मोबाइल के लती बच्चे
मोबाइल के लती बच्चे
"अरे नेहा ये आदित इतना क्यो रो रहा है ?" नेहा फोन पर किसी से बात कर रही थी तभी उसकी पड़ोसन चांदनी बोली। नेहा को इस मोहल्ले मे आये अभी दो ही महीने हुए थे इसलिए उसकी ज्यादा किसी से बोलचाल नहीं थी पर चांदनी से उसकी काफी बाते हो जाती थी।
" देखो ना भाभी माँ की तबियत ठीक नहीं उनसे बात कर रही हूँ पर ये करने नहीं दे रहा। सारा दिन फोन लिए रहता है पर जरा मैं दो मिनट भी बात करूँ किसी से ये यूँही फैल मचाता है !" नेहा फोन काटते हुए बोली। नेहा के फोन काटते ही उसके चार साल के बेटे आदित ने झट मोबाइल छीन लिया। मोबाइल लेते ही उसका रोना भी बंद हो गया।
" देखो तो मोबाइल लेते ही रोना भूल गया बदमाश कही का !" चांदनी हँसते हुए बोली।
" इसका ऐसा ही है भाभी मोबाइल का इतना दीवाना है ना कि ना तो मोबाइल के बिना खाता है ना सोता है। रात को भी जब तक मोबाइल हाथ मे ना हो सोता ही नहीं !" नेहा हंस कर बोली।
" पर ये तो गलत है नेहा। जरा सा बच्चा मोबाइल का इतना आदि हो ये ठीक नहीं। इसकी आँखों के साथ साथ दिमाग़ पर भी असर पड़ेगा इससे !" चांदनी बोली।
" आपकी बात सही है भाभी पर ये छोड़ता ही नहीं मोबाइल मैं खुद परेशान हूँ रोते देख नहीं सकती इसलिए दे देती हूँ फोन !" नेहा बोली। थोड़ी देर बात करके नेहा अंदर आ गई।
कुछ दिन बाद चांदनी नेहा के घर आई उस वक़्त नेहा टीवी देख रही थी और आदित उसे परेशान कर रहा था।
" जाओ जाकर मोबाइल मे खेलो मुझे परेशान मत करो !!" चांदनी ने अंदर घुसते हुए नेहा को बोलते सुना।
" कौन किसको परेशान कर रहा है ?" कमरे के दरवाजे से चांदनी बोली।
" अरे भाभी आप आइये !" नेहा ने कहा।
" लगता है तुम्हे टीवी का बहुत शौक है ?" चांदनी ने पूछा।
" हाँ भाभी मुझे बचपन से टीवी का शौक है मम्मी बताती है मैं तो खाना भी टीवी देखते हुए खाती थी !" नेहा हँसते हुए बोली।
" अच्छा तभी आदित तुमपर गया है बस फर्क इतना है तुम्हे टीवी का शौक है उसे बचपन से ही मोबाइल का !" चांदनी बोली।
" भाभी वो असल मे अकेले रहती हूँ ना तो इसका भी मन नहीं लगता इसलिए मोबाइल दे देती हूँ इसे कम से कम मन तो लगा रहे। अब इसे आदत ही पड़ गई इसकी मोबाइल ना दो तो रोता चिल्लाता है या चीजे फेंकता है !" नेहा बोली।
" लेकिन नेहा वो अकेला कहाँ है तुम हो तो फिर क्यो उसे ऐसी लत लगा रही हो जिससे बाद मे पछताना पड़े। मोबाइल के लिए रोना , चिल्लाना , चीजे फेंकना ये सामान्य नहीं है आदित मोबाइल का लती होता जा रहा है वो भी इतनी छोटी उम्र मे सोचो जैसे जैसे बड़ा होगा ये लत बढ़ती जाएगी तब क्या ये पढ़लिख पायेगा ठीक से या कोई दोस्त बना पायेगा बल्कि मुझे तो डर है ये तुमसे भी कट जायेगा !" चांदनी बोली।
" भाभी इस बारे मे मैने सोचा ही नहीं। मुझे समझ ही नहीं आ रहा इसको मोबाइल से दूर रखने को क्या करूँ !" नेहा बोली।
" इसको स्क्रीन से दूर रखने को थोड़ा खुद को स्क्रीन से दूर रखो और इसके साथ वक़्त बिताओ। खेलो इसके साथ स्कूल से वापिस आने पर वहाँ की बाते पूछो। शाम को पार्क ले जाओ जहाँ ये ताज़ी हवा मे अपनी उम्र के बच्चो साथ घुले मिलेगा। शुरु शुरु मे हो सकता है ये परेशान करे पर धीरे धीरे इसे खुद भी अच्छा लगेगा।अभी छोटा है सम्भल जायेगा बड़ा होने के बाद बहुत मुश्किल होगा इसे मोबाइल से दूर रखना !" चांदनी ने समझाया।
"हाँ भाभी आपने जैसे कहा मैं वैसे ही करूंगी मैं इसे मोबाइल का लती नहीं बनने दूँगी इसे स्क्रीन से दूर रखने को मैं खुद स्क्रीन से दूर रहूंगी !" ये बोल नेहा ने टीवी बंद कर दिया।
" आदित बेटा आपके पास टॉयज नहीं है ?" चांदनी ने मोबाइल से खेलते आदित से पूछा।
" है ना आंटी बहुत सारे !" मोबाइल मे लगे ही उसने जवाब दिया।
" आंटी को नहीं दिखाओगे टॉयज !" चांदनी ने कहा तो आदित पहले नेहा को फिर चांदनी को देखने लगा। कुछ सोचकर उसने मोबाइल एक तरफ रखा और भाग कर अंदर गया और टॉयज लाने लगा अपने।
" अरे वाह कितनी अच्छी कार है इसमे आदित घूमने जायेगा , ये बंदर देखो कैसे आदित के ऊपर बैठ गया !" एक एक टॉयज को देखती हुई चांदनी बोलने लगी। धीरे धीरे आदित भी खिलोनो मे रुचि लेने लगा। शाम को चांदनी खुद भी नेहा और आदित के साथ पार्क गई वहाँ थोड़ी देर तो आदित नेहा का मोबाइल लिए बैठा रहा पर और बच्चो को बॉल से खेलते देख खुद भी मोबाइल छोड़ उनके पास आ गया।
नेहा की थोड़ी सी कोशिश से आदित अब बहुत थोड़ी देर को मोबाइल लेता है अब उसका जिद्दीपना भी कम होने लगा है। नेहा खुद भी अब टीवी तब देखती है जब आदित स्कूल गया हो उसके आने के बाद वो उसके साथ वक़्त बिताती है।
दोस्तों अक्सर कुछ घरो मे यही देखने को मिलता है कि बच्चा बिना मोबाइल खाना तक नहीं खाता शुरु मे माता पिता बच्चो की जिद पूरी कर भी देते और जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है वो मोबाइल का लती बनता जाता है मोबाइल ना मिलने पर रोना चिल्लाना चीजे फेंकना ये सामान्य नहीं है अगर आपका बच्चा भी ऐसा करता है तो अभी से चेत जाइये ऐसा ना हो बाद में आपके पास उसे सुधारने का वक़्त ही ना बच्चे। बच्चे को मोबाइल नहीं अपना समय दीजिये।