य सुधार रही हूँ । बच्चे पलते नही पाले जाते है आया के भरोसे छोटे बच्चे को छोड़ना मुझे सही नही लगा क्योकि आज मैं उसे आया के भरोसे छोड़ दूंगी तो कल को वो भी तो मुझे कामवाली के रहमों कर्म पर छोड़ सकता है ना तब मुझे शिकायत का कोई हक नही होगा। इसलिए मैने सोचा जब वो स्कूल जाने लगेगा मैं वापिस जॉइन कर लूंगी तब तक तो मैं ऐसे की खुश हूँ !" शालिनी ने कहा शालिनी की बात सुनकर संजना सोच मे पड़ गई। क्योकि बात तो सही थी। 


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