एक प्यार ऐसा भी ।
एक प्यार ऐसा भी ।
प्रेम एक ऐसी अभिव्यक्ति जो किसी को किसी का होने पर मजबूर कर देती है। ऐसा एहसास जो सारी दुनिया को छोड़ एक व्यक्ति को खास बना देता है। यूं तो प्रेम की परिभाषा सबके लिए अलग अलग होती है । माँ बाप से , बच्चों से , पति पत्नी का प्रेम ये सब प्रेम है। पर हमारी अनामिका के लिए प्रेम की कुछ ओर ही परिभाषा है।
एक बैंक मे काम करने वाली अनामिका एक गिफ्ट शॉप पर खड़ी गिफ्ट्स देख रही है । वेलेंटाइन की बहार है और हर जगह फैला प्यार है तो कोई भी गिफ्ट गैलरी इससे अछूती नही इस गिफ्ट गैलरी मे भी दुनिया भर के ऐसे गिफ्ट भरे पड़े है जिन्हे प्रेमी या प्रेमिका एक दूसरे को दे अपने प्यार का इजहार करते है। अब भई बाजारवाद का युग है तो बिना किसी तोहफ़े प्यार का इजहार कैसे हो।
अनामिका को भी तो प्यार का इजहार ही तो करना है इसलिए वो गिफ्ट पसंद कर रही है। टेडी , चॉकलेट , कार्ड और भी जाने क्या क्या !
" अरे अनामिका तू यहां ?" अचानक पीछे से एक आवाज़ सुन अनामिका पलटी तो उसे अपने ऑफिस की सहकर्मी नताशा नज़र आई।
" हाँ पर तू मुझे यहाँ देख इतनी हैरान क्यो है , क्या मुझे यहाँ नही होना चाहिए था ?" अनामिका हँसते हुए बोली।
" नही नही ऐसी बात नही पर मुझे बिल्कुल उम्मीद नही थी कि तू आज के दिन मुझे यहाँ मिलेगी ....वो क्या है ना तेरे हाव भाव से ऑफिस मे सबको यही लगता था कि तेरा कोई बॉयफ्रेंड नही है !" नताशा झेंपते हुए बोली।
" हाहाहा क्यो भई सबको ऐसा क्यो लगता था और फिर ये कहाँ लिखा कि आज के दिन गिफ्ट बस गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड ही एक दूसरे को देते है । ये तो प्रेम का दिन है और प्रेम तो किसी से भी हो सकता है !" अनामिका बोली।
" वो क्या है ना कि तू बस काम मे डूबी रहती है ना कभी ऑफिस मे फोन पर बात करती ना घर जाने की जल्दी होती इसलिए हमे लगा। हां घर के ओर लोगों से भी प्यार होता है पर तू तो ...!" इतना बोल नताशा रुक गई शायद उसे एहसास हो गया था वो कुछ ऐसा बोल गई जो उसे नही बोलना चाहिए था।
" अरे रुक क्यो गई बोल ना !" अनामिका बोली।
" माफ़ करना अनामिका वो मेरे मुंह से निकल गया प्लीज तुम हर्ट मत होना वो भी आज के दिन !" नताशा शर्मिंदा होते हुए बोली।
" अरे नताशा इसमे माफ़ी की कोई बात नही मैं अनाथ हूँ मेरे माँ -बाप, भाई- बहन कोई नही ये मैं जानती हूँ और इस बात को मानने मे मुझे कोई परेशानी नही तो तू क्यो शर्मिंदा हो रही है ! चल छोड़ इन बातो को तुझे जानना है ना मैं ये गिफ्ट किसके लिए ले रही हूँ !" अनामिका हँसते हुए बोली पर उसकी हंसी मे छिपा दर्द नताशा ने साफ महसूस किया।
ऐसी ही तो है अनामिका अपने दर्द को अपने अंदर ही समेंट लेती है। जब आँख खुली खुद को अनाथ आश्रम मे पाया वही बड़ी हुई पढ़ लिखकर एक बैंक मे नौकरी भी करने लगी और बैंक से मिले फ्लैट मे ही रहने लगी। खुद के अनाथ होने का दर्द वो लोगों से हमेशा से छिपाती आई है और हमेशा खुश रहती है।
" अगर तू बताना चाहे तो ठीक है यार बाकी कोई जबरदस्ती थोड़ी मुझे भी यहाँ से निकलना है मेरा बॉयफ्रेंड मुझे लेने आता ही होगा !" नताशा बोली।
" चल तो मैं तुझे उससे मिलवाती हूँ जिसे मैं हर साल ये गिफ्ट देकर खुश करती हूँ !" अनामिका बोली और उसे गिफ्ट गैलरी के एक कोने मे ले आई।
" ये ...तुम ..!" सामने जो शख्स नज़र आ रहा था उसे देख नताशा के मुंह से शब्द नही निकल रहे थे।
" हां नताशा मैं खुद को गिफ्ट्स देती हूँ और खुद को ही खुश करती हूँ । हर साल मैं गिफ्ट दे खुद से प्यार का इजहार भी करती हूँ !" अनामिका हँसते हुए बोली।
" मुझे कुछ समझ नही आया !" नताशा बोली।
" देख नताशा हम जिंदगी का सबसे ज्यादा हिस्सा खुद के साथ बिताते है और खुद को ही खुश करना भूल जाते है सबको खुश रखने की कोशिश मे । फिर जरूरी तो नही सबकी जिंदगी मे कोई प्यार करने वाला शख्स हो ही जिसके पास ऐसा शख्स नही उसे क्या आज के दिन खुश होने का हक नही । मैं अपने आप से बहुत प्यार करती हूँ इसलिए खुद से प्यार का इज़हार कर खुद को ही गिफ्ट देती हूँ फिर एक अच्छे से रेस्टोरेंट मे खाना खाती हूँ बस ऐसे ही हंसी खुशी ये दिन मनाती हूँ !" अनामिका बोली उसके चेहरे पर इस वक़्त एक चमक थी जिससे नताशा बहुत प्रभावित हुई।
" सच मे अनामिका तुमने मुझे जिंदगी का एक नया पहलू ही दिखा दिया सच हम खुद से प्यार करना भूल प्यार को बाहर तलाश्ते है और उसके कारण कितना दुखी भी रहते है और तुम खुद से प्यार करती हो और खुश रहती हो ...तुम्हारी ये प्यारी सी सीख मैं हमेशा याद रखूंगी !" नताशा अनामिका के गले लगती हुई बोली।
" अरे वाह मैं तो बस जिंदगी जी रही थी अपने हिसाब से मुझे नही पता था ये किसी के लिए सीख बन सकती है ...लो इसी बात पर चॉकलेट खाओ और जाओ अपने बॉयफ्रेंड साथ एन्जॉय करो और हां खुद से भी प्यार करना सीखो !" अनामिका उसे चॉकलेट देती बोली।
दोनो ने मुस्कुरा कर एक दूसरे से विदा ली क्योकि नताशा के बॉयफ्रेंड का मेसेज आ गया था और अनामिका को भी रेस्टोरेंट जाना था खुद को गिफ्ट दे खुद से प्यार का इजहार करने।