चतुराई का नतीजा
चतुराई का नतीजा
" बच्चो परसो से तुम्हारी परीक्षा शुरु है इसलिए कल तुम्हे तैयारी करने को छुट्टी मिलेगी आज किसी भी विषय की अध्यापिका से कुछ पूछना हो तो पूछ सकते हो जिससे तुम अच्छे से परीक्षा दे पाओ !" कक्षा अध्यापिका ने बच्चो से कहा।
" जी मेम !" सब बच्चे एक स्वर मे चिल्लाए और क्योकि उनकी कक्षा अध्यापिका उन्हे अंग्रेजी विषय पढ़ाती थी इसलिए सभी बच्चे उनसे सवाल पूछने लगे सिवा एक बच्चे के।
" राघव तुम्हे कुछ नही पूछना ?" अध्यापिका ने उस बच्चे से पूछा।
" नही मेम मुझे सब आता है !" राघव बोला।
" सब आता है !! किन्तु क्लास टेस्ट मे तो तुम्हे 2 नंबर मिले थे फिर कैसे तुम्हे सब आता है ?" अध्यापिका हैरानी से बोली।
" मेम वो एक सप्ताह पहले की बात है अब मुझे सब आता है और आप देखना मैं बहुत अच्छे नंबर लाऊंगा !" राघव आत्मविश्वास से बोला। उसका आत्मविश्वास देख हर कोई हैरान था। तभी घंटी बज गई और दूसरी अध्यापिका आ गई। उनसे भी सबने सवाल पूछे पर राघव ने कुछ नही पूछा । हर विषय मे यही हुआ कि राघव को कुछ पूछने की जरूरत नही थी ।
परीक्षा का दिन आ गया। सभी बच्चे एक दूसरे से उसकी तैयारी के बारे मे पूछ रहे थे पर राघव एक तरफ खड़ा था। तभी घंटी बजी और सब बच्चे भागे । राघव के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई।
" अरे ये क्या इसमे तो आधे से ज्यादा सवाल क्लास टेस्ट से अलग है पर टीचर ने तो बोला था इसी तरह का पेपर आएगा अब मैं क्या करूँ !" परीक्षापत्र देख राघव परेशान हो खुद से बोला। उसने छुपाई हुई सारी परचियाँ निकाल कर देख ली पर उसे मुश्किल से बस 10 नंबर का जवाब उनमे से मिला । अब उसकी हालत खराब हो गई खुद की चतुराई आज उसपर भारी पड़ गई ।
असल मे अध्यापिका ने जो प्रश्न क्लास टेस्ट मे दिये थे उनसे मिलते जुलते विषय ही परीक्षा मे आये थे किन्तु राघव ने सोचा जो क्लास टेस्ट मे आया वही आएगा इसलिए वो बड़ी चतुराई से नकल की परचियाँ बना लाया था पर आज उसकी चतुराई उसपर भारी पड़ गई।
उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे क्योकि वो समझ गया था कि उसकी चतुराई आज उसे फेल करवा देगी ।
दोस्तों सफलता का सिर्फ एक रास्ता होता है मेहनत अगर आप उसे अपना लेंगे तो आपको किसी तरह की चतुराई की जरूरत नही सफलता आपके कदम खुद ब खुद चूमेगी। पर अगर आप नकल से सफल होना चाहते हो तो आपका हाल भी राघव जैसा होगा।